Hindi Writing Skill Chapter 1 Hindi Writing Skill
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi Hindi Writing Skill

    Hindi Writing Skill Here is the CBSE Hindi Chapter 1 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Hindi Writing Skill Chapter 1 NCERT Solutions for Class 10 Hindi Hindi Writing Skill Chapter 1 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN100018879

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
    महात्मा गांधी ने कोई 12 साल पहले कहा थामैं बुराई करने वालों को सजा देने का उपाय ढूँढ़ने लगूं तो मेरा काम होगा उनसे प्यार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर ले आना। इसलिए असहयोग या सत्याग्रह घृणा का गीत नहीं है। असहयोग का मतलब बुराई करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई से असहयोग करना है।

    आपके असहयोग का उद्देश्य बुराई को बढ़ावा देना नहीं है। अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई अपने लिए आवश्यक पोषण के अभाव में अपने-आप मर जाए । अगर हम यह देखने की कोशिश करें कि आज समाज में जो बुराई है, उसके लिए खुद हम कितने जिम्मेदार हैं तो हम देखेंगे कि समाज से बुराई कितनी जल्दी दूर हो जाती हैं। लेकिन हम प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर इसे सहन करते हैं। मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पिता अपने गलत रास्ते पर चल रहे पुत्र पर मोहांध होकर बरसाता चला जाता है, उसकी पीठ थपथपाता है; और न मैं उस पुत्र की बात कर रहा हूँ जो झूठी पितृभक्ति के कारण अपने पिता के दोषों को सहन करता है। मैं उस प्रेम की चर्चा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूँ, जो विवेकयुक्त है और जो बुद्धियुक्त है और जो एक भी गलती की ओर से आँख बंद नहीं करता। यह सुधारने वाला प्रेम है। (क) गांधीजी बुराई करने वालों को किस प्रकार सुधारना चाहते| [2]
    (ख) बुराई को कैसे समाप्त किया जा सकता है? [2]
    (ग) ‘प्रेम’ के बारे में गांधीजी के विचार स्पष्ट कीजिए। [2]
    (घ) असहयोग से क्या तात्पर्य है? [1]
    (ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपर्युक्त शीर्षक दीजिए। [1]

    Solution

    (क) गांधीजी बुराई करने वाले को उनसे प्यार करके, धैर्य, नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर लाना चाहते
    (ख) बुराई को असहयोग से समाप्त किया जा सकता है। असहयोग का मतलब बुराई करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई का साथ न देना है।
    (ग) प्रेम के बारे में गांधीजी के विचार यह हैं कि जो विवेकयुक्त, बुद्धियुक्त और जो एक भी गलती की ओर से अपनी आँखें बंद नहीं करें पुत्र के प्रति पिता का अंधा मोह और पिता के प्रति पुत्र की झूठी पितृभक्ति प्रेम नहीं है।
    (घ) “असहयोग” का अर्थ है साथ न देना। यहाँ पर गांधीजी का असहयोग से अर्थ है ‘बुराई में साथ न देना।
    (ङ) उपयुक्त शीर्षक समाज से बुराइयों का अंत

    Question 2
    CBSEENHN100018880

    निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए :
    तुम्हारी निश्चल आँखें
    तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में प्रेम
    पिता का दिखाई नहीं देता है।
    जरूर दिखाई देती होंगी नसीहतें
    नुकीले पत्थरों-सी
    दुनिया भर के पिताओं की लंबी कतार में
    पता नहीं कौन-सा कितना करोड़वाँ नंबर है मेरा
    पर बच्चों के फूलोंवाले बगीचे की दुनिया में
    तुम अव्वल हो पहली कतार में मेरे लिए
    मुझे माफ करना मैं अपनी मूर्खता और प्रेम में समझता था
    मेरी छाया के तले ही सुरक्षित रंग-बिरंगी दुनिया होगी तुम्हारी
    अब जब तुम सचमुच की दुनिया में निकल गई हो।
    मैं खुश हूँ सोचकर
    कि मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई।
    (क) बच्चे माता-पिता की उदासी में उजाला भर देते हैं-यह भाव किन पंक्तियों में आया हैं? [1]
    (ख) प्रायः बच्चों को पिता की सीख कैसी लगती है? [1]
    (ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ क्यों होता है? [1]
    (घ) कवि ने किस बात को अपनी मूर्खता माना है और क्यों? [2]
    (ङ) भाव स्पष्ट कीजिए : ‘प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता। [2]

    Solution

    (क) तुम्हारी निश्चल आँखें तारों-सी चमकती हैं।
    मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में।
    (ख) प्रायः बच्चों को पिता की सीख नुकीले पत्थरों की तरह लगती है।
    (ग) बच्चे से अत्यधिक प्रेम के कारण माता-पिता को अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ लगता है।
    (घ) कवि ने इस बात को अपनी मूर्खता माना है कि एक बच्चा अपने माता-पिता की छाया के नीचे भली-भाँति फल-फूल सकता है और खुश रह सकता है।
    (ङ) पिता बच्चे के प्रेम में यदि सही मार्ग दिखाने के लिए उसे नसीहत देता है, तो बच्चों को वे नसीहतें नुकीले पत्थरों की तरह चुभने लगती हैं। बच्चा उन नसीहतों के पीछे पिता के छिपे हुए प्रेम को नहीं देखता।

    Question 3
    CBSEENHN100018890

    निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं
    के आधार पर 200 से 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए। .[10]
    (क) महानगरीय जीवन

    • विकास की अंधी दौड़
    • संबंधों का ह्रास
    • दिखावा

    (ख) पर्वो का बदलता स्वरूप

    • तात्पर्य
    • परंपरागत तरीके
    • बाजार का बढ़ता प्रभाव

    (ग) बीता समय फिर लौटता नहीं

    • समय का महत्त्व
    • समय नियोजन
    • समय आँवाने की हानियाँ

     

     

    Solution

    (क) महानगरीय जीवन
    वर्तमान समय में भारत के अनेक प्रमुख नगर महानगरों में परिवर्तित होते जा रहे हैं। एक नई महानगरीय सभ्यता पनपती जा रही है। आज के दौर में विकास की अंधी दौड़ में हर एक इन्सान उसका हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा है। जबकि असलियत यह है कि यह विकास की दौड़ बाहर से देखने पर जितनी लुभावनी लगती है, लोगों को इसमें नौकरी और व्यापार के अवसर दिखाई देते हैं। जिससे उनकी आय उन्हें मोह लेने वाली लगती है। परन्तु जब उन्हें वास्तविकता का सामना करना पड़ता है। तो उनके सारे सपने बिखर जाते हैं, असलियत में जिन्दगी बहुत कठिनाइयों भरी होती है। महानगरों में रहने की समस्या बहुत ज्यादा है। अच्छे घरों के लिए बहुत किराया देना पड़ता है। झुग्गी-झोंपड़ी पहले तो रहने वाली नहीं होती बल्कि साथ में गन्दगी, स्वच्छता की कमी रहती है। महानगरों में पहुँचकर जिन्दगी की कठिनाइयों को झेलते-झेलते आपसी संबंधों का ह्मस शुरू हो जाता है। रिश्ते चाहे माता-पिता के साथ हों, पति-पत्नी के बीच हों, बच्चों के साथ, रिश्तेदारियों में दोस्ती, आदि में किसी के पास भी वक्त नहीं होता और उनके सम्बन्ध के बीच खटास आने लगती है। इसमें कुछ कारण तो आदमी के रहने की जगह से काम करने की जगह के बीच दूरियों और उसमें लगता समय जो कभी-कभी 12 से 14 घण्टे रोजाना का होता है, बहुत बड़ा हाथ है।

    पर इन सबके बावजूद महानगरों की चमक-दमक का आकर्षण गांवों के लोगों को अपनी तरफ खींचता है। महानगरों में खाने-पीने की कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। बढ़ते हुए ट्रांसपोर्ट की वजह से वहाँ का वातावरण बहुत प्रदूषित रहने लगा है। इसलिए न वहाँ शुद्ध हवा मिलती है और न ही शुद्ध जल । महानगरों में मध्यम वर्गीय नौकरी-पेशा लोगों को एक और समस्या का सामना करना पड़ता है, वह है दिखावा या दूसरे शब्दों में आन-बान-शान का दिखावा । घर में, आस-पड़ोस में कोई समारोह हो तो ब्यूटी पार्लर, पहनने वाले एक-एक कपड़े और आभूषण का नया होना एक अनिवार्य अंग बन गया है और अगर घर में या रिश्तेदारी में शादी समारोह हो तो लेन-देन का दिखावा अपने चरम पर पहुँच जातो है। इन सब बातों को सामने रखें तो महानगरीय जिन्दगी ‘ में आराम कम और कठिनाइयाँ ज्यादा हैं।

    (ख) पर्वो का बदलता स्वरूप समय के साथ-साथ हमारे सभी पर्व और त्योहारों का स्वरूप बदलता जा रहा है। पहले किसी भी पर्व में लोग पूरे उत्साह से भाग लिया करते थे, मंदिरों में पूरी श्रद्धा से पूजा-पाठ चला करता था। प्रत्येक घर में किसी न किसी रूप में एक मंदिर भी हुआ करता था। परन्तु आधुनिक युग में लोगों के पास समय को अभाव रहने लगा। जो लोग किसी पर्व को मनाते भी हैं उनमें ज्यादातर सिर्फ औपचारिकता दिखाने लग गए हैं। भारत में कई पर्व ऐसे भी हुआ करते थे जिसमें आदमी और औरतें दिन-भर का उपवास रखते थे, परन्तु अब इसमें किसी की कोई रुचि नहीं बची।

    पर्वो व त्योहारों के परंपरागत तरीके को हम अगर याद करें, तो त्योहार किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना के मुख्य अंग, स्वरूप एवं प्रतीक हुआ करते हैं। उनसे यह जाना जाता है कि कोई राष्ट्र, वहाँ रहने । वाली जातियों, उनकी सभ्यता और संस्कृति कितनी अपनत्वपूर्ण, जीवंत और प्राणवान है। पुराने वक्त में त्योहारों और पर्यों के अवसर पर ये घर-परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों को समीप आने, मिल बैठने, एक-दूसरे के सुख-आनंद को साझा बनाने के अवसर होते थे।

    पर्वो और त्योहारों के बदलते स्वरूप के लिए आज बाजार का बढ़ता प्रभाव है। किसी भी पर्व को लोकप्रिय बनाने के लिए उससे सम्बन्धित गानों की सीडी छोटे बड़े नये-नये स्टाइल के कपड़े, चुन्नियाँ आदि पहले से मिलनी शुरू हो जाती हैं। बाजार के बदलते और बढ़ते प्रभाव के कारण दिवाली चाइनीज पटाख़ों से भर जाती है।

    (ग) बीता समय फिर लौटता नहीं समय यानी वक्त एक ऐसी चीज़ है कि एक बार वो बीत जाये तो फिर नहीं आता और इस बात का मलाल रहता है। कि वह काम समय पर क्यों नहीं किया। विशेषतः आफिस में, समय पर काम न होने से कई बार आर्थिक नुकसान तक हो जाता है। इसलिए सभी को समय के महत्व को समझना जरूरी है। समय वह धन है जिसका सदुपयोग न करने से वह व्यर्थ चला जाता है। हमें समय का महत्त्व तब पता लगता है जब दो मिनट के विलंब के कारण गाड़ी छूट जाती है। जीवन में वही व्यक्ति सफल हो पाते हैं। जो समय का पालन करते हैं। लोगों को अपने समय को नियोजित करने की कला भी आनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को एक मीटिंग में जाना है, एक अफसर से अलग मीटिंग है, और शाम को अपनी शादी की सालगिरह की पार्टी भी देनी है, तो इसमें हर एक काम के लिए समय निकालना पड़ेगा।

    कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो बेकार की बातों में समय को आँवा देते हैं। मनोरंजन के नाम पर भी बहुत समय आँवाया जाता है। बहुत से व्यक्ति समय गॅवाने में जैसे-मोबाईल पर गेम खेलने, बेकार की व्हाट्स ऐप पर बातें लिखने में आनंद का अनुभव करते हैं, परन्तु यह प्रवृत्ति हानिकारक है। समय के ऊपर तुलसीदास ने ठीक ही कहा है
    “समय चूकि पुनि का पछताने, का वर्षा जब कृषि सुखाने”

    Question 4
    CBSEENHN100018891

    आपके क्षेत्र के पार्क को कूड़ेदान बना दिया गया था। अब पुलिस की पहल और मदद से पुनः बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है। अतः आप पुलिस आयुक्त को धन्यवाद पत्र लिखिए। [5]

    अथवा

    पटाखों से होने वाले प्रदूषण के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

    Solution

    अपनी पता
    परीक्षा भवन
    क. ख. ग.,
    नई दिल्ली-1100XX
    सेवा में,
    पुलिस आयुक्त
    पश्चिमी दिल्ली
    दिनांक-18 मई, 20XX
    (3) विषय-आभार व्यक्त करने हेतु।
    महोदय, हम मदनपुर निवासी इस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों और आपको धन्यवाद देना चाहते हैं। हम दिल से आभारी रहेंगे। इस क्षेत्र के पार्क में पिछले कुछ वर्षों में कूड़ा फेंक–फेंक कर उसे कूड़ाघर में तब्दील कर दिया था।परन्तु पुलिस से मीटिंग के बाद, पार्क के पास एक बोर्ड लगवाया गया कि उस क्षेत्र में कूड़ा फेंकना मना है। पुलिस विभाग के एक सब-इंस्पेक्टर की नियुक्ति ने कूड़ा डालने वालों को वहाँ आने से मना कर दिया। फिर आसपास के रिहायशी इलाकों वाले लोगों के साथ पार्क में एक फुटपाथ का निर्माण कर पार्क को एक नया रूप मिला। अब सुबह और शाम को लोग पार्क में घूमने आने लगे हैं और इसका श्रेय पुलिस विभाग को मिलना चाहिए।

    एक बार फिर से इस क्षेत्र के लोग आपको धन्यवाद देते हैं।
    मदनपुर क्षेत्र के निवासी
    (सेक्रेटरी)

    अथवा

    58, पंकज लेन
    वसंत कुंज,
    नई दिल्ली।
    दिनांक-25 अगस्त, 20XX
    प्रिय मित्र,
    तुम्हारा पत्र मिला। जानकर खुशी हुई कि तुम्हारे माताजी–पिताजी इन दिनों यूरोप घूमने गए हुए हैं और वे सभी प्रमुख जगहों पर जाएँगे। यूरोप घूमकर वापस आने वाले लोग वहाँ के वातावरण जो पूर्णतया प्रदूषण रहित है, का वर्णन करते हैं।हमारे देश में अब अगले महीने दीपावली का पर्व आ रहा है। जहाँ तक दियों या बल्ब से शहर का रोशन होना बहुत अच्छा । लगता है वहीं दिवाली और दिवाली से पूर्व पटाखे चलाने से। होने वाले प्रदूषण से वातावरण इतना खराब हो जाता है कि पटाखों से निकलने वाले सल्फर के कणों के कारण सांस लेना। दूभर हो जाता है और यह कई बीमारियों की जड़ है। इसलिए मैं तो तुमसे यही कहना चाहूँगा कि खुद भी पटाखे चलाने से परहेज करो और अपने आसपास के लोगों को भी पटाखों से। होने वाले प्रदूषण के बारे में बताओ।
    तुम्हारा मित्र
    क.ख.ग.

    Question 5
    CBSEENHN100018892

    पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। [5]
    अथवा
    विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी के प्रचार हेतु लगभग 50 शब्दों में एक ‘ विज्ञापन लिखिए।

    Solution

    पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगाये गए विज्ञापन
    पर्यावरण जागरूकता दौड़ दिनांक 16 अगस्त 20XX को इण्डिया गेट से शुरू होगी।
    पर्यावरण यानी पौधों का वृक्षारोपण को बढ़ावा देने हेतु निम्न वर्गों में दौड़ों का आयोजन किया जा रहा है।
    • 10 किमी की दौड़-भारतीय व अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों द्वारा
    • 5 किमी की दौड़-महिलाओं के लिए
    • 1 किमी की दौड़-वरिष्ठ नागरिकों के लिए
    आप अपना पंजीकरण 10 अगस्त, 20XX तक करवा सकते हैं। भाग लेने वाले प्रतिभागियों को एक-एक टी शर्ट दौड़ शुरू होने से पहले मिलेगी।
    संयोजक–दिल्ली संघ
    फोन नं. 98*******

    अथवा

    विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर हस्तकला प्रदर्शनी
    सूचना
    विद्यालय वार्षिकोत्सव कमेटी
    भारती स्कूल, आगरा
    20 अगस्त, 20XX
    हमारे विद्यालय में 25 अगस्त, 20XX को वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उसी दिन विद्यालय के क्रीड़ांगन में विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया है। जो लोग प्रदर्शित वस्तुओं को खरीदने के इच्छुक होंगे वो सीधे उस स्टाल से खरीद सकते हैं।सभी विद्यार्थियों के परिवारीजन वार्षिकोत्सव व प्रदर्शनी में आमन्त्रित हैं।
    सेक्रेटरी
    विद्यालय वार्षिकोत्सव कमेटी
    भारती स्कूल, आगरा

    Question 6
    CBSEHIHN10002826

    Q1निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (2 × 6 = 12)

     

    पता नहीं क्यों, उनकी कोई नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाय अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे—बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है। स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक 'बड़ी सोच का बड़ज कमाल' में लिखिते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। 'भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार—बार सोचे। व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।' सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि व उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते—देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं— महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

    पता नहीं क्यों, उनकी कोई नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाय अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे—बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है। स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक 'बड़ी सोच का बड़ज कमाल' में लिखिते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। 'भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार—बार सोचे। व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।' सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि व उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते—देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं— महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

    (क)गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने का क्या उपाय अपनाते हैं? 
    (ख)गद्यांश में समृद्धि और उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?
    (ग)भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का क्या महत्व है
    () गद्यांश में किस जादुई शक्ति की बात की गई है? उसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
    (ङ) 'सफलता' और 'आतंकित' शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय का उल्लेख कीजिए।
    () गद्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्य प्रयोग कीजिए

     

    Solution

     (क) गद्यांश में बड़ी सोच वाले व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है। ऐसे व्यक्ति नौकरी के चक्कर में रहने की बजाए अपना काम शुरू करने का उपाय करते हैं।

    (ख) यदि हम अपने मन में अच्छे विचारों को स्थान देंगे और कुविचार जैसे की दरिद्रता, नीचता आदि को मन में स्थान नहीं देंगे, तो हम उन्नति और समृद्धि को प्राप्त कर पाएँगे।
    (ग)  भारतीय विचारधारा के अनुसार संकल्प और चिंतन मात्र से सृष्टि की रचना की जा सकती है। व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।

    (घ) लिखित गद्यांश में 'सदैव बड़ा सोचो' इस जादुई शक्ति की बात कही गयी है। इस सोच के परिणामस्वरूप बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होती हैं, फायदे बड़े होते हैं और देखते-देखते बड़ी सोच द्वारा बड़ा आदमी बन जाते हैं।

    (ङ) 'सफलता' शब्द में 'स' उपसर्ग है और 'ता' प्रत्यय है। 'आतंकित' शब्द में 'आ' उपसर्ग है तथा 'इत' प्रत्यय है।

    (च) मुँह मोड़ना- राम ने लोगों के कारण सीता से मुँह मोड़ लिया।
    रहीम धनी बन गया किसी ने सही कहा है बड़ी सोच का बड़ा कमाल।


    Question 7
    CBSEHIHN10002827

    2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए— (2 × 4 = 8)
    इस पृथ्वी पर
    एक मनुष्य की तरह
    मैं जीना चाहता हूँ
    वे खत्म करना चाहते हैं
    बैक्टेरिया की तरह
    उनके तमाम हथकंडों के बावजूद
    मैं नहीं मरता
    उपेक्षा, भूख और तिरस्कार से लड़ते—झगड़ते
    बढ़ गई है मेरी प्रतिरोधक सामर्थ्य
    मैं मृत्यु से नहीं डरता
    और अमरत्व में मेरा विश्वास नहीं
    लेकिन मैं नहीं चाहता प्रतिदिन मरना
    थोड़ा—थोड़ा
    किंचित विनम्रता
    किंचित अकड़
    और मित्र हँसी के साथ
    बेहतर सृष्टि के लिए
    मैं एक पके फल की तरह टपकना चाहता हूँ
    जिसे लपकने ​के लिए
    झुक जाएँ एक साथ
    असंख्य नन्हें—नन्हें हाथ
    अधूरी लड़ाई बढ़ाने के लिए
    फल के रस की तरह
    मैं उनके रक्त में घुल जाना चाहता हूँ
    मैं एक मनुष्य की तरह मरना चाहता हूँ।
    (क) कवि की प्रतिरोध क्षमता कैसे बढ़ गई है? समझाइए।

    (ख) कवि के 'हथकंडों' शब्द के प्रयोग का तात्पर्य क्या है?

    (ग)'मैं नहीं चाहता प्रतिदिन मरना'— का आशय समझाइए।

    (घ) पके फल की तरह टपकने की चाह क्यों व्यक्त की गई है? 

    Solution

    (क)उपेक्षा, भूख और तिरस्कार से लड़ते-झगड़ते कवि की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है।

    (ख) भूख और तिरस्कार से लड़ते-झगड़ते कवि की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है।

     () इसमें कवि तिल-)तिल मरने की बात करता है। वह आज उपेक्षा, भूख और तिरस्कार के कारण स्वयं को अपमानित समझता है, जो उसे तिल-तिल मरने पर मजबूर कर रहे हैं। कवि ऐसे मरने के लिए तैयार नहीं है।

    (घ) पके फल को पकड़ने के लिए छोटे-छोटे बच्चे हाथ बढ़ाते हैं। पका फल उन बच्चों को खुशी दे जाता है। कवि को यह खुशी बहुत प्रिय है। अतः वह भी पका फल बनकर टपकना चाहता है ताकि वह बच्चों की खुशियों का कारण बन सके।

     

    Question 8
    CBSEHIHN10002835

    Q10निम्नलिखित गद्याशं को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-   (2 + 2 + 1 =5)

    खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें, यही महत्त्व की बात है। यह काम तो हमेशा आदर्शवादी लोगों ने ही किया है। समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है। व्यवहारवादी लोगों ने तो समाज को गिराया ही है।

    (क) महत्त्व की बात क्या है और क्यों?

    (ख) शाश्वत मूल्य क्या हैं? इन मूल्यों से समाज को क्या लाभ हैं?

    (ग) समाज को पतन की ओर ले जाने वाले लोग कौन हैं?

     

    Solution

    (क) लेखक के अनुसार हम स्वयं ऊपर चढ़ें और दूसरों को भी अपने साथ ऊपर ले चलें, यही महत्व की बात है।
    (ख) ईमानदारी, सत्य, अहिंसा, परोपकार, परहित, सहिष्णुता इत्यादि शाश्वत मूल्य हैं। इनकी आज भी उतनी ही ज़रूरत है, जितनी पहले थी। इन्हीं मूल्यों पर संसार नैतिक आचरण करता है। यदि हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मार्ग पर चलें तो समाज को विघटन से बचाया जा सकता है।
    (ग) व्यवहारवादी लोग समाज को पतन की ओर ले जाने वाले हैं। अपने स्वार्थों के लिए इन्होंने समाज को गिराया ही है।

    Question 9
    CBSEHIHN10002840

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

    महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है- आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं। हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फँसकर रह जाता है। बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनुसना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें। अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादात अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

    (क) अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
    (ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
    (ग) अधिक बोलना किन बातों का सूचक है?
    (घ) रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
    (ङ) तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- ''हम सुनना चाहते ही नहीं।''
    (च) अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए। 

    Solution
    (क) आज हम किसी को सुनना ही नहीं चाहते हैं और अपनी ही बोलना चाहते हैं। इसी अधिक बोलने की कला के कारण अनसुना करने की कला विकसित होती है।
    (ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों के कारण बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित होता है। ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फँसकर रह जाता है।
    (ग) अधिक बोलना इन बातों का सूचक है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं। दूसरों के बारे में हम कम सोचते हैं।
    (घ) वे दूसरों की बातों को अधिक से अधिक सुनने का प्रयास करते थे और कम से कम बोलते थे। यह उनकी लोकप्रियता का कारण बताया गया है।
    (ङ) जब हम खुद ज्यादा बोलते हैं और दूसरों को बोलने का मौका ही नहीं देते हैं। इस बात से पता चलता है कि हम दूसरों को सुनना ही नहीं चाहते हैं। बस अपनी कहना चाहते हैं।
    (च) हमें दूसरों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। इस तरह हम अपने लोगों के मध्य लोकप्रिय होगें। अच्छे दोस्त बनाएँगे। साथ ही हमारे कोई दुश्मन नहीं होगें।
    Question 10
    CBSEHIHN10002841

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः
    यादें होती हैं गहरी नदी में उठी भँवर की तरह
    नसों में उतरती कड़वी दवा की तरह
    या खुद के भीतर छिपे बैठे साँप की तरह
    जो औचक्के में देख लिया करता है
    यादें होती हैं जानलेवा खुशबू की तरह
    प्राणों के स्थान पर बैठे जानी दुश्मन की तरह
    शरीर में धँसे उस काँच की तरह
    जो कभी नहीं दिखता
    पर जब-तब अपनी सत्ता का
    भरपूर एहसास दिलाता रहता है
    यादों पर कुछ भी कहना
    खुद को कठघरे में खड़ा करना है
    पर कहना ज़रूरत नहीं, मेरी मजबूरी है।
    (क) यादों को गहरी नदी में उठी भँवर की तरह क्यों कहा गया है?
    (ख) यादों को जानी दुश्मन की तरह मानने का क्या आशय है?
    (ग) शरीर में धँसे काँच से यादों का साम्य कैसे बिठाया जा सकता है?
    (घ) आशय स्पष्ट कीजिए-
    'यादों पर कुछ भी कहना
    खुद को कठघरे में खड़ा करना है।' 

    Solution

    (क) जिस प्रकार गहरी नदी में भँवर उठता है, तो सब उसमें समाहित हो जाता है। उसके अंदर कोई भी फंसकर रह जाता है। बाहर निकलना असंभव हो जाता है। ऐसे ही यादें रूपी नदी में भँवर उठता है, तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। मनष्य को सिवाए दुख के कुछ नहीं मिलता है। मनुष्य उसमें उलझकर रह जाता है और उससे बाहर आना उसके लिए असंभव हो जाता है।
    (ख) जब यादें बाहर आती हैं, तो मनुष्य को कुछ अच्छा नहीं लगता है। निराशा तथा दुख के भाव उसे आ घेरते हैं। उससे तनाव पैदा होता है, जो एक जानी दुश्मन की तरह कार्य करता है।
    (ग) जैसे शरीर में धँसा काँच रह-रहकर दर्द देता है तथा घाव से खून निकलता रहता है। ऐसे ही यादें मनुष्य को तकलीफ देती हैं। वह चैन से रह नहीं पाता है। अतः दोनों का साम्य इस तरह बिठाया गया है।
    (घ) इसका आशय है कि हम यादों को कुछ कहने लायक नहीं होते हैं। वह जैसी भी हैं हमारी हैं। हम ही  उन यादों में कहीं-न-कहीं शामिल हैं। अतः हम उन्हें भला-बुरा कहते हैं, तो इसका आशय है कि हम स्वयं के लिए कह रहे हैं। तब हम स्वयं को दोषी बना देते हैं।

    Question 11
    CBSEHIHN10002849

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिएः

    संसार की रचना भले ही कैसे हुए हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर, आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक दूसरे से दूर हो चुका है।

    (क) 'मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दीं'- कथन का क्या आशय है?
    (ख) परिवार के टुकड़ों में बँटकर एक दूसरे से दूर होने के क्या कारण हैं?
    (ग) आशय समझाइए धरती किसी एक की नहीं है।

    Solution

    (क) इसका अर्थ है कि मनुष्य ने पृथ्वी, उसके जीवों तथा स्वयं को बाँट दिया है।
    (ख) परिवार टुकड़ों में बँट गया है, इस कारण एक-दूसरे से दूर होने के कारण आपसी मतभेद हो गए हैं। मनुष्य ने सभी को उनके रंग, रूप, आकार तथा स्वभाव के आधार पर बाँट दिया है। जिसके कारण अब वे एक नहीं है बल्कि अलग-अलग हो गए हैं। इन्हीं बँटवारे ने उनमें मतभेद उत्पन्न कर दिए हैं।
    (ग) इसका आशय है कि भगवान ने इस धरती को सबके लिए बनाया हुआ है। इसमें हर प्राणी का समान अधिकार है। कोई एक इसे अपनी जागीर नहीं समझ सकता है। अतः कोई एक इस पर अपना अधिकार दिखाने का प्रयास करे, तो उचित नहीं है। यह किसी एक नहीं बल्कि सभी की है।

    Question 12
    CBSEHIHN10002853

    दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिएः
    (क) मित्रता
    •    मित्रता का महत्त्व
    •    अच्छे मित्र के लक्षण
    •    लाभ-हानि

    (ख) दहेज प्रथा- एक अभिशाप
    •    सामाजिक समस्या
    •    रोकथाम के उपाय
    •    युवकों का कर्त्तव्य

    (ग) कम्प्यूटर
    •    उपयोगी वैज्ञानिक आविष्कार
    •    विविध क्षेत्रों का कंप्यूटर
    •    लाभ-हानि

     

    Solution
    (क) मित्रता एक अनमोल धन है। यह ऐसी धरोहर है जिसका मूल्य लगा पाना सम्भव नहीं है। इस धन व धरोहर के सहारे मनुष्य कठिन से कठिन समय से भी बाहर निकल आता है। इस धन का मुख्य भाग है हमारा 'मित्र'। हर बीमारी का इलाज मनुष्य को भगवान द्वारा परिवार मिलता है परन्तु मित्र वह स्वयं बनाता है। जीवन के संघर्षपूर्ण मार्ग पर चलते हुए उसके साथ उसका मित्र कन्धे-से-कन्धा मिलाकर चलता है। हर व्यक्ति को मित्रता की आवश्यकता होती है। वह चाहे सुख के क्षण हो या दुख के क्षण मित्र उसके साथ रहता है। वह अपने दिल की हर बात निर्भयता से केवल अपने मित्र से कह सकता है। किसी विशेष गुढ़ बात पर मित्र ही उसे सही सलाह देकर उसका मार्गदर्शन करता है। मित्र ही उसका सही अर्थों में सच्चा शुभचिंतक, मार्गदर्शक, शुभ इच्छा रखने वाला होता है। सच्ची मित्रता में प्रेम व त्याग का भाव होता है। मित्र की भलाई दूसरे मित्र का कर्त्तव्य होता है। वह जहाँ एक ओर माता के धैर्य के समान उसे संभालता है तो पिता के जैसे शशक्त कन्धों का सहारा देता है। सच्चा मित्र वही कहलाता है जो विपत्ति के समय अपने मित्र के साथ दृढ़-निश्चय होकर खड़ा रहता है। हमें चाहिए कि जब भी किसी को अपना मित्र बनाए तो सोच-विचार कर बनाए क्योंकि जहाँ एक सच्चा मित्र आपका साथ दे आपको ऊँचाई तक पहुँचा सकता है। कपटी मित्र अपने स्वार्थ के लिए आपको पतन के रास्ते पर पहुँचा भी सकता है। जो आपके मुँह पर आपके सगे बने और पीठ पीछे आपकी बुराई करे ऐसी मित्रता को नमस्कार कहने में ही भलाई है।
    (ख) दहेज प्रथा हिंदू समाज की नवीनतम बुराइयों में से एक है। विगत बीस-पच्चीस वर्षों में यह बुराई इतनी बढ़कर सामने आई है कि इसका प्रभाव समाज की आर्थिक एवं नैतिक व्यवसाय की कमर तोड़ रहा है। इस प्रथा के पीछे लोभ की दुष्प्रवृत्ति है। दहेज प्रथा भारत के सभी क्षेत्रों और वर्गों में व्याप्त है। दहेज प्रथा को जीवित रखने वाले तो थोड़े-से व्यक्ति हैं परन्तु समाज पर इसका कुप्रभाव अत्यधिक पड़ रहा है। कितनी बार देखा जाता है कि पिता को अपनी सुंदर लड़की की शादी धन के अभाव के कारण किसी भो कुरुप लड़के के साथ करनी पड़ती है। अनेक बार सुनने मे आता है कि अमुक लड़की ने आत्महत्या कर ली। दहेज प्रथा की बीमारी पढ़े-लिखे लोगों में अनपढ़ों की अपेक्षा अधिक फैली हुई है। सरकार ने दहेज प्रथा के विरूद्ध कानून बना दिया है लेकिन कानून बेचारा क्या करे, जब कोई शिकायत करने वाला ही न हो। अतः कानून को और सख्त बनाना पड़ेगा। लड़कियों को उच्चशिक्षा दिलवाना आवश्यक है ताकि वह स्वयं के अधिकारों के प्रति जागरूक हो। इस प्रथा को तो समाज का युवावर्ग ही तोड़ने में समर्थ हो सकता है। वह वर्तमान परम्पराओं का एक बार तिरस्कार कर दे, तो सारा काम आसानी से बन सकता है।  
    (ग) कम्प्यूटर के आविष्कार ने इन क्षेत्रों में जो क्रांति लाई वह काबिले-तारीफ है। कम्प्यूटर के माध्यम से डिजाइनिंग व छपाई को एक नया स्वरुप मिला। आज के व पुराने समय की पत्र-पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में जो बदलाव आया है, वो भी कम्प्यूटर की ही देन है। कम्प्यूटर के आविष्कार के साथ कई नए कार्य क्षेत्रों का भी जन्म हुआ जिससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए। आज कम्प्यूटर हर क्षेत्र में अपना स्थान बना चुका है। फिर चाहे वह हवाई-अड्डा हो, रेलवे स्टेशन हो, सरकारी या गैर सरकारी कार्यालय हो, बैंक हो, पत्र-पत्रिकाओं/समाचार-पत्रों का कार्यालय हो, पलक झपकते ही हम इसके द्वारा अपने कार्यों को कर सकते हैं। अपने कार्यों को और अच्छा बनाने के लिए हम ई-मेल का सहारा लेते हैं। आज ई-मेल भी हर क्षेत्र की महत्वपूर्ण ज़रुरत के रुप में सामने आया है। एक विद्यार्थी के लिए तो यह रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है। कंप्यूटर के लाभ हैं, तो हानियाँ भी कम नहीं है। यदि कंप्यूटर में वायरस आ जाए, तो समस्त जानकारियाँ नष्ट हो जाती हैं। कुछ अपराधिक लोगों द्वारा, तो कई बैंकों या देश की सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों में कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से घुसपैठ की जाती है। यह बहुत गंभीर विषय है। साइबर क्राइम इसी से जुड़ा माना जाता है। इसके अधिक प्रयोग से सरदर्द, पीठ दर्द, आँखों संबंधी परेशानी जैसी बहुत-सी बीमारियाँ हो जाती हैं।
    Question 13
    CBSEHIHN10002854

    आपके नाम से प्रेषित एक हजार रु. के मनीआर्डर की प्राप्ति न होने का शिकायत पत्र अधीक्षक, पोस्ट आफिस को लिखिए। 

    Solution

    पता .....................
    दिनांक: .............
    सेवा में,
    अधीक्षक,
    मुख्य डाकघर,
    कीर्ति नगर,
    नई दिल्ली।
    विषय: मनी आर्डर नहीं पहुँचने पर पत्र।
    महोदय,
    मैं कीर्ति नगर का रहने वाला हूँ। मेरा नाम गोपाल राय है। मेरे पिताजी ने दिनांक .................... को 1000 हज़ार रुपए का मनीआर्डर किया था। परन्तु अभी तक यह मनीआर्डर मुझे प्राप्त नहीं हुआ है।
    इस विषय पर मैंने पोस्ट आफिस के स्टाफ से संपर्क साधा। परन्तु उन्हें कोई जानकारी प्राप्त नहीं है। मेरे पिताजी एक गरीब व्यक्ति हैं और बड़ी मेहनत से पैसे कमाकर मुझे भेजते हैं। आपसे निवेदन है इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएँ। मेरी मनीआर्डर संख्या 259853 है।
    मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरी इस समस्या की ओर ध्यान देंगे और उक्त विषय पर कार्य करेंगे। मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
    धन्यवाद सहित,
    भवदीय,
    रमेश

    Question 14
    CBSEHIHN10002855

    विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभाग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए। 

    Solution

    रेनबो पब्लिक स्कूल

    नई दिल्ली

    सूचना

    दिनांक…….

    वाद विवाद प्रतियोगिता की सूचना!

    आप सभी को यह सूचित किया जाता है कि दिनांक……… को विद्यालय में एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है |इच्छुक विद्यार्थी इस प्रतियोगिता के लिए अपना नाम दिनांक……… तक शिक्षिका  श्रीमती नेहा शर्मा के पास अपना नाम दे सकते हैं|

     

    …….हस्ताक्ष….

             सचिव

        साहित्य क्लब

    रेनबो पब्लिक स्कूल

     

    Question 15
    CBSEHIHN10002856

    खाद्य-पदार्थों में होने वाली मिलावट के बारे में मित्र के साथ हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए। 

    Solution

    पल्लव- अरे रोहित ! तुम यहाँ?
    रोहित- मैं यहाँ कुछ वापिस करवाने आया हूँ।
    पल्लव- मतलब!
    रोहित- क्या बताऊँ, यार?  मैं दाल ले गया था, इसमें कंकड़ और पत्थरों की इतनी मिलावट है क्या बताऊँ। माँ परेशान हो गई। आखिर तंग आकर उन्होंने कहा कि इसे बदलवा कर लाओ।
    पल्लव- तुम सही कहते हो?
    रोहित-  अभी कुछ दिन पहले शर्मा अंकल सरसों का तेल ले गए थे, उसे पके खाना खाने के बाद सब बीमार पड़ गए। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस तथा खाद्य विभाग में की।
    पल्लव- कल ही मैंने समाचार में देखा कि बड़ी-बड़ी कंपनियों के सामान में भी मिलावट पायी गई है। यह सही नहीं है। इससे तो लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
    रोहित- सरकार को इस विषय पर जल्द कुछ करना चाहिए।
    पल्लव- बिलकुल सही कहा।

    Question 16
    CBSEHIHN10002857

    अपने पुराने मकान के बेचने संबंधी विज्ञापन का आलेख लगभग 25 शब्दों में तैयार कीजिए। 

    Solution

    200 गज में दो मंजिला मकान

    मात्र  5 लाख में

    मेन रोड के पास”

    रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर दूर

    पहाड़गंज, दिल्ली

     

     

    संपर्क करें  99_ _ _ _ _ _39

    Question 17
    CBSEHIHN10002858

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

    चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोक–रंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहराया गया है। धर्म–शासन, राज–शासन, मत–शासन – सबमें इनसे पूरा काम लिया गया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक–कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी। सब प्रकार के शासन में – चाहे धर्म–शासन हो, चाहे राज–शासन, मनुष्य–जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है। दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज–शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म–शासन और मत–शासन चलते आ रहे हैं। इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी प्राय: हुआ है और होता रहता है। जिस प्रकार शासक–वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं उसी प्रकार धर्म–प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी। शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शान्ति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं। मत–प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति–पूजा करते देख दूसरी जाति के मत–प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय को भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।

    (क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा किस पर आधारित है ? तथा इसका उपयोग कहाँ किया गया है ?
    (ख) दंड का भय और अनुग्रह का लोभ किसने और क्यों दिखाया है ?
    (ग) धर्म–प्रवर्तकों ने स्वर्ग–नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है ?
    (घ) शासन व्यवस्था किन कारणों से भय और लालच का सहारा लेती है ?
    (ङ) संप्रदायों–जातियों की भिन्नता किन रूपों में दिखाई देती है ?
    (च) प्रतिष्ठा और लोभ शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए। 

    Solution

    (क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है। इसका उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन में किया गया है।
    (ख) ​ दंड का भय तथा अनुग्रह का लोभ राज-शासन ने दिखाया है। राज-शासन ने अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए भय तथा लोभ को दिखाया है। शासक वर्ग सदैव नागरिकों को शांति स्थापित ना करने के लिए डराते आए हैं। उनका मानना है कि इससे विरोध की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
    (ग)  धर्म- प्रवर्तकों ने स्वर्ग तथा नरक का भय केवल अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने से लिए किया है। वह स्वर्ग तथा नरक के नाम पर लोगों को डरा कर रखना चाहते हैं, जिससे लोग धर्म से सदैव जुड़े रहें।
    (घ) शासन व्यवस्था यह नहीं चाहती है कि कोई उनके अन्याय या अत्याचार के विरूद्ध आवाज़ उठाए। इसके अलावा वह यह नहीं चाहती कि देश में शांति की स्थिति हो। इस कारण वह भय या लालच का सहारा लेती है। 
    (ङ) जब एक जाति की मूर्ति पूजा को दूसरी जाति के लोगों द्वारा पाप मानना तथा एक संप्रदाय को भस्म तथा रूद्राक्ष पहनते देख दूसरे संप्रदाय द्वारा उसे पाप मानना, संप्रदायों तथा जातियों की भिन्नता को ही दिखाता है।

    (च) प्रतिष्ठा- प्रभुता,   लोभ-लालच                                                    

     

    Sponsor Area

    Question 18
    CBSEHIHN10002859

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

    हे ग्राम–देवता नमस्कार।
    जन कोलाहल से दूर
    कहीं एकाकी सिमटा–सा निवास,
    रवि–शशि का उतना नहीं
    कि जितना प्राणों का होता प्रकाश,
    श्रम–वैभव के बल पर करते हो
    जड़ में चेतनता का विकास
    दानों–दानों से फूट रहे, सौ–सौ दानों के हरे हास
    यह है न पसीने की धारा
    यह गंगा की है धवल धार – हे ग्राम–देवता नमस्कार।
    तुम जन–मन के अधिनायक हो
    तुम हँसो कि फूले–फले देश,
    आओ सिंहासन पर बैठो
    यह राज्य तुम्हारा है अशेष,
    उर्वरा भूमि के नए खेत के
    नए धान्य से सजे देश,
    तुम भू पर रहकर भूमि भार
    धारण करण करते हो मनुज शेष,
    महिमा का कोई नहीं पार
    हे ग्राम–देवता नमस्कार ।।

    (क) ग्राम–देवता को किसका अ​धिक प्रकाश मिलता है और क्यों ?
    (ख) 'तुम हँसो' का क्या तात्पर्य है ? गाँवों के हँसने का क्या परिणाम हो सकता है ?
    (ग) जड़ में चेतनता का विकास कौन करता है और कैसे ?
    (घ) जन–मन का अधिनायक किसे कहा गया है ? उसके प्रसन्न होने का क्या परिणाम होगा ? 

    Solution

    क) ग्राम देवता को प्राणों का प्रकाश अधिक मिलता है क्योंकि यह प्रकाश परिश्रम से संबंधित है। परिश्रम करने के द्वारा ही सूर्य एवं चंद्रमा के प्रकाश धीमे पड़ गए हैं।
    (ख) तुम हँसो से यहाँ तात्पर्य किसानों की खुशहाली से है। किसी गाँव के हँसने से कई अच्छे परिणाम हो सकते हैं। इससे किसानों के फसल पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा तथा देश में खाद्यान्न की बढ़ोत्तरी होगी। देश खाद्यान्न के क्षेत्र में अग्रणीय हो सकता है।

    (ग) जड़ में चेतना का विकास परिश्रम के बल पर किया जाता है। किसान जड़ में चेतना का विकास करते हैं। एक बीज से अंकुर फूटना इसका सशक्त उदाहरण है।


    (घ) इस कविता में कवि ने जन-मन का अधिनायक किसान को कहा गया है। किसान की प्रसन्नता हम सबके लिए अनिवार्य है क्योंकि इनके कारण ही दूसरों लोगों के घरों में अनाज जाता है। यदि  वे लोग प्रसन्न नहीं होंगे, देश खेती की पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा।

    Question 19
    CBSEHIHN10002867

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ?
    व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग रहते हैं। लाभ–हानि का हिसाब लगाकर ही कदम उठाते हैं। वे जीवन में सफल होते हैं, अन्यों से आगे भी जाते हैं, पर क्या वे ऊपर चढ़ते हैं? खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ दूसरों को भी ऊपर ले चलें यही महत्व की बात है।
    (क) व्यवहारवादी लोग हमेशा सजग क्यों रहते हैं?
    (ख) महत्व की बात क्या है? और क्यों?
    (ग) व्यवहारवादी और आदर्शवादी लोगों में क्या अन्तर है? 

    Solution

    (क) व्यवहारवादी लोग अवसर का लाभ उठाने में विश्वास रखते हैं। वे सजग नहीं रहेंगे, तो अवसर उनके हाथ से निकल जाएगा। अतः वे सदैव सजग रहते हैं। इस तरह वे अवसर अपने हाथ से जाने नहीं देते हैं और उसका भरपूर फायदा उठाते हैं।
    (ख) खुद ऊपर चढ़ें और अपने साथ अन्यों को भी ऊपर ले जाएँ, यही महत्व की बात है। इस तरह से हम अपने साथ-साथ अन्यों का जीवन भी सुधार देते हैं इसलिए यह महत्व की बात है।
    (ग) व्यवहारवादी अवसरवादी होते हैं। उनके हर कार्य में अपना फायदा छिपा होता है। इसके विपरीत आदर्शवादी अपने साथ-साथ अन्यों का फायदा भी करते हैं।

    Question 20
    CBSEHIHN10002871

    दिए गए संकेत–बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर 80–100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए:
    (क) शिक्षक–शिक्षार्थी संबंध
          – प्राचीन भारत में गुरू–शिष्य संबंध
          – वर्तमान युग में आया अन्तर
          – हमारा कर्त्तव्य
    (ख) मित्रता
          – आवश्यकता
          – मित्र किसे बनाएँ
          – लाभ
    (ग) युवाओं के लिए मतदान का अधिकार
          – मतदान का अधिकार क्या और क्यों?
          – जागरूकता आवश्यक
          – सुझाव 

    Solution

    (क)     शिक्षक-शिक्षार्थी संबंध
    प्राचीन समय में गुरू-शिष्य का संबंध बहुत मधुर होता था। शिक्षार्थी अपनी शिक्षा ग्रहण गुरुकूल में करता था। शिक्षक की छत्र-छाया में ही वह अनेक वर्ष रहता था। इस तरह शिक्षक और शिष्य के मध्य पिता-पुत्र का संबंध स्थापित हो जाता था। परन्तु आज के युग में स्थिति इसके विपरीत है। आज शिक्षकों के लिए शिक्षा एक व्यवसाय है, जिसे वे निभा रहे हैं। उनका शिष्यों के प्रति प्राचीन समय जैसा प्रेम व लगाव नहीं रह गया है। पिता-पुत्र जैसे संबंध तो विरले देखने को मिलते हैं। आज हमारा कर्तव्य बनता है कि यदि हम शिक्षक हैं, तो शिक्षार्थी को अपनी संतान की तरह रखें और उनके भविष्य का ध्यान रखते हुए उन्हें उचित शिक्षा प्रदान करें। यदि हम शिक्षार्थी हैं, तो अपने शिक्षक का सम्मान करें और उनके दिखाए मार्ग पर बढें।
    (ख)   मित्रता
    हर व्यक्ति को मित्रता की आवश्यकता होती है। वह चाहे सुख के क्षण हो या दुख के क्षण मित्र उसके साथ रहता है। वह अपने दिल की हर बात निर्भयता से केवल अपने मित्र से कह सकता है। किसी विशेष गुढ़ बात पर मित्र ही उसे सही सलाह देकर उसका मार्गदर्शन करता है। मित्र ही उसका सही अर्थों में सच्चा शुभचिंतक, मार्गदर्शक, शुभेच्छा रखने वाला होता है। सच्ची मित्रता में प्रेम व त्याग का भाव होता है। मित्र की भलाई दूसरे मित्र का कर्त्तव्य होता है। वह जहाँ एक ओर माता के धैर्य के समान उसे संभालता है, तो पिता के जैसे सशक्त कन्धों का सहारा देता है। सच्चा मित्र वही कहलाता है, जो विपत्ति के समय अपने मित्र के साथ दृढ़-निश्चय होकर खड़ा रहता है। हमें चाहिए कि जब भी किसी को अपना मित्र बनाए तो सोच-विचार कर बनाए क्योंकि जहाँ एक सच्चा मित्र आपका साथ देकर आपको ऊँचाई तक पहुँचा सकता है, वहीं एक कुमित्र आपको पतन के गर्त तक पहुँचा सकता है। सच्चा मित्र आपके जीवन की दिशा बदल देता है, वह आपको गलत मार्ग पर बढ़ने नहीं देता और विपत्ति के समय आपके कंधे-से-कंधा मिलाकर चलता है।
    (ग) युवाओं के लिए मतदान का अधिकार
    मतदान का अर्थ होता है मत का दान अर्थात अपने देश की सरकार चलाने के लिए कौन-सा व्यक्ति उचित है और कौन-सा अनुचित इस आधार पर उसका चयन करना। मतदाता का अर्थ होता है, जो अपने मत को देता है। चुनावों में मतदान करना एक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण अधिकार है। इसके माध्यम से ही वह अपने लिए उचित सरकार का चयन करता है। यह अधिकार उसके अधिकारों के प्रति सजगता का परिचय है। हमें इस विषय पर जागरूक होना बहुत आवश्यक है। इसका प्रयोग करके हम स्वयं के और देश के भविष्य को विकास व प्रगति प्रदान कर सकते हैं। हमारे दिए मतदान के कारण ही एक पार्टी सरकार बनाती है। कुछ वर्ष पूर्व तक देश में मतदान का दुरूपयोग किया जा रहा था। परन्तु अब मतदाता जागरूक हो गए हैं। अब जनता चुनावों के समय में उसी उम्मीदवार को चुनती है, जो उसके देश के लिए कार्य करता है। बेकार के नेताओं को वह घास नहीं डालती है। उदाहरण के लिए दिल्ली में शीला सरकार पिछले तीन साल से जीत रही हैं। लोगों ने उनके द्वारा किए कार्य की प्रशंसा की और भारी बहुमत से विजयी बनाया। जनता ऐसे नेता को अवसर देने लेगी है, जो देश के लिए कुछ करते हैं। इस तरह से अब चुनावों में प्रचार के माध्यम से और पैसों के दम पर कोई किसी जनता को मूर्ख नहीं बना सकता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि चुनावों में सही पार्टी के द्वारा हम अपने देश का भविष्य सुधार सकते हैं।  हमें चाहिए कि नेताओं के विषय में सारी जानकारी एकत्र करें। सरकार के कार्य पर नज़र रखें। इन सबको ध्यान में रखकर ही सही व्यक्ति के नाम पर मतदान करें।

     

    Question 21
    CBSEHIHN10002872

    दूरदर्शन निदेशालय को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि किशोरों के लिए देशभ​क्ति की प्रेरणा देने वाले अधिकाधिक कार्यक्रमों को प्रसारित करने की ओर ध्यान दिया जाय। 

     

    Solution

    पता .....................
    दिनांक: .............

    सेवा में,
    मुख्य प्रबंध,
    दूरदर्शन निदेशालय,
    दिल्ली।
    विषयः किशोरों में देशभक्ति की भावना बढ़ाने हेतु कार्यक्रम दिखाने का अनुरोध करते हुए पत्र।
    श्रीमान/श्रीमती,
    सविनय निवेदन है कि आजकल दूरदर्शन में देशभक्ति के कार्यक्रमों का नितांत अभाव है। आज के युवाओं में देशभक्ति की भावना बहुत ही कम देखने को मिलती है। वे अपनी स्वार्थ सिद्धि में लगे रहते हैं। परिणाम देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी से वे आँखें बंद किए हुए हैं। यदि आप देशभक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रम अधिक-से-अधिक दिखाएँगे, तो इससे बहुत लाभ मिल सकता है। ऐसे कार्यक्रम युवाओं को प्रेरणा देगें और उनके अंदर देश के प्रति प्रेमभावना बढ़ाने में सहायता करेंगे। ऐसे कार्यक्रम सीधे प्रभाव डालते हैं। यह कार्यक्रम युवाओं को देश के विषय में सोचने पर विवश कर  देगें।
    अतः आपसे निवेदन है कि इस विषय पर कार्यक्रम दिखाकर आज के युवाओं को प्रेरित करें। आपकी इस सहायता के लिए देश आपका सदैव ऋणी रहेगा।
    सधन्यवाद
    भवदीय,
    रमेश

    Question 22
    CBSEHIHN10002873

    विद्यालय में स्वच्छता अभियान चलाने के लिए योजनाबद्ध कार्यक्रम के निर्धारण हेतु सभी कक्षाओं के प्रति​निधियों की बैठक के लिए समय, स्थान आदि के विवरण सहित सूचना लगभग 30 शब्दों में तैयार कीजिए। 

    Solution

    रेनबो पब्लिक स्कूल

    नई दिल्ली

    सूचना

    दिनांक…….

    स्वच्छता अभियान कार्यक्रम के विषय में सूचना!

     

     

    आप सभी को यह सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में दिनांक……..को स्वछता अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है| इस विषय में योजनाबद्ध तरीके से काम करने के लिए कक्षा के सभी प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई जा रही है| यह बैठक कल 10:00 बजे से शुरू होगी| अतः सभी कक्षा प्रतिनिधियों से यह आग्रह है कि वह निश्चित समय पर प्रधानाचार्य के कमरे में एकत्रित हो जाए|

     

    ......हस्ताक्षर…….

          नेहा मिश्रा

       उप प्रधानाचार्य

    रेनबो पब्लिक स्कूल

    Question 23
    CBSEHIHN10002874

    खाद्य–पदार्थों में मिलावट के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के संबंध में मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। 

    Solution

    गौरवः आज इतनी जल्दी में कहाँ जा रहे हो?
    राजेंद्रः गौरव! बस अस्पताल जा रहा हूँ।
    गौरवः क्या हुआ?
    राजेंद्रः मित्र! मेरे चाचाजी अस्पताल में हैं। कल अचानक उनके पेट में दर्द होने लगा। अतः उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। वहाँ जाकर पता चला कि मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से उनकी तबीयत खराब हो गई है। उन्होंने जो भी खाया था, उसमें जहरीले पदार्थ अधिक मात्रा में शामिल थे। घर जाकर पता चला कि उन्होंने खाने का नया तेल प्रयोग किया था। उसी में कुछ जहरीले पदार्थ शामिल थे। हमने पुलिस में रिपोर्ट लिखवायी। पुलिस द्वारा जब तेल की जाँच करवायी गई, तो यह बात पता चली। हम तो परेशान हो गए हैं। सारे खाद्य पदार्थों में मिलावट होने लगी है। अब तो डर लगता है।
    गौरवः मित्र! यह तुम सही कह रहे हो। आजकर खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण अनेक प्रकार की समस्या हो रही है। एलर्जी, पेट संबंधी, यहाँ तक की कैंसर की बीमारी भी इस मिलावट की देन है। यदि हमने शीघ्र कुछ नहीं किया, तो हमारे बच्चे इस मिलावट के कारण अपनी पूरी जिंदगी नहीं जी पाएँगे क्योंकि यह मिलावट कहीं न कहीं उन्हें अंदर से खोखला बना रही है।
    राजेंद्रः तुमने बिलकुल सही कहा। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में सख्त कानून बनाए और उन कानूनों को सख्ती के साथ लागू करें।  हमें भी मिलकर इस समस्या के प्रति कुछ-न-कुछ करना पड़ेगा तभी मिलावट करने वालों लोगों की नाक में नकेल कसी जा सकेगी।
    गौरवः यह तुमने बिलकुल सही कहा।
    राजेंद्रः कल हम सब मिलकर इस विषय पर बैठकर बात करते हैं। मैं अपनी सोसाइटी के सभी लोगों को एकत्र करता हूँ। कल तुम अवश्य आना।
    गौरवः अवश्य आऊँगा। अच्छा मित्र अभी चलता हूँ, कल मिलूँगा।
    राजेंद्रः अच्छा मित्र।

    Question 24
    CBSEHIHN10002875

    'क–ख–ग' कम्पनी द्वारा निर्मित जल की विशेषताएँ बताते हुए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 25 शब्दों में लिखिए। 

    Solution

    हिम  जल

    बूंद बूंद में शुद्धता का एहसास,

    अमृत का स्वाद, हिम  जल

     हिमालय से निकलने वाली नदियों का साफ पानी!

    क ख ग कंपनी (शुद्धता की पहचान)

     

    Question 25
    CBSEHIHN10002876

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

    मनुष्य जन्म से ही अहंकार का इतना विशाल बोझ लेकर आता है कि उसकी दृष्टि सदैव दूसरों की बुराइयों पर ही टिकती है। आत्मनिरीक्षण को भुलाकर साधारण मानव केवल परछिद्रान्वेषण में ही अपना जीवन बिताना चाहता है। इसके मूल में उसकी ईर्ष्या  की दाहक दुष्प्रवृत्ति कार्यशील रहती है। दूसरे की सहज उन्नति को मनुष्य अपनी ईर्ष्या  के वशीभूत होकर पचा नहीं पाता और उसके गुणों को अनदेखा करके केवल दोषों और दुर्गुणों को ही प्रचारित करने लगता है। इस प्रक्रिया में वह इस तथ्य को भी विस्मृत कर बैठता है कि ईर्ष्या  का दाहक स्वरूप स्वयं उसके समय, स्वास्थ्य और सद्वृत्तियों के लिए कितना विनाशकारी सिद्ध हो रहा है। परनिंदा को हमारे शास्त्रों में भी पाप बताया गया है। वास्तव में मनुष्य अपनी न्यूनताओं, अपने दुर्गुणों की ओर दृष्टि उठाकर देखना भी नहीं चाहता क्योंकि स्वयं को पहचानने की यह प्रक्रिया उसके लिए बहुत कष्टकारी है।
    (i) अहंकार के कारण मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

    (क) वह अपने को सर्वश्रेष्ठ समझता है
    (ख) उसकी बात सभी मानते हैं
    (ग) वह दूसरों के दोष देखता रहता है
    (घ) वह अपने गुणों का बखान करता है


    (ii) दूसरों की उन्नति को मनुष्य क्यों नहीं देखना चाहता?

    (क) स्वयं धनवान होने के कारण
    (ख) अपने बड़प्पन के कारण
    (ग) स्वयं गुणी होने के कारण
    (घ) ईर्ष्या भाव के कारण


    (iii) स्वास्थ्य और सदाचार नष्ट हो जाते हैं

    (क) ईर्ष्या के वश में होने पर
    (ख) क्रोध के वश में होने पर
    (ग) स्वास्थ्य के नियमों का पालन न करने पर
    (घ) अनैतिक कार्य करने पर


    (iv) अहंकार दूर करने के लिए जरूरी है

    (क) मन को शांत रखना
    (ख) आत्मनिरीक्षण करना
    (ग) परछिद्रान्वेषण से बचना
    (घ) निरंतर चिंतन-मनन करना


    (v) गद्यांश में किस प्रकार के शब्दों की अधिकता है?

    (क) तत्सम
    (ख) तद्भव
    (ग) देशज
    (घ) आगत

     

    Solution

    (i)  (ग) वह दूसरों के दोष देखता रहता है
    (ii) (घ) ईर्ष्या भाव के कारण
    (iii) (क) ईर्ष्या के वश में होने पर
    (iv) (ख) आत्मनिरीक्षण करना
    (v) (क) तत्सम

    Question 26
    CBSEHIHN10002877

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः
    मानव जीवन में कुछ महान कर पाने की अदम्य लालसा ही महत्त्वाकांक्षा है। इस लालसा की पूर्ति का मार्ग परस्पर होड़ से जन्म लेता है। किसी अन्य से आगे बढ़ पाने की यह आकांक्षा बिना इस ‘अन्य’ के प्रति कठोर हुए नहीं पूर्ण की जा सकती। मनुष्य में आगे बढ़ने की जो भी स्वाभाविक इच्छा जन्म लेती है उसके साथ अप्रत्यक्ष रूप से अन्य मानवों को पीछे छोड़ने की अदृश्य इच्छा भी जुड़ी ही रहती है। यदि सहृदय होकर इस पर विचार किया जाए तो इस प्रकार की समस्त प्रतिद्वन्द्विता निष्ठुरता है। दूसरे के प्रति निर्ममता है। किन्तु महानता को पाने के लिए यह निर्ममता या निष्ठुरता एक अनिवार्य दुर्गुण है। इसके अभाव में उस निष्ठा, संकल्प या दृढ़ताा की कल्पना नहीं की जा सकती, जो मनुष्य को आगे बढ़कर अनछुई ऊँचाइयों को छूने के लिए प्रेरित करते हैं।

    (i) मनुष्य में महत्त्वाकांक्षा क्यों होती है?

    (क) स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने की लालसा से
    (ख) दूसरों को पीछे छोड़ देने की ललक से
    (ग) एक-दूसरे से आगे बढ़ने की भावना से
    (घ) दूसरों से ईर्ष्या करने के कारण


    (ii) गद्यांश में आपसी होड़ को माना गया है

    (क) कठोरता
    (ख) निष्ठा
    (ग) निर्ममता
    (घ) महत्त्वाकांक्षा


    (iii) दुर्गुण होते हुए भी निर्ममता को ज़रूरी माना गया है

    (क) शत्रु से टक्कर लेने के लिए
    (ख) महान बनने के लिए
    (ग) महत्त्वाकांक्षा के लिए
    (घ) लालसा की पूर्ति के लिए


    (iv) गद्यांश का शीर्षक हो सकता है

    (क) निष्ठुरता
    (ख) महत्त्वाकांक्षा
    (ग) लालसा
    (घ) आकांक्षा


    (v) ‘ऊँचाइयों को छूने’ के लिए प्रेरक गुण है

    (क) दृढ़ संकल्प
    (ख) निर्ममता
    (ग) महत्त्वाकांक्षा
    (घ) कल्पनाशीलता

     

    Solution

    (i)  (क) स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने की लालसा से
    (ii) (घ) महत्त्वाकांक्षा
    (iii) (ख) महान बनने के लिए
    (iv) (ख) महत्त्वाकांक्षा
    (v) (ख) निर्ममता

    Question 27
    CBSEHIHN10002878

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

    देखकर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।

    रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।

    काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं,

    भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।

    हो गए इक आन में उनके बुरे दिन भी भले,

    सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।।

    चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना,

    काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना।

    जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना,

    है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना।।


    (i) पद्यांश में किन व्यक्तियों की ओर संकेत किया गया है?

    (क) जो बाधाओं से घबराते नहीं
    (ख) जो अपने कर्तव्यों से विमुख हैं
    (ग) जो भाग्य के सहारे रहते हैं
    (घ) जो परिश्रम नहीं करना चाहते हैं


    (ii) दुख आने पर कैसे व्यक्ति घबराते नहीं हैं?

    (क) जो भाग्य को वश में कर लेते हैं
    (ख) जिन्हें अपने परिश्रम का भरोसा होता है
    (ग) जो अपनी वीरता का बखान करते रहते हैं
    (घ) जो सदा फूले-फले रहते हैं


    (iii) उनके बुरे दिन भले में क्यों बदल जाते हैं?

    (क) दूसरों की निंदा करने के कारण
    (ख) अपनी तारीफ करते रहने के कारण
    (ग) लक्ष्य की ओर दृढ़निश्चय के कारण
    (घ) लक्ष्य की ओर ध्यान नहीं देने के कारण


    (iv) ‘धूप को चाँदनी बना देने’ का तात्पर्य है

    (क) कठिनाइयों में हँसते रहना
    (ख) कठिनाइयों को सरल बना देना
    (ग) कठिनाइयों का सामना करना
    (घ) कठिन परिस्थितियों में काम करना


    (v) ‘लोहे के चने चबाना’ का भाव है

    (क) दृढ़ संकल्प बने रहना
    (ख) कठिनाइयों को झेलना
    (ग) कठोर परिश्रम करना
    (घ) गंभीर संकट झेलना

    Solution

    (i)  (क) जो बाधाओं से घबराते नहीं
    (ii) (ख) जिन्हें अपने परिश्रम का भरोसा होता है
    (iii) (ग) लक्ष्य की ओर दृढ़-निश्चय के कारण
    (iv) (ख) कठिनाइयों को सरल बना देना
    (v) (ख) कठिनाइयों को झेलना

    Question 28
    CBSEHIHN10002879

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

    हर संध्या को इसकी छाया सागर-सी लंबी होती है,
    हर सुबह वही फिर गंगा की चादर-सी लंबी होती है।
    इसकी छाया में रंग गहरा
    है देश हरा, परदेश हरा,
    हर मौसम है संदेश-भरा
    इसका पद-तले छूने वाला वेदों की गाथा गाता है।
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।
    जैसा यह अटल, अडिग-अविचल वैसे ही हैं भारतवासी
    है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी
    कोई क्या हमको ललकारे
    हम कभी न हिंसा से हारे
    दुख देकर हमको क्या मारे
    गंगा का जल जो भी पीले, वह दुख में भी मुसकाता है
    गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।


    (i) ‘है देश हरा परदेश हरा’ कथन में ‘हरा’ से तात्पर्य है

    (क) हरा रंग
    (ख) हरे खेत
    (ग) संपन्नता
    (घ) खुशहाली


    (ii) हिमालय को ‘गिरिराज’ क्यों कहा गया है?

    (क) सर्वप्रिय होने के कारण
    (ख) परम पवित्र होने के कारण
    (ग) सर्वोच्च होने के कारण
    (घ) दर्शनीय होने के कारण


    (iii) हिमालय के प्रभाव से भारत में कौन-सा गुण दिखाई पड़ता है?

    (क) स्थिरता
    (ख) अजेयता
    (ग) पवित्रता
    (घ) सुंदरता


    (iv) भारतीय किसी के ललकारने से नहीं डरते, क्योंकि

    (क) उन्हें चुनौती स्वीकारने की आदत है
    (ख) वे ललकारने से नहीं डरते
    (ग) वे वीर और साहसी होते हैं
    (घ) उन्हें हिंसा से नहीं हराया जा सकता


    (v) गंगाजल ग्रहण करने वाला

    (क) सुखों में मग्न रहता है
    (ख) दुखों में प्रसन्न रहता है
    (ग) हृदय से उदार होता है
    (घ) परोपकारी होता है

    Solution

    (i)  (घ) खुशहाली
    (ii) (ग) सर्वोच्च होने के कारण
    (iii) (क) स्थिरता
    (iv) (ग) वे वीर और साहसी होते हैं
    (v) (ख) दुखों में प्रसन्न रहता है

     

    Question 29
    CBSEHIHN10002887

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

    विपदाओं से मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना नहीं
    केवल इतना हो (करुणामय)
    कभी न विपदा मैं पाऊँ भय।
    दुःख-ताप से व्यथित चित्त को, न दो सांत्वना नहीं सही
    पर इतना होवे (करुणामय)
    दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
    कोई कहीं सहायक न मिले
    तो अपना बल पौरुष न हिले;
    हानि उठानी पड़े जगत में लाभ अगर वंचना रही।।
    तो भी मन में ना मानूँ क्षय।।


    (i) कवि की प्रार्थना क्या है?

    (क) विपदाओं से बचाने की
    (ख) विपदा नहीं देने की
    (ग) विपदाओं से नहीं डरने की
    (घ) विपदाओं से लड़ने की


    (ii) दुख से पीड़ित होने पर कवि क्या चाहता है?

    (क) दुख दूर करने का उपाय
    (ख) दुखों को जीत सकने का वरदान
    (ग) सुख मिलते रहने का वरदान
    (घ) दुख सहने की शक्ति


    (iii) सहायक न मिलने पर कवि क्या चाहता है?

    (क) सांत्वना मिलती रहे
    (ख) वह अकेला न रहे
    (ग) बल पौरुष कम न हो
    (घ) दुख को सहता रहे


    (iv) ‘करुणामय’ शब्द का अर्थ है

    (क) करुणा करने वाला
    (ख) करुणा से ओतप्रोत
    (ग) करुणा का पुतला
    (घ) करुणा का अवतार


    (v) कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है?

    (क) विपत्तियाँ सहनी चाहिए
    (ख) ईश्वर की प्रार्थना करते रहना चाहिए
    (ग) मानव को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए
    (घ) आत्मबल की रक्षा करनी चाहिए

     

    अथवा
     

    खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
    इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
    तोड़ तो हाथ अगर हाथ उठने लगे
    छू न जाए सीता का दामन कोई
    राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
    अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।


    (i) काव्यांश की पृष्ठभूमि में कौन-सी ऐतिहासिक घटना है?

    (क) भारत-पाक युद्ध
    (ख) भारत-चीन युद्ध
    (ग) भारत-बांग्लादेश युद्ध
    (घ) भारतीय स्वाधीनता संग्राम


    (ii) ‘खूँ से ज़मीं पर लकीर’ खींचने का आशय है

    (क) सीमाओं पर रक्तपात करना
    (ख) दुश्मन पर हमला करना
    (ग) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
    (घ) मातृभूमि की रक्षा को तत्पर रहना


    (iii) ‘रावण’ का प्रतीकार्थ है

    (क) भारत का शत्रु
    (ख) आक्रमणकारी
    (ग) राम का विरोधी
    (घ) देशद्रोही


    (iv) ‘सीता का दामन’ से तात्पर्य है

    (क) देश का स्वाभिमान
    (ख) देवी-देवताओं की मर्यादा
    (ग) भारतीय सांस्कृतिक परंपरा
    (घ) मातृभूमि का सम्मान


    (v) ‘राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियो’ कथन से कवि का संकेत है

    (क) तुम्हें युद्ध भी करना है और रक्षा भी
    (ख) तुम्हें राम भी बनना है और लक्ष्मण भी
    (ग) तुम्हें भारतीयता को भी बनाना है और सीमाओं को भी
    (घ) तुम्हें नारी के सम्मान की भी रक्षा करनी है और मर्यादा की भी

     

    Solution

    (i)  (ग) विपदाओं से नहीं डरने की  
    (ii) (घ) दुख सहने की शक्ति
    (iii) (ग) बल पौरुष कम न हो
    (iv) (क) करुणा करने वाला
    (v) (ग) मानव को स्वयं पर भरोसा होना चाहिए

    अथवा

    (i)  (ख) भारत-चीन युद्ध
    (ii) (ग) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
    (iii) (क) भारत का शत्रु
    (iv) (घ) मातृभूमि का सम्मान
    (v) (ग) तुम्हें भारतीयता को भी बनाना है और सीमाओं को भी

    Question 30
    CBSEHIHN10002888

    निम्‍नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्‍नों के उतर दीजिए :
    तुम सही कहते हो जनरल साहब के सभी कुत्ते महँगे और अच्छी नस्ल के हैं, और यह − जरा इस पर नज़र तो दौड़ाओ । कितना भद्दा और मरियल-सा पिल्ला  है। कोई सभ्य आदमी ऐसा कुत्ता काहे को पालेगा? तुम लोगों का दिमाग ख़राब तो नहीं हो गया है? यदि इस तरह का कुत्ता मॉस्को या पीटर्सवर्ग में दिख जाता तो मालूम हो उसका क्या हश्र होता? तब कानून की परवाह किए बगैर इसकी छुट्टी कर दी जाती। तुझे इसने काट खाया है, तो प्यारे एक बात गाँठ  बाँध ले, इसे ऐसे मत छोड़ देना। इसे हर हालत में मजा चखवाया जाना ज़रूरी है ।

    (क) इंस्पेक्टर ने कुत्ता जनरल साहब के नहीं होने के क्या प्रमाण प्रस्तुत किए?
    (ख) गद्यांश के आधार पर ओचुमेलॉव के चरित्र पर टिप्पणी कीजिए।
    (ग) इंस्पेक्टर कुत्ते के साथ कैसा व्यवहार चाहता था?


    अथवा


    संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्‍सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्‍सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगे है।

    (क) धरती किसी एक की नहीं है − ऐसा क्यों कहा गया है?
    (ख) धरती की हिस्‍सेदारी में दीवारें किसने और क्यों खड़ी कर दी हैं?
    (ग) पहले की अपेक्षा अब लोगों के रहने का जीवन कैसे सिमटने लगा है? 

    Solution

    (क) इंस्पेक्टर ने ये प्रमाण दिए कि यह कुत्ता अच्छी नस्ल का नहीं है। दिखने में भद्दा और मरियल-सा है। कोई सभ्य व्यक्ति इस नस्ल के कुत्ते को नहीं पालेगा।

    (ख) गद्यांश के आधार पर पता चलता है कि उसमें स्वयं सोचने-समझने की क्षमता नहीं है। कभी कुछ कहता है और कभी कुछ। कानून का रक्षक होने के बाद भी वह कानून तोड़ने की बात कहता है। उसे कानून की परवाह नहीं है। जनता की समस्या हल करने के स्थान पर उन्हें भड़काता है। इससे पता चलता है कि वह चालाक, कानून की परवाह न करने वाला व्यक्ति है।

    (ग) इंस्पेक्टर चाहता था कि कुत्ते को मार दिया जाए।

     

    अथवा
     

    (क) लेखक के अनुसार मनुष्य ने धरती को अपना मान लिया है। वह भूल जाता है कि इस धरती में उसके अतिरिक्त अन्य और प्राणी भी रहते हैं। उनकी भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी है। वह अपनी मनमानी कर रहा है। इसलिए लेखक ने कहा है कि धरती किसी एक की नहीं है। प्रकृति ने सबको इसमें रहने के लिए समान अधिकार दिए हैं।

     

    (ख) धरती की हिस्सेदारी में मनुष्य ने दीवारें खड़ी कर दी हैं। उसे लगता है कि यह धरती उसके अकेले की है। अपना अधिकार मानकर उसने इसे बाँट दिया है।

     

    (ग) छोटे और अलग घरों में रहने के कारण लोगों के रहने का जीवन सिमटने लगा है। पहले की अपेक्षा अब उनका परिवार छोटा हो गया है।

    Question 31
    CBSEHIHN10002892

    दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर लगभग 80 − 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए :

    (क) महँगाई के बढ़ते कदम

    • कारण
    • प्रभाव
    • दूर करने के उपाय


    (ख) मानवता − सबसे श्रेष्ठ धर्म

    • मानवता क्या है?
    • महापुरुषों का उल्लेख
    • लाभ


    (ग) बढ़ता आतंकवाद

    • कारण और रुप
    • विश्व-स्तर पर प्रभाव
    • दूर करने के सुझाव

    Solution

     (क)महँगाई के बढ़ते कदम
    जमाखोरी, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में मंदी, मौसम की मार इत्यादि कारण महँगाई को बढ़ाते हैं। इनके प्रभाव से वस्तुओं की कीमतों पर उछाल आ जाता है और महँगाई बढ़ जाती है। आज खान-पान, वस्त्रों, घरेलू समानों, रेल-टिकटों, हवाई जहाज़ यात्रा, और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि दिखाई दे रही हैं। इससे सबसे अधिक प्रभावित आम-आदमी होता है। आमदनी का दायरा सीमित है परन्तु महँगाई का असीमित। इससे लोगों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। खाने तथा अन्य सामानों पर वृद्धि उनके जीवन को कठिन बना देती है। भुखे मरने तक की नौबत आ जाती है। लोगों को घर चलाने के लिए अन्य साधनों को तलाशना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि वस्तुओं तथा खाने-पीने के सामानों की जमाखोरी को रोके। देश की आर्थिक व्यवस्था को मज़बूत बनाएँ, जिससे अंतराराष्ट्रीय बाज़ार में उत्पन्न मंदी से देश को बचाया जा सके। मौसम के प्रभाव से बचने के लिए पहले से ही आवश्यक कदम उठाएँ जाएँ।

     

    (ख)मानवता − सबसे श्रेष्ठ धर्म
    दूसरे प्राणियों के प्रति सेवाभाव, कल्याण की भावना और परोपकार को मानवता कहा जाता है। मानवता के कारण ही हम मानव कहलाते हैं। मानवता हमें मानव मात्र से नहीं अपितु संसार के हर प्राणी से प्रेम करना सिखाती है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण विद्यमान हैं, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। इसमें कर्ण, ऋषि दधीचि, राजा उशीनर, मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी का नाम उल्लेखनीय हैं। मानवता ऐसा भाव है, जिसमें हानि के स्थान पर लाभ ही लाभ हैं। इससे मानव जाति का कल्याण होता है। प्रेम और भाईचारे का प्रसार होता है। लोगों को जीने का उद्देश्य प्राप्त होता है। आज मानवता के कारण ही यह संसार जीने योग्य है।  

    (ग)बढ़ता आतंकवाद

    आतंकवाद आंतरिक विद्रोह से जन्म लेता है। जब यह देश से बाहर व्यापक स्तर पर फैल जाता है, तो आतंकवाद का रूप धारण कर लेता है। अलकायदा और तालिबान गुट इसके सबसे बड़े उदाहरण है। आतंकवाद का भयानक रूप हिंसा है। आज यह विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था और उसकी सुरक्षा पर एक सवालिए निशान की भांति है। आतंकवादी घटनाओं ने विश्व में आतंक मचाया हुआ है। विश्व में लाखों-करोड़ों बेकसूर लोग इसके शिकार हो रहे हैं। विश्व में इस विषय पर सबको एक हो जाना चाहिए और इसके लिए विश्वव्यापी प्रयास करने चाहिए। लोगों को इस विषय पर जागरूक करना चाहिए क्योंकि आतंकवादी गुट लोगों को गुमराह करके फलते-फूलते हैं।

    Question 32
    CBSEHIHN10002893

    विद्यालय में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी की उपयोगिता के विवरण को दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर प्रकाशित करने का अनुरोध कीजिए। 
     

    अथवा


    बढ़ती हुई महँगाई के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर छात्रवृत्ति की धनराशि में बढ़ोतरी करने का अनुरोध कीजिए। 

    Solution

    पता : .................
    दिनांक : ..............

    सेवा में,
    संपादक,
    नवभारत टाइम्स,
    बहादुरशाह जफ़र मार्ग,
    आई. टी. ओ.,
    नई दिल्ली।

    विषय: विज्ञान प्रदर्शनी की उपयोगिता बताने हेतु पत्र।

    महोदय,
    मेरा नाम राघव है। मेरे विद्यालय में कल विज्ञान प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। इसमें अनेक विद्यालयों ने भाग लिया था। बच्चों के द्वारा बनाए गए कई मॉडल हैरत करने वाले थे। इस प्रदर्शनी को देखकर मुझे इसकी उपयोगिता का पता चला। इसमें प्रत्येक बच्चे ने मॉडल बनाने में बहुत परिश्रम किया था। मॉडल ऐसे बनाए गए थे कि देखते ही पता चल जाता था कि यह किस विषय से संबंधित हैं।

    इस प्रदर्शनी में जितना उत्साह मॉडल प्रदर्शित करने वाले बच्चों में था, उतना ही उत्साह देखने वालों बच्चों में भी था। इस प्रदर्शनी के माध्यम से हम विज्ञान के कई अनजान पहलूओं से अवगत हो सके। हमें कई विषयों के बारे में गूढ़ जानकारियाँ भी प्राप्त हुईं। ग्रह, उपग्रह, परमाणु आदि के बारे में लाभदायक जानकारियाँ मिली। इस प्रकार की प्रदर्शनी बच्चों के विकास के लिए और विज्ञान को समझने के लिए आवश्यक है।
    आपसे निवेदन है कि इसे अपने समाचार-पत्र में उचित स्थान पर छापकर लोगों का ध्यान इस ओर करवाने की कृपा करें। मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
    सधन्यवाद।

    भवदीय
    रमेश


     

    अथवा


    पता : .................
    दिनांक : ..............

    सेवा में,
    शिक्षा निदेशक,
    शिक्षा विभाग,
    नई दिल्ली।

    विषय: छात्रवृत्ति की धनराशि में बढ़ोतरी करने हेतु पत्र।

    महोदय,
    सविनय निवेदन है यह कि आजकर महँगाई तेज़ी से बढ़ती जा रही है। खाद्य वस्तुओं से लेकर हर छोटी-बड़ी वस्तुओं के दामों में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। कॉपी-किताब, पेंसिल इत्यादि भी इसकी चपेट से बाहर नहीं है। ऐसे में छात्रवृत्ति की धनराशि पिछले तीन सालों से उतनी ही दी जा रही है। इतनी धनराशि में तो किताबें भी पूरी नहीं आ पाती हैं। मेरे जैसे विद्यार्थी जो छात्रवृत्ति से ही अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाते हैं, उनके लिए दिक्कतें बढ़ रही हैं। यदि ऐसा ही रहा तो, मेरे जैसे कई बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएँगे।
    अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि शीघ्र ही इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए छात्रवृत्ति की धनराशि बढ़ायी जाए। आपके इस कदम से मेरे जैसे छात्र निश्चिंत होकर अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।

    सधन्यवाद।


    भवदीय
    कविता

    Question 33
    CBSEHIHN10002894

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

    भारतमाता
    ग्राम-वासिनी!
    खेतों में फैला है श्यामल
    धूल भरा मैला-सा अंचल
    गंगा-यमुना में आँसू-जल
    मिट्टी की प्रतिमा
    उदासिनी!

    दैन्य-जड़ित, अपलक नत चितवन,
    अधरों में चिर नीरव रोदन,
    युग-युग के तम से, विषण्ण मन,
    वह अपने घर में
    प्रवासिनी!

    तीस कोटि सन्तान नग्न तन
    अर्ध-क्षुधित, शोषित, निरस्त्र जन
    मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
    नत मस्तक; तरु-तल
    निवासिनी!

    (​क) भारतमाता को ग्राम-वासिनी क्यों कहा गया है?

    (ख) काव्यांश में प्रवासिनी किसके लिए आया है और क्यों?

    (ग) भारतमाता की संतान के बारे में कवि ने क्या कहा है?

    (घ) काव्यांश का केंद्रीय भाव लिखिए।
     

    Solution
    (क) भारतमाता का स्वरूप ग्राम में अधिक सजीव हो पाता है। खेतों के रंग उनके साँवले रंग का प्रतीक है। ग्राम में चारों ओर व्याप्त धूल उनके मैले आँचल का प्रतीक है। गंगा और यमुना नदी उनके आँसूओं का प्रतीक है। इन सबसे मिलकर उनकी मिट्टी की प्रतिमा स्वरूप पाती है। यही कारण है कि उन्हें ग्राम-वासिनी कहा गया है।
    (ख) भारतमाता के लिए प्रवासिनी कहा गया है। अपने ही देश में वह अंग्रेज़ों द्वारा प्रताड़ित हो रही है और परतंत्रता की वेदना को झेल रही है। अतः उसे प्रवासिनी कहा गया है।
    (ग)  भारतमाता की संतानें नग्न शरीर, भूख से व्याकुल, सताए हुए, बिना अस्त्रों के, मूर्ख, असभ्य, अक्षिक्षित, निर्धन और सम्मान रहित हैं।
    (घ) काव्यांश का केन्द्रीय भाव गुलाम भारत में भारत तथा भारतीयों की दयनीय दशा का वर्णन है।
     
    Question 34
    CBSEHIHN10002895

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 

    प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को ख़ुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाय दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है। इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे?

    मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाय एक ख़ास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्द्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक में स्पर्द्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं। वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। बहुमुखी लोगों में सबसे महान माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग 'विंची सिंड्रोम' से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज़्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।

    बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आज़माना दख़ल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में – 'एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए' का मंत्र ही शुरु से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज़्यादा फोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आज़मा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।

    (​क) बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है?

    (ख) बहुमुखी प्रतिभा वालों की किन कमियों की ओर संकेत है?

    (ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है?

    (घ) एेसे लोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्राय: सफल क्यों नहीं हो पाते?

    (ङ) प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों?

    (च) आशय स्पष्ट कीजिए:
    'प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।'

    Solution

    (क) बहुमुखी प्रतिभा का अर्थ हैः एक व्यक्ति में कई प्रतिभाओं का एक साथ होना। यह तब समस्या बन जाती है, जब वह हाथ आज़माने के स्थान पर दखल करने जैसा हो जाता है।
    (ख) बहुमुखी प्रतिभा वालों की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत किया गया है।–
    1. वे प्रतिस्पर्धा से घबराते हैं।
    2. उन्हें अपनी आलोचना से डर लगता है।
    3. वे हमेशा अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं
    4. असफलता का डर उन्हें हमेशा परेशान करता है।
    (ग) बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ उन क्षेत्रों में अधिक होती है, जिनमें वे सहज होते हैं। वैसे प्रंबधन के क्षेत्र में उनकी आवश्यकता अधिक होती है।
    (घ) ऐसे लोगों का स्वभाव कई कामों को एक साथ करने की इच्छा लिए होता है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने को बाध्य करती है।
    (ङ) प्रबंधन का कार्य कई कामों को एक साथ संभालना होता है। अतः यहाँ ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है। बहुमुखी प्रतिभा वाले एक समय पर कई काम सरलतापूर्वक कर सकते हैं। अतः प्रबंधन के कार्य के लिए वे उचित होते हैं।
    (च) इसका आशय है कि प्रतिभा स्वयं में सक्षम है। जो प्रतिभावान होता है, वह इसके दम पर ही अपनी पहचान बना लेता है। उसकी प्रतिभा लोगों को दिखने लगती है। उसे किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं होती है।

    Question 35
    CBSEHIHN10002903

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएः
    असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते-पीते उस दिन मेरे दिमाग़ से भूत और भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। केवल वर्तमान क्षण सामने था। और वह अनंत काल जितना विस्तृ़त था।

    (क) गद्यांश में किन दो कालों के बारे में बात की गई है और उनकी क्या विशेषता है?
    (ख) लेखक ने किस काल को सत्य माना है और क्यों?
    (ग) गद्यांश से लेखक क्या समझाना चाहता है? 

     

    Solution

    (क) इसमें लेखक ने भूतकाल तथा भविष्यकाल के बारे में बात की है। उसके अनुसार भूतकाल चला गया है और भविष्यकाल आने वाला है। यही इन दोनों की विशेषताएँ हैं।
    (ख) लेखक ने वर्तमान काल को सत्य माना है। यह हमारे सामने विद्यमान है। भूत तथा भविष्य का कोई अस्तित्व नहीं है। एक चला गया है और एक आने वाला है। अतः जिसे हम जी रहे हैं। वहीं सत्य है।
    (ग) गद्यांश से लेखक यह समझाना चाहता है कि हमें भूत तथा भविष्य की चिंता करना छोड़ देना चाहिए। इनके फेर में पड़कर हम स्वयं का जीवन नष्ट करते हैं। वर्तमान सत्य है और हमें इसे पूरे उत्साह से जीना चाहिए।

    Question 36
    CBSEHIHN10002907

    विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रातःकाल में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलने की सूचना देते हुए इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु सूचना-पट्ट के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।

    Solution

    रेनबो पब्लिक स्कूल

    नई दिल्ली

    सूचना

    दिनांक…….

     

    विद्यालय में छुट्टी के समय में योग के अभ्यास की कक्षाओं की सूचना!

    आप सभी को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में छुट्टी के दिनों में सुबह 6 बजे से योग के अभ्यास की कक्षाएँ आरंभ की जाएँगी।  
    इच्छुक विद्यार्थी इन दिनों में विद्यालय के मैदान में आकर इसका लाभ उठा सकते हैं। कृपया वह अपना नाम कक्षा अध्यापिका को इस सप्ताह तक दे दें।

    ......हस्ताक्षर…….

          नेहा मिश्रा

         (हेड गर्ल)
    रेनबो पब्लिक स्कूल

    Question 37
    CBSEHIHN10002908

    विद्यालय के गेट पर मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की शिकायत करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उन्हें रोकने का अनुरोध कीजिए ।     

    Solution

    पताः ....................
    दिनांक: ................
    सेवा में,
    प्रधानाचार्य जी,
    राजकीय उच्चतम बाल विद्यालय,
    मोती बाग,
    नई दिल्ली।
    विषय: मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की शिकायत करते हुए पत्र।
    महोदय/महोदया,
    मेरा नाम तरूण शर्मा है। मैं कक्षा 10वीं बी. में पढ़ता हूँ। मैं आपका ध्यान मध्यावकाश के समय ठेले और रेहड़ी वालों द्वारा जंक फूड बेचे जाने की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।
    बच्चे इसे खाकर बीमार पड़ रहे हैं। हमारे स्कूल में कैंटीन न होने के कारण बच्चे इसे खाने को विवश है। अत: आपसे प्रार्थना है कि आप यथाशीघ्र इस विषय पर ठोस कदम उठाएँ। आपके इस कार्य के लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे।
    आपका आज्ञाकारी शिष्य,
    रोहित

    Question 38
    CBSEHIHN10002909

    स्वच्छता-अभियान पर माँ-बेटी के संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए ।       

    Solution

    बेटी- माँ! नीचे देखो हमारे क्षेत्र के एम.एल.ए. आकर सफाई कर रहे हैं। 

      माँ- हाँ मैं जानती हूँ। तुम्हारे पापा ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया गया है। इसके तहत देशवासियों को अपने देश की स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अतः एम.एल.ए. जी यहाँ आकर स्वच्छता अभियान को बल दे रहे हैं।


    बेटी- वाह माँ! यह तो बड़ी अच्छी शुरूआत है। मैं भी जाकर सफाई करती हूँ।
    माँ- हाँ जाओ।

    Question 39
    CBSEHIHN10002910

    निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए :   

    (क) पुस्तकें पढ़ने की आदत

    • पढ़ने  की घटती प्रवृत्ति
    • कारण और हानि
    • पढ़ने की आदत से लाभ


    (ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र

    • क्या है
    • विद्यार्थियों के लिए उपयोग
    • सुझाव


    (ग) स्वास्थ्य की रक्षा

    • आवश्यकता
    • पोषक भोजन
    • लाभकारी सुझाव

    Solution

    (क) पुस्तकें पढ़ने की आदत

    पुस्तकें हमारे लिए ज्ञान का साधन हैं। अतः मनुष्य निरंतर पुस्तकों का अध्ययन करता है। आज समय की कमी के कारण पुस्तक पढ़ने  की आदत घटती जा रही है। आज कंप्यूटर का बोलबाला। मनुष्य को जानकारियाँ प्राप्त करने के लिए बाज़ार में जाने की आवश्यकता नहीं है। इंटरनेट के माध्यम से वह घर पर अपने कंप्यूटर या लैपटाप के माध्यम से किसी भी विषय पर जानकारी हासिल कर सकता है। इससे पुस्तकें पढ़ने की आदत पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे मनुष्य को यह हानि हो रही है कि अब धीरे-धीरे पुस्तकों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा है। मनुष्य को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो रही हैं।  पुस्तकें निरंतर पढ़ते रहने से ज्ञान लाभ होता है। समय का सदुपयोग होता है। 
     

    अथवा
     

    (ख) कम्प्यूटर हमारा मित्र
    कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जो मनुष्य के मस्तिष्क से भी कई गुना तेज़ चलती है। इंटरनेट से जुड़कर यह हर समस्या को पल में हल करने का दम रखती है। एक विद्यार्थी के लिए तो यह रामबाण औषधि की तरह कार्य करता है। पहले विद्यार्थियों को अपने अध्ययन के लिए पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं तक ही सीमित रहना पड़ता था, जिससे उनका ज्ञान भी सीमित रहता था। कंप्यूटर के माध्यम से उनका अध्ययन क्षेत्र विस्तृत बन गया है। अब उन्हें एक ही विषय से सम्बन्धित ढेरों जानकारियाँ घर में रहकर ही उपलब्ध हो जाती हैं। उनका ज्ञान क्षेत्र अब सीमित दायरों से निकलकर विशाल समुद्र की तरह हो गया है। इससे कुछ नुकसान भी हैं। अतः इस पर लगातार कार्य नहीं करना चाहिए। इसका उतना प्रयोग करना चाहिए, जिनता उचित हो।


    अथवा

     

    (ग) स्वास्थ्य की रक्षा
    स्वास्थ्य मनुष्य के जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। एक स्वस्थ मनुष्य जीवन के हर आनंद का अनुभव लेता है और पूरी स्फूर्ति से अपने दैनिक कार्य करता है। यदि हमारा स्वास्थ्य सही नहीं है, तो जीवन निराशा से भरा हो जाता है। किसी काम में मन नहीं लगता है। जीवन से सारा आनंद गायब हो जाता है। स्वास्थ्य रहने के लिए आवश्यक है कि वह निरोग रहे। निरोग रहने के लिए उसे संतुलित भोजन तथा रोज़ व्यायाम करना आवश्यक है। संतुलित भोजन शरीर की अन्य माँगों को पूरा करता है और मनुष्य को रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक खनिज, प्रोटीन तथा वसा उपलब्ध करवाता है। संतुलित भोजन शरीर को ऊर्जा तथा रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है तथा व्यायाम शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति हर कार्य करने में समर्थ होता है।  हमें जीवन का भरपूर आनंद लेने के लिए स्वास्थ्य को महत्व देना पड़ेगा।

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    Question 40
    CBSEHIHN10002911

    विद्यालय की कार्यानुभव-प्रयोगशाला में बनी मोमबत्तियाँ तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं की बिक्री हेतु लगभग 25 शब्दों में एक विज्ञापन लिखिए ।

    Solution

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