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जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर लिखा था-’वे सभी सजीव हैं. सांस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए; उनको बोलते; बातें करते देखो।’
‘अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए’ यह पंक्ति दर्शाती है कि फिल्म में अठहत्तर चेहरे थे अर्थात् फिल्म में अठहत्तर लोग काम कर रहे थे।
यह सत्य है कि मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है पर जब वह बोलने लगी तो उसमें अनेक परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन अभिनेता. दर्शक और तकनीकी दृष्टि से हुए जो निम्न प्रकार से हैं-
(1) अभिनेता-पहले मूक फिल्मों में पहलवान शरीर वाले करतब दिखाने वाले और उछल कूद करने वाले अभिनेताओं को प्रमुखता दी जाती थी लेकिन जब फिल्म बोलने लगी तो संवाद बोलना प्रमुख हो गया। एसे में पढ़े-लिखे अभिनेताओं को प्रमुखता दी गई क्योंकि संवाद शुद्ध व सही रूप में बोले जाने जरूरी थे। समयानुसार कई बार संवादों में परिवर्तन भी करना पड़ता था।
(2) दर्शक-बोलने वाली फिल्मों ने दर्शकों की रुचि में अपार परिवर्तन ला दिया। उन्हें फिल्मे सच के धरातल पर दिखाई देने लगी। अब फिल्मों में सार्वजनिक झलक दिखाई देने लगी।
(3) तकनीकी दृष्टि-तकनीकी स्वरूप में भी अब काफी परिवर्तन आ गया। पहला परिवर्तन ध्वनि के कारण हुआ और दूसरा महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कृत्रिम प्रकाश देने से आया। भाषा में भी बदलाव आ गया। अब परिष्कृत भाषा का प्रयोग होने लगा। वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग बढ़ गया क्योंकि अब गीत गाए जाने लगे थे।
यदि टेलीविजन की आवाज बंद करके फिल्म देखें तो हम पाएँगे कि संवाद और दृश्य ही फिल्म को प्रभावी बनाते हैं, एकाग्रता उत्पन्न करते हैं।
जबकि मूक फिल्में कई बार नीरस लगने लगती हैं। कई बार उनमें बहुत सी बातें स्पष्ट भी नहीं हो पाती।
शब्द उपसर्ग नया शब्द अर्थ
हित स सहित हित का अर्थ भलाई व सहित-हित के साथ।
परिवार स सपरिवार परिवार का अर्थ है माता-पिता, पति-पत्नी व बच्चों का साथ-साथ रहना सपरिवार-परिवार सहित।
विनय स सविनय विनय का अर्थ है प्रार्थना और सविनय-प्रार्थना सहित।
चित्र स सचित्र चित्र का अर्थ है कोई भी तस्वीर और सचित्र-चित्रों सहित।
बल स सबल बल अर्थात् शक्ति सबल-शक्ति के साथ।
सम्मान स ससम्मान सम्मान का अर्थ है आदर व ससम्मान-आदर सहित।
इन सभी शब्दों में ‘स’ उपसर्ग का प्रयोग हुआ है जो ‘सहित’ व ‘के साथ’ का भाव प्रकट करता है।
(i) मूल शब्द उपसर्ग नया शब्द
1. दान आ आदान
2. राग अनु अनुराग
3. कार उप उपकार
4. भाग्य दुर् दुर्भाग्य
5. काल पुरा पुराकाल
6. कर्म सत् सत्कर्म
7. गुण औ औगुण
8. पुत्र कु कुपुत्र
9. बंध नि निबंध
10. ज्ञान अ अज्ञान
11. पका अध अधपका
12. खाए बिन बिनखाए
13. यश सु सुयश
14. कोण सम समकोण
15. जान सु सुजान
(ii) मूल शम्शब्दरत्यय नया शब्द
1. पढ़ ना पढ़ना
2. ओढ़ नी ओढ़नी
3. लड़ आई लड़ाई
4. चिकना आहट चिकनाहट
5. सज आवट सजावट
6. विशेष तय। विशेषतया
7. कट वाई कटवाई
8. कवि त्व कवित्व
9. चाचा ऐस चचेरा
10. चमक चमकीला
11. एक ता एकता
12. लेख क लेखक
13. ध्यान पूर्वक ध्यानपूर्वक
14. काला पन कालापन
15. मन औती मनौती
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A.
14 मार्च. 1931C.
‘भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता’B.
आलम आस ‘अरेबियन नाइट्स’ जैसी फैटेंसी थी।C.
जिनमें अभिनय करने वाले व संवाद बोलने वाले अलग-अलग होते हैं।D.
वे सभी सजीव हैं, सांस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं. अठहत्तर मुर्दा इंसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखें।D.
क्योंकि इस दिन भारतीयों द्वारा पहली बोलने वाली फिल्म पर्दे पर दिखाई गई।C.
‘अरेबियन नाइटस’ जैसी मौज-मस्ती कीB.
बोलने वाली फिल्म ने भाषा को परिष्कृत किया।C.
हिंदुस्तानी भाषा के साथ-साथ गीत, संगीत व नृत्य काA.
लोगों ने इसे बहुत पसंद किया। आठ सप्ताह तक हाउसफुल चला।B.
ध्वनि व कृत्रिम प्रकाश के साथ-साथ बोलने वाली फिल्म लोगों की भावनाओं को उद्वेलित करने वाली थी।Sponsor Area
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