अर्थशास्र Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा
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    NCERT Solution For Class 9 सामाजिक विज्ञान अर्थशास्र

    भारत में खाद्य सुरक्षा Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 4 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान भारत में खाद्य सुरक्षा Chapter 4 NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान भारत में खाद्य सुरक्षा Chapter 4 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 सामाजिक विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHISSH9009484

    भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?   

    Solution

    सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक तैयार खाद्य सुरक्षा व्यवस्था के माध्यम से भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।

    इस व्यवस्था के दो घटक है:
    (क) बफ़र स्टॉक और (ख) सावर्जनिक वितरण प्रणाली

    (क) बफ़र स्टॉक: बफ़र स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूँ और चावल का भंडार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरदीता है।

    खरीदे हुए अनाज खाद्य भंडारों में रखे जाते हैं। ऐसा कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर आनाज के वितरण के लिए किया जाता है। यह ख़राब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।

    (ख) सावर्जनिक वितरण प्रणाली: भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है।

    Question 2
    CBSEHHISSH9009485

    कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं? 

    Solution

    निम्न लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं:-

    (i) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्गों (इनमें से निचली जातियाँ) का या तो भूमि का आधार कमज़ोर होता है या फिर उनकी भूमि की उत्पादकता बहुत कम होती है, वे खाद्य की दृष्टि से शीघ्र असुरक्षित हो जाते है।

    (ii) वे लोग भी खाद्य की दृष्टि से सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं और जिन्हें काम की तलाश में दूसरी जगह जाना पड़ता हैं।

    (iii) खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त आबादी का बड़ा भाग गर्भवती तथा दूध पीला रही महिलाओं तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों का हैं।

    Question 3
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    भारत में कौन-से राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं?

    Solution

    भारत में कुछ राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं। इनमे बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश विशेषकर पूर्वी और दक्षिणी-पूर्वी हिस्से, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भाग शामिल हैं।   

    Question 4
    CBSEHHISSH9009487

    क्या आप मानते हैं कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्म-निर्भर बना दिया है? कैसे? 

    Solution

    हाँ हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्म निर्भर बना दिया है।
    खाद्यान्न में आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के लिए भारत ने कृषि में एक नई रणनीति अपनाई जिससे 1960 के दशक में हरित क्रांति हुई। यह क्रांति विशेषकर गेहूँ और चावल के उत्पादन में हुई। पंजाब और हरियाणा में सर्वाधिक वृद्धि पर दर्ज की गई। इन राज्यों में खाद्यान्नों का उत्पादन तेजी से बढ़कर 1964-65 के 72.3 लाख टन की तुलना में 1995-96 में 303.03 लाख टन पर पहुँच गया। जबकि बिहार, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तरी-पूर्वी राज्यों में उत्पादन धीमी गति से बढ़ा। दूसरी ओर, तमिलनाडु ओर आंध्र प्रदेश में चावल की उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
    1. देश भर में विविध प्रकार की फसलें उपजाई जाने लगी हैं।
    2. हरित क्रांति के बाद भारत में कभी अकाल नहीं पड़ा है ओर वह खाद्यान्न में आत्म-निर्भर हो गया है।
    3. हरित क्रांति आने के बाद उत्पादन बढ़ने से हमे दूसरे देशों से खाद्यान्नों का आयत नहीं करना पड़ता है।
    4. मौसम की विपरीत दशाओं में भी देश में खाद्यान्न की उपलब्धता पर्याप्त होती है।

    Question 5
    CBSEHHISSH9009488

    भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित हैं। व्याख्या कीजिए। 

    Solution

    एससी, एसटी, ओबीसी, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों, महिलाओं (गर्भवती और नर्सिंग माताओं) और भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चे अभी भी खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हैं ।

    गरीबी अधिक हैं, आदिवासी और सुदूर-क्षेत्र, प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार प्रभावित होने वाले क्षेत्र आदि में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की संख्या आनुपातिक रूप से बहुत अधिक हैं।

    इस दुर्भाग्यपूर्ण का मुख्य कारण यह है कि कई गरीब परिवारों के पास भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त धन या आय भी नहीं है। दूसरे शब्दो में भोजन और भोजन की पहुंच की उपलब्धता तो है, लेकिन गरीब परिवारों को भोजन ख़रीदने का सामर्थ्य नहीं है।

    Question 6
    CBSEHHISSH9009489

    जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है?    

    Solution

    (i) प्राकृतिक आपदा जैसे सूखा और बाढ़ के कारण खाद्यान्न के कुल उत्पादन में गिरावट आती है।
    (ii) खाद्य की कमी के कारण मूल्यें बढ़ जाते हैं। कुछ लोग ऊँचे मूल्यों पर खाद्य पदार्थ नहीं खरीद पाते हैं।
    (iii) खाद्यान्नों के उत्पादन में कमी के कारण प्रभावित क्षेत्रों में इनकी कमी हो जाती हैं।
    (iv) यदि यह आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है या लम्बे समय तक बनी रहती है तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।
    (v) व्यापक भुखमरी से अकाल की स्थिति बन सकती है जो हज़ारों लोगों की मौत का कारण हो सकती है।

    Question 7
    CBSEHHISSH9009490

    मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद कीजिए? 

    Solution

    मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद निम्नलिखित है:

    मौसमी भुखमरी फसल उपजाने और काटने के चक्र से संबद्ध है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे, बरसात के मौसम में अनियत निर्माण श्रमिक को कम कम रहता है। इस तरह की भुखमरी तब होती है, जब कोई व्यक्ति पुरे वर्ष काम पाने में असक्षम रहता है।

    दूसरी तरफ, दीर्घकालिक भुखमरी मात्रा एवं/या गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यंत निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरदीने में असक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त हैं।

     

    Question 8
    CBSEHHISSH9009491

    गरीबो को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकार की ओर से शुरू की गयी किन्हीं दो योजनाओं की चर्चा कीजिए 

    Solution

    हमारी सरकार ने बफर स्टॉक, पीडीएस, अंत्योदय अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना जैसे विभिन्न योजनाएं शुरू करने से गरीबों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए बहुत कुछ किया है।

    सरकार की ओर से शुरू की गयी दो योजनाएँ निम्नलिखित है:

    सावर्जनिक वितरण प्रणाली: सावर्जनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों में वितरित करती है। इसे सावर्जनिक वितरण प्रणाली (पी. डी. एस.) कहते हैं। यह योजना 1 99 2 में शुरू हुई थी।

    अंत्योदय अन्न योजना: अंत्योदय अन्न योजना दिसंबर 2000 में शुरू की गई थी। इसमें गरीबी रेखा के नीचे के लोगों के परिवारों का सर्वेक्षण कर अत्यधिक सहायता प्राप्त दर पर प्रत्येक परिवार को 35 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया जाता है।

     

    Question 9
    CBSEHHISSH9009492

    सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है? 

    Solution

    सरकार द्वारा बफर स्टॉक बनाने के मुख्य कारण है: 
    बफर स्टॉक का इस्तेमाल कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं।

    यह ख़राब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।

    Question 10
    CBSEHHISSH9009493

    टिप्णी लिखें:
    न्यूनतम समर्थित कीमत 

    Solution
    न्यूनतम समर्थित कीमत : जब भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यों में किसानों से गेहूँ और चावल खरीदता है तब किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित कीमत कहा जाता है।
    Question 11
    CBSEHHISSH9009494

    टिप्णी लिखें:
    बफ़र स्टॉक 


    Solution
    बफ़र स्टॉक: यह सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज का भंडार है। उदहारण के लिए, गेहूँ और चावल का अधिशेष उत्पादन भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से सरकार द्वारा खरीदकर भंडारित होता है।   
    Question 12
    CBSEHHISSH9009495

    टिप्णी लिखें:
    निर्गम कीमत 

    Solution
    निर्गम कीमत: जब सरकार द्वारा कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज का वितरण किया जाता है तब उस कीमत को निर्गम कीमत कहते है।     
    Question 13
    CBSEHHISSH9009496

    टिप्णी लिखें:
    उचित दर की दुकान 

    Solution

    उचित दर की दुकान: राशन की दुकानें, जिन्हें उचित दर वाली दुकानें भी कहा जाता हैं, कोई भी परिवार अपने राशन कार्ड से अनाज, मिट्टी का तेल, चीनी आदि की एक निश्चित मात्रा प्रतिमाह उचित दर वाली दुकानों से खरीद सकता है। ये दुकानें बाज़ार कीमत से कम कीमत पर लोगों को सामान बेचती है।

    Question 14
    CBSEHHISSH9009497

    राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएँ हैं?

    Solution

    राशन की दुकानों के संचालन में कई समस्याएँ हैं:

    (i) पी. डी. एस. डीलर अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाज़ार में बेचना, राशन दुकानों में घटिया अनाज बेचना, दुकान कभी-कभार खोलना जैसे कदाचार करते हैं।

    (ii) कई डीलर वजन कम देते हैं और अशिक्षित ग्राहकों को धोका देते हैं।

    (iii) पहले प्रत्येक परिवार के पास चाहे वह निर्धन हो या गैर-निर्धन, एक राशन कार्ड था, परन्तु अब तीन प्रकार के कार्ड और भिन्न कीमते हैं।

    (iv) निर्धनता रेखा से ऊपर वाले किसी भी परिवार को राशन दुकान पर बहुत कम छूट मिलती है। इसलिए राशन की दुकान से इन वस्तुओं की खरीदारी के लिए उनको बहुत कम प्रोत्साहन प्राप्त है।

    (v) राशन दुकानों में घटिया किस्म के अनाज का पड़ा रहना आम बात है, जो बिक नहीं पाता। यह एक बड़ी समस्या साबित हो रही है। जब राशन की दुकानें इन अनाजों को बेच नहीं पातीं, तो एफ.सी.आई. के गोदामों में अनाज का विशाल स्टॉक जमा हो जाता है।

    Question 15
    CBSEHHISSH9009498

    खाद्य और सम्बंधित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों की भूमिका पर एक टिपण्णी लिखें।   

    Solution

    सहकारी समितियों की भूमिका:
    (i) भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ खाद्य सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
    (ii) सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए काम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं।
    उधारणतः तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें है, उनमें से करीब ९४ प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं।
    (iii) दिल्ली में मदर डायरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्ज़ियाँ उपलब्ध कराने में तेज़ी से प्रगति कर रही है।
    (iv) गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। इसने देश में श्‍वेत क्रांति ला दी है।

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