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निम्नलिखित में अंतर 30 शब्दों से अधिक न दें।
लौह और अलौह खनिज
लौह खनिज | अलौह खनिज |
(i) वे धात्विक खनिज पदार्थ जिन में लौह अंश पाया जाता है वे लौह खनिज कहलाते है। |
(i) वे धात्विक खनिज पदार्थ जिन में लौह अंश नहीं पाया जाता वे अलौह खनिज कहलाते है। |
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
परंपरागत तथा गैर-परंपरागत ऊर्जा साधन
परंपरागत ऊर्जा साधन | गैर-परंपरागत ऊर्जा साधन |
(i) परंपरागत ऊर्जा के साधन- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस है। |
(i) गैर परंपरागत ऊर्जा के साधन सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा बायोगैस, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा है। |
खनिज क्या है?
भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यामन समरूप तत्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना है। प्रकृति में खनिज कई रूपों में पाए जाते है। ये कठोर हीरे के रूप में भी और नरम चुने के रूप में भी मौजूद है। कुछ चट्टानें केवल एक ही खनिज से बनी है, परन्तु अधिकतर चट्टानें अनेक खनिजों का योग है। यद्यपि 2000 खनिजों की पहचान की जा चुकी है पर इसमें से कुछ ही उपयोग में आते है। एक विशेष खनिज जो किन्हीं खनिज तत्त्वों के मिश्रण से बनता है उसकी भौतिक और रासायनिक दशाओं पर निर्भर करता है। इसके फलस्वरूप इसमें रंग, कठोरता, चमक तथा खनिज का घनत्व आ जाता है। भू-वैज्ञानिक इन्ही विषेशताओं के आधार पर खनिजों का वर्गीकरण करते है।
आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिजों का निर्माण कैसे होता है?
आग्नेय तथा कायांतरित चट्टानों में खनिज दरारों, जोड़ों, विदारों, भ्रंशों में मिलते है। छोटे जमाव सिराओं के रूप में तथा बृहत् जमाव परत के रूप में पाए जाते है। इनका निर्माण भी अधिकतर उस समय होता है जब ये तरल और गैसीय अवस्था में दरारों के सहारे भू-पृष्ठों की ओर धकेला जाता है और ऊपर आकर ठंडे हो जाते है। मुख्य धात्विक खनिज जैसे जस्ता, सीसा, जिंक आदि इसी तरह के दरारों से पाए जाते है।
हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता होती है?
हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि उद्योग और कृषि दोनों ही खनिजों पर निर्भर करते है। खनिजों का प्रयोग लाखों वर्षों से होता रहा है। उन खनिजों का बहुत महत्व है जो कार्य योग्य होते है। खनिज निर्माण की भूगर्भिय प्रक्रियाएँ इतनी धीमी है कि उसके वर्तमान उपभोग की दर की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से थोड़ी है। हमारे देश में मूल्वान खनिज पाए जाते है परन्तु कम समय के लिए। खनिज संसाधन सीमित तथा अनवीकरण योग्य है। अयस्क के निरंतर खनन से लागत बढ़ती है क्योंकि उत्खनन की गहराई बढ़ने के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता घटती जाती है।
भारत में कोयले के वितरण का वर्णन कीजिए।
(i) भारत में कोयले दो मुख्य भू-गर्भीय युगों के शैल क्रम में पाया जाता है, एक गोंडवाना निक्षेप जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से अधिक है और दूसरा टरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने है।
(ii) गोंडवाना कोयला, जो धातु शोधन कोयला हैं, के प्रमुख संसाधन दामोदर घाटी, झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित है ये महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र है।
(iii) गोदावरी, महानदी, सोना और वर्धा नदी घाटियों में भी इस प्रकार के कोयले के जमाव पाये जाते है।
(iv) टरशरी कोयला के निक्षेप उत्तर-पूर्वी राज्यों मेघालय, असम, अरुणांचल प्रदेश और नागालैंड में पाए जाते है।
(v) कोयला शूल प्रदार्थ है जिसका प्रयोग करने पर इसका भार घटता है क्योंकि यह राख में परिवर्तित हो जाता है।
भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्जवल है। क्यों?
भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य निम्नलिखित कारणों से उज्जवल है-
(i) भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है।
(ii) इसमें सौर ऊर्जा के दोहन करने की भारी संभावनाएँ हैं।
(iii) फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी से सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत में बदल दिया जाता है।
(iv) ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में सौर ऊर्जा तेजी से प्रचलित हो रही है।
(v) सौर ऊर्जा संयंत्रों को भारत के विभिन्न भागों में स्थापित किया जा रहा है, जिससे प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलती है। यह पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
खनिजों में विविध रंग, कठोरता, विविध क्रिस्टल, चमक और घनत्व क्यों पाये जाते हैं?
खनिजों में विविध रंग, कठोरता, विविध क्रिस्टल, चमक और घनत्व पाये जाते हैं क्योंकि इसमें भौतिक और रासायनिक दशाएं होती हैं।
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