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TextBook Solutions for Haryana Board - English Medium Class 10 Hindi हिंदी व्याकरण Chapter 1 हिंदी व्याकरण

Question 1
CBSEENHN100018857

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। [2*4=8]

आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में यह शौक हानिकारक है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं। छोटे बालक मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। इस उम्र में वे जो भी देखते हैं उसका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वे शीघ्र ही अपना लेते हैं समाजशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज में चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण दूरदर्शन तथा चलचित्र भी है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। बिना समय की पाबंदी के घंटों दूरदर्शन के साथ चिपके रहना बिलकुल गलत है। इससे मानसिक विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है।

(क) आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव किन पर अधिक पड़ता है और क्यों ?
(ग) दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव हैं?
(घ) ‘बाल्यावस्था’ शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

Solution

(क) आजकल दूरदर्शनों के धारावाहिकों का स्तर घटता जा रहा है। उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं।

(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वे मानसिक रूप से अपरिपक्व होते है। वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है।

(ग) दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव हैं जैसे- इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। नज़र कमजोर पड़ती है एवं घंटों दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी घट जाती है।

(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि-विच्छेद- बाल + अवस्था।

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक-दूरदर्शन के प्रभाव’।

Question 2
CBSEENHN100018858

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [1*7=7]

कोलाहल हो
या सन्नाटो कविता सदा सृजन करती है।
जब भी आँसू हुआ पराजित
कविता सदा जंग लड़ती है।
जब भी कर्ता हुआ अकर्ता
कविता ने जीना सिखलाया
यात्राएँ जब मौन हो गईं
कविता ने चलना सिखलाया
जब भी तम का जुल्म बढ़ा है,
कविता नया सूर्य गढ़ती है,
जब गीतों की फसलें लुटर्ती
शीलहरण होता कलियों का,
शब्दहीन जब हुई चेतना
तब-तब चैन लुटा गलियों का
अपने भी ओ गए पेराए
यों झूठे अनुबंध हो गए।
घर में ही बनवास हो रहा
यों गूगें संबंध हो गए।

(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सृजन करती है? स्पष्ट कीजिए।
(ख) भाव समझाइए ‘जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।’
(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?
(घ) “परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लर्गी’-यह भाव किस पंक्ति में आया है?
(ङ) कविता जीना कब सिखाती है?

अथवा

जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया।
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर,
कब अंबर शोक मनाता है?
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुबन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाई कितनी बल्लरियाँ,
जो मुरझाई फिर कहाँ खिल,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुबन शोर मचाता है?
जो बीत गई तो बात गई।

(क) ‘जो बीत गई सो बात गई’ से क्या तात्पर्य है। स्पष्ट कीजिए।
(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए, और क्यों ?
(ग) “सूखे फूल’ और ‘मधुबन’ के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए।
(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है?
(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा’ किसे माना होगा?

Easy

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