Vasant Bhag 3 Chapter 12 सुदामा चरित
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    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    सुदामा चरित Here is the CBSE Hindi Chapter 12 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi सुदामा चरित Chapter 12 NCERT Solutions for Class 8 Hindi सुदामा चरित Chapter 12 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8000837

    सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। 

    Solution
    सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण व्यथित हो गए और दूसरीं पर करुणा करने वाले दीनदयाल स्वयं रो पड़े।
    Question 2
    CBSEENHN8000838

    “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

    Solution
    जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हे देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एड़ियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे।
    Question 3
    CBSEENHN8000839

    “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।” 
    (क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
    (ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
    (ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

    Solution
    (क) यह पंक्ति श्रीकृष्ण ने सुदामा से कही।
    (ख) जब श्रीकृष्ण कौ सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई चावलों की पोटली नहीं देते तै। उन्होंने कहा कि तुम चोरी करने में कुशल हो।
    (ग) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में पढ़ते थे तो एक बार गुरुमाता ने इन दोनों को चने देकर लकड़ी तोड़ने भेजा। कृष्ण पेड़ पर चढ़कर लकड़ियाँ तोड़ रहे थे तो नीचे खड़े सुदामा चने खाते जा रहे थे। कृष्ण को जब चने चबाने की आवाज आई तो उन्होंने सुदामा से पूछा कि क्या चने खा रहे हो? सुदामा ने झूठ बोलते हुए कहा, नही चने नहीं खा रहा यह तो ठंड के कारण मेरे दाँत बज रहे हैं। लेकिन जब श्रीकृष्ण नीचे उतरे तो सुदामा के पास चने न पाकर क्रोधित हो उठे। तब उन्होंने सुदामा को कहा कि सुदामा तुमने मेरे चनों की चोरी की है।
     
    Question 4
    CBSEENHN8000840

    द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए। 

    Solution
    जब श्रीकृष्ण ने विदाई के समय सुदामा की कोई मदद न की तो उन्हें बहुत बुरा लगा। वे सोचने लगते हैं कि यह किसी को क्या देगा भले ही विपुल धन संपत्ति इसके पास है। बचपन में तो थोड़ी-सी दही के लिए सभी घरों में हाथ फैलाता था।
    वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ उठते हैं क्योंकि उन्हें कृष्ण से ऐसी उम्मीद न थी कि वे उसे खाली हाथ ही लौटा देंगे। सुदामा के मन में दुविधा आ जाती है कि इतने आदर सत्कार से स्वागत व विदाई देने वाले कृष्ण ने ऐसा क्यों किया?
     
    Question 5
    CBSEENHN8000841

    अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    सुदामा जब अपने गाँव लौटकर अपनी झोपड़ी न खोज पाए तो उनके मन में यह विचार आया कि कहीं फिर से द्वारिका तो नहीं पहुँच गए। जब उन्हे अपना घर ढ़ुँढ़े न मिला तो उन्होंने लोगों से सुदामा पांडे का घर पूछना चाहा।
    Question 6
    CBSEENHN8000842

    निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution
    सुदामा अपनी आर्थिक परेशानियों से तंग आकर कृष्ण के पास सहायता हेतु गया था। कृष्ण ने जब प्रत्यक्ष रूप से उसे कुछ न दिया तो वह मन ही मन निराश था। लेकिन जब अपने गाँव पहुँचता है तो पाता है कि सब कुछ बदल गया। कृष्ण ने उसे सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण कर दिया। उसकी टूटी झोंपडी के स्थान पर सोने का महल बन जाता है। पहले पाँवों में पहनने हेतु जूते तक नहीं थे और अब महावत हाथी लिए दरवाजे पर खड़े थे। कभी रातें सख्त जमीन पर कटती थीं लेकिन अब रेशमी सेज है। कभी उसे खाने को मोटा अनाज भी नहीं मिलता था अब तो ईश्वर की कृपा से अंगूर भी अच्छे नहीं लगते अर्थात् कृष्ण की कृपा से सब कुछ परिवर्तित हो गया था।
    Question 7
    CBSEENHN8000843

    द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।

    Solution

    श्रीकृष्ण सुदामा की प्रत्यक्ष रूप में सहायता नहीं करना चाहते थे क्योंकि देने का भाव आते ही मित्रता बड़े-छोटे की भावना में बदल जाती है जबकि कृष्ण ऐसा नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सुदामा की सहायता प्रत्यक्ष रूप में न करके अप्रत्यक्ष रूप में की।
    द्रुपद और द्रोणाचार्य भी मित्र थे एक साथ आश्रम में पढ़ते थे। द्रुपद बहुत अमीर व द्रोणाचार्य बहुत गरीब थे। द्रुपद ने द्रोणाचार्य से कहा कि जब मैं शासन-सत्ता की संभाल करूँगा तो आधा राज्य तुम्हें सौंप दूँगा ताकि तुम्हारी गरीबी समाप्त हो जाए। इस प्रकार मित्रता का वचन निभाउँगा। समय आता है, द्रुपद राजा बनता है लेकिन अपना वायदा भूल जाता है। द्रोणाचार्य ने अपने जीवन में अत्यधिक कठिनाइयाँ झेली थीं। एक दिन सहायता हेतु द्रुपद के पास जाते हैं तो वह उस गरीब ब्राह्मण मित्र का अपमान कर उन्हें दरबार से बाहर निकलवा देता है।
    इन दोनों वक्तव्यों में अंतर यह है कि कृष्ण ने अप्रत्यक्ष रूप में मित्र की सहायता कर मित्रता का मान बढ़ाया और द्रुपद ने मित्र को अपमानित करके मित्रता को कलंकित किया।

     
    Question 8
    CBSEENHN8000844

    उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।

    Solution
    यह सत्य है कि आजकल उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता, भाई-बंधुओं से नजर फेर लेता है। ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित ऐसी चुनौती खड़ी करता है कि उन्हें अपनी सभ्यता व संस्कृति से सीख लेनी चाहिए कि युगों पूर्व ईश्वरीय स्वरूप कृष्ण ने भी अपने मित्र का साथ न छोड़ा जिस मित्र ने बचपन में उनके हिस्से के चने खाकर उन्हें धोखा भी दिया। लेकिन जब वह दीन अवस्था में कृष्ण के समक्ष आया तो उन्होंने गरीबी अमीरी का भेदभाव भुलाकर उसे अपने हदय से लगा लिया। लेकिन हम थोड़ा-सा संपन्न होते हैं तो अपनें माता-पिता जो कि हमें जन्म देने वाले व हमारे मार्ग दर्शक हैं, उन्हें कैसे भूल जाते हैं? भाई-बंधु जो पल-पल के दुख-सुख में हमारा साथ देते हैं उन्हें भुलाना या उनसे नजरें फेरना क्या उचित है? हमें चाहिए कि दुख के क्षण है या सुख की घड़ियाँ सभी के साथ मिल-जुल कर रहें। सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूर्णरूप से निभाएँ।
    Question 9
    CBSEENHN8000845

    अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बढ़त वर्षो बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?

    Solution
    यदि हमारा कोई अभिन्न मित्र बहुत वर्षो के बाद मिलने आए तो हमे अपार खुशी होगी। उसे मिलते ही हमें अपने पुराने समय की एक-एक बात, उसके साथ बिताया एक-एक पल याद आन लगेगा।
    Question 10
    CBSEENHN8000846

    कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
    विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
    इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।

    Solution

    इस दोहे में रहीम जी का कहना है कि जब मनुष्य के पास धन-संपत्ति होती है ता बहुत से लोग उसके मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मुश्किल समय में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं।
    सुदामा चरित के अनुरूप यह दोहा पूर्णतया सही है क्योंकि कृष्ण व सुदामा बचपन के मित्र तो। थे लेकिन बड़ होकर कृष्ण द्वारिकाधीश बने और सुदामा गरीब के गरीब ही रहे। एक बार पत्नी के आग्रह करने पर कि आप अपने मित्र कृष्ण के पास जाओ वे अवश्य हमारी सहायता करेंगे। सुदामा जब कृष्ण के पास जाते हैं तो वे उसे सर- आँखों पर बिठाते हैं। उनका आदर सत्कार कर उनकी दीन दशा हेतु व्यथित हो उठते हैं। जब सुदामा वापिस घर जाते हैं तो मार्ग मैं सोचते हैं कि कृष्ण के पास आना व्यर्थ रहा। उन्होंने कुछ भी सहायता नहीं की। लेकिन जब अपने गाँव पहुँचते हैं ताे देखकर हैरान हो जाते हैं कि उनके राजसी ठाठ-बाट बन चुके हैं। मन-ही-मन कृष्ण के प्रति कृतज्ञ हो जाते हैं कि प्रत्यक्ष रूप से कुछ देकर उन्होंने मित्रता को छोटा नहीं किया।

    Question 12
    CBSEENHN8000848

    इस कविता को एकांकी में बदलिए और उसका अभिनय कीजिए।

    Solution
    कक्षा के छात्र इस कविता को एकांकी के रूप में बखूबी कर सकते हैं। एक छात्र कृष्ण, एक सुदामा व एक द्वारपाल बने। राजमहल, आश्रम, गाँव के दृश्य बनाइए। फिर कविता को संवादों के रूप में बदलकर अभिनय कीजिए।
    Question 13
    CBSEENHN8000849

    कविता के उचित सस्वर वाचन का अभ्यास कीजिए।

    Solution
    यह वाचन विषयाध्यापक/विषयाध्यापिका के समक्ष कीजिए।
    Question 14
    CBSEENHN8000850

    ‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।

    Solution

    मित्रता संबंधी दोहो/चौपाइयाँ
    1. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
        विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।

    2. जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।
        निज दुख गिरि समरज जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना।।

    Question 15
    CBSEENHN8000851

    सुदामा की वेशभूषा क्या दर्शाती है?

    Solution
    सुदामा की वेशभूषा दर्शाती है कि वे अत्यंत दीन अवस्था मे जीवन व्यतीत कर रहे थे।
    Question 16
    CBSEENHN8000852

    मित्र सुदामा से मिलकर श्रीकृष्णा की दशा का वर्णन कीजिए।

    Solution
    मित्र सुदामा की दीन दशा देखकर सब पर करुणा करने वाले श्रीकृष्ण स्वयं ही रो पड। उन्होंने सुदामा के पाँव अपनी आँखों के आँसुओं से ही धो डाले।
    Question 17
    CBSEENHN8000853

    श्रीकृष्ण ने सुदामा को क्या उलाहना दिया?

    Solution
    श्रीकृष्ण ने सुदामा के पोटली छिपाने पर यह उलाहना दिया कि भाभी के अमृत भर चावल मुझ दंत क्या नहीं? क्या अभी भी तुम्हारी चोरी की आदत नहीं गई? उन्होंने बचपन में गुरुमाता द्वारा दिए चने, सुदामा द्वारा खा जाने की बात याद करवा दी।

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    Question 18
    CBSEENHN8000854

    द्वारिका से लौटते समय सुदामा कृष्णा के व्यवहार से खीझ क्यों रहे थे?

    Solution
    द्वारिका से लौटते समय सुदामा कृष्ण के व्यवहार के प्रति खीझ उठे क्योंकि-उनकी आशानुरूप कृष्ण ने उनकी मदद न की थी उन्हें याद आने लगे वे दिन जब बचपन में कृष्ण थोड़ी सी दही के लिए घर-घर जाकर हाथ फैलाते थे।
    Question 19
    CBSEENHN8000855

    अपने गाँव लौटने पर सुदामा के भ्रमित होने का कारण क्या था?

    Solution
    अपने गाँव लौटने पर सुदामा के भ्रमित का कारण था उसके गाँव का बदलाव होना, अब उसका गाँव भी द्वारका की भाँति दिख रहा था। वह यह सोचने लगा कि कहीं गलती से घूम कर फिर से द्वारका ताे नहीं पहुंच गया। वास्तव में यह श्रीकृष्ण की असीम कृपा थी। उन्होंने प्रत्यक्ष नहीं अप्रत्यक्ष रूप से सुदामा को सब कुछ दे दिया।
    Question 20
    CBSEENHN8000856

    सुदामा ने कभी श्रीकृष्ण को दया का सागर कहा है, कभी उनके प्रति खीझ का भाव प्रकट किया है। इन विभिन्न प्रतिक्रियाओं के पीछे क्या कारण था?

    Solution
    मनुष्य के स्वभाव में समयानुसार परिवर्तन होते है। आशा पूरी होने पर व्यक्ति दूसरे को साधुवाद देता है अन्यथा वह खीझता या दुखी होता है। यही कारण है कि सुदामा ने कभी श्रीकृष्ण की दया का सागर कहा तो कभी उन पर खीझ उठा। क्योंकि उसके दुख से दुखी होकर जब कृष्ण रो पड़े तो वे उसे दया के सागर प्रतीत हुए लेकिन विदाई के समय जब उन्होंनं कोई मदद न की तो सुदामा खीझ उठा।
    Question 21
    CBSEENHN8000857

    सुदामा के गाँव का स्वरूप कैसे बदल गया?

    Solution
    सुदामा जब श्रीकृष्ण के पास से वापिस आया तो अपने गाँव को पहचान नहीं पाया उसे भ्रम हो गया कि कहीं फिर से घूमकर द्वारिका तो नहीं पहुँच गया। क्योंकि गाँव का पूरा स्वरूप द्वारिका की भाँति हो गया था। उसे अपना घर भी किसी से पूछना पड़ा वहाँ झोपड़ी के स्थान पर बड़ा महल बन चुका था।
    Question 22
    CBSEENHN8000858

    कृष्ण ने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप में क्यों की थी?

    Solution
    कृष्ण ने सुदामा की मनोदशा जान ली थी। लेकिन प्रत्यक्ष रूप से सुदामा की सहायता न करके अप्रत्यक्ष रूप से की क्योंकि प्रत्यक्ष रूप में सुदामा को कुछ भी देकर वे उसे उसकी नजरों में नीचा नहीं करना चाहते थे। ऐसी मित्रता निभाई कि सुदामा दिल ही दिल उनके कृतज्ञ हो गए।
    Question 39
    CBSEENHN8000875

    नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।
    चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।

    आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।
    स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सों, “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।।
    पोटरि काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधा रस भीने।
    पाछिलि बानि अजाै न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे।।”

    सुदामा कृष्ण को चावल की पोटली देने में संकोच क्यों कर रहे थे?

    • क्योंकि यह भेंट कृष्ण के ठाठ-बाट के समक्ष तुच्छ थी।
    • चावल कच्चे थे
    • चावल कम थे
    • चावल के साथ कुछ और न था।

    Solution

    A.

    क्योंकि यह भेंट कृष्ण के ठाठ-बाट के समक्ष तुच्छ थी।

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    Question 40
    CBSEENHN8000876

    नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।
    चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।

    आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।
    स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सों, “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।।
    पोटरि काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधा रस भीने।
    पाछिलि बानि अजाै न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे।।”

    गुरुमाता द्वारा चने दिए जाने का प्रसंग क्या है?

    • जब श्रीकृष्ण और सुदामा गुरुकुल में पढ़ते थे तो उन्हें गुरुमाता ने चने दिए जंगल में लकड़ी तोड़ते समय खाने हेतु।
    • कृष्ण की बहादुरी पर प्रसन्न होकर गुरुमाता ने उन्हें चने दिए।
    • सुदामा गरीब होने के कारण चने ही खाता था।
    • इनमें से कोई एक।

    Solution

    A.

    जब श्रीकृष्ण और सुदामा गुरुकुल में पढ़ते थे तो उन्हें गुरुमाता ने चने दिए जंगल में लकड़ी तोड़ते समय खाने हेतु।
    Question 41
    CBSEENHN8000877

    नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।
    चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।

    आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।
    स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सों, “चोरी की बान में ही जू प्रवीने।।
    पोटरि काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहिं सुधा रस भीने।
    पाछिलि बानि अजाै न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे।।”

    ‘तुम चोरी की आदत में कुशल हो’-ऐसा कृष्ण ने क्यों कहा?

    • क्योंकि सुदामा ने कृष्ण के हिस्से के भी चने खा डाले थे।
    • क्योंकि सुदामा कृष्ण की वस्तुओं की चोरी करता था।
    • एक बार सुदामा चोरी करके जेल में भी रहा।
    • वे बचपन की बातों में खोना चाहते थे।

    Solution

    A.

    क्योंकि सुदामा ने कृष्ण के हिस्से के भी चने खा डाले थे।
    Question 44
    CBSEENHN8000880

    नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात।
    वह पठवनि गोपाल की, कछू न जानी जात।।
    घर-घर कर ओड़त फिरे, तनक दही के काज।
    कहा भयो जो अब भयो, हरि को राज-समाज।
    हौं आवत नाहीं हुतौ, वाही पठयो ठेलि।।
    अब कहिहौं समुझाय कै, बहु धन धरी सकेलि।।

    सुदामा के मन में कृष्ण के प्रति खीझ के भाव क्यों थे?
    • क्योंकि कृष्ण ने उन्हें कुछ दिन और रहने को नहीं कहा।
    • क्योंकि कृष्ण ने उन्हें खाली हाथ लौटा दिया।
    • क्योंकि अब कृष्ण उसकी मेहमानबाजी करके थक गए थे।
    • क्योंकि कृष्ण ने उन्हें आदर सहित विदाई नहीं दी।

    Solution

    B.

    क्योंकि कृष्ण ने उन्हें खाली हाथ लौटा दिया।
    Question 47
    CBSEENHN8000883

    नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात।
    वह पठवनि गोपाल की, कछू न जानी जात।।
    घर-घर कर ओड़त फिरे, तनक दही के काज।
    कहा भयो जो अब भयो, हरि को राज-समाज।
    हौं आवत नाहीं हुतौ, वाही पठयो ठेलि।।
    अब कहिहौं समुझाय कै, बहु धन धरी सकेलि।।

    अंत में सुदामा ने अपने हदय को संतोष कैसे दिया?
    • अपनी मुश्किलों का सामना स्वयं करना पड़ता है।
    • जीवन में कभी किसी से उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।
    • घर-घर जाकर दही मांगने वाला कृष्ण विपुल धन संपत्ति होने पर किसी को कुछ दे नहीं सकता।
    • अपना हाथ जगन्नाथ।

    Solution

    C.

    घर-घर जाकर दही मांगने वाला कृष्ण विपुल धन संपत्ति होने पर किसी को कुछ दे नहीं सकता।
    Question 52
    CBSEENHN8000888
    Question 57
    CBSEENHN8000893

    नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    कै वह टूटी-सी छानी हती, कहाँ कंचन के अब धाम सुहावत।
    कै पग में पनही न हती, कहाँ लै गजराजहु ठाढ़े महावत।।
    भूमि कठोर पै रात कटै, कहाँ कोमल सज पै नींद न आवत।।
    कै जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत।। 

    कृष्ण ने सुदामा को सब कुछ बिना बताए क्यों दिया?
    • क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे।
    • किसी के सामने अपने महल में न देना चाहते थे।
    • सुदामा पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते थे।
    • अपनी पत्नी से छिपकर देने में ही भलाई समझते थे।

    Solution

    A.

    क्योंकि वे स्पष्ट रूप में सुदामा को देकर अपनी मित्रता को छोटा नहीं करना चाहत थे।

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