वसंत, भाग – 2 Chapter 15 नीलकंठ
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    NCERT Solution For Class 7 Hindi वसंत, भाग – 2

    नीलकंठ Here is the CBSE Hindi Chapter 15 for Class 7 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 7 Hindi नीलकंठ Chapter 15 NCERT Solutions for Class 7 Hindi नीलकंठ Chapter 15 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 7 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN7000398

    मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?

    Solution

    मोर की गर्दन नीली होने के कारण उसका नामकरण नीलकंठ हुआ । मोरनी का सदैव नीलकंठ की छाया की तरह उसके साथ रहने के कारण उसका नाम राधा पड़ा।

    Question 2
    CBSEENHN7000399

    जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?

    Solution

    अपने निवास स्थान में दो नए मेहमानों को देखकर बाड़े के अन्य जानवरों में ऐसा कौतुहल जागा मानों घर में कोई नववधू का आगमन हुआ हो जिससे वह बहुत प्रसन्न थे। परन्तु अपनी तरफ़ से इस बात को भी देखना चाहते थे कि नए मेहमान कैसे हैं। सर्वप्रथम कबूतर नाचना छोड़कर दोनों के आगे पीछे घूमकर गुटरगूँ करने लगे। मानो उनका निरीक्षण कर अपनी सहमती प्रकट कर रहे हों। उसी तरह सारे खरगोश एक ही क्रम में शान्त भाव से बैठकर सभापदों की भांति निरीक्षण कर रहे थे तो खरगोश के बच्चों के लिए तो खेलकूद का कार्यक्रम ही चल पड़ा था।  वे इन दोनों के आसपास कूद रहे थे। तोते तो एक आँख बंद कर चुपचाप उनको देखकर अपनी तरफ़ से निरीक्षण में लगे थे।

    Question 3
    CBSEENHN7000400

    लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?

    Solution

    लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं उदाहरण के लिए –

    (1) नीलकंठ वर्षा ऋतु के समय जब अपने इंद्रधनुष के गुच्छे के समान पखों को मंडलाकार बनाकर नाचता और राधा उसका साथ देती। वो मनोहारी दृश्य देखकर लेखिका मंत्रमुग्ध हो जाती थी। लेखिका कहती है – नीलकंठ जाने कैसे यह भाँप गया था कि उसका नृत्य मुझें बहुत भाता था। बस जब भी लेखिका उसके समक्ष होती तो नृत्य-भंगिमा की मुद्रा में खड़ा हो जाता। नीलकंठ की लेखिका को प्रसन्न करने की चेष्टा, लेखिका को बहुत पसन्द था।

    (2) लेखिका के अनुसार नीलकंठ की चोंच के प्रहार ने साँप के दो टुकड़े कर दिए थे परन्तु जब वह लेखिका के हाथ से भुने चने खाता तो लेखिका को तनिक भी हानि नहीं पहुँचाता था।

    (3) नीलकंठ का दयालु स्वभाव व सबकी रक्षा करने की चेष्टा आदि लेखिका को बहुत प्रिय थी।

    Question 4
    CBSEENHN7000401

    ‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?

    Solution

    लेखिका के द्वारा कुब्जा मोरनी को लाना, इस घटना की ओर संकेत करता है। नीलकंठ, राधा व अन्य सभी पशु-पक्षी साथ मिलकर बड़े ही आनन्द से उस बाड़े में रहते थे। परन्तु कुब्जा मोरनी ने उन सब के इस आनन्द में भंग कर दिया था। उसको किसी भी पशु-पक्षी का नीलकंठ के साथ रहना पसंद न था। जो भी कोई उसके पास आना चाहता, वह उसे अपनी चोंच से घायल करके भगा देती थी। यहाँ तक कि उसने ईर्ष्या वश राधा के अंडों को तोड़-फोड़ दिया था। उसके इस स्वभाव के कारण नीलकंठ अकेला व खिन्न रहने लगा। जैसे बाड़े की तो शोभा ही चली गई। तभी लेखिका कहती है, इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा।

    Question 5
    CBSEENHN7000402

    वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

    Solution

    वसंत ऋतु के आरम्भ होते ही अपने स्वभाव के कारण नीलकंठ अस्थिर हो उठता था। वर्षा ऋतु में जब आम के वृक्ष मंजरियों से लद जाते थे। अशोक का वृक्ष नए गुलाबी पत्तों से भर जाता, तो वह बाड़े में स्वयं को रोक नहीं पाता था । उसे मेघों के उमड़ आने से पूर्व ही इस बात की आहट हो जाती थी कि आज वर्षा अवश्य होगी। वह उसका स्वागत करने के लिए अपने स्वर में मंद केका करने लगता और उसकी गूँज सारे वातावरण में फैल जाती थी। उस वर्षा में अपना मनोहारी नृत्य करने के लिए वह अधीर हो उठता और जालीघर से निकलने के लिए छटपटा जाता था।

    Question 6
    CBSEENHN7000403

    जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?

    Solution

    कुब्जा स्वभाव से ही ईर्ष्यालु प्रवृत्ति की थी। इसके विपरीत जालीघर के सभी पशु-पक्षी मिलनसार स्वभाव के थे। उनमें आपसी प्रेम था। परन्तु स्वभाव से ईर्ष्यालु कुब्जा को ये पंसद ना था। वह सब को हमेशा प्रताड़ित करती थी। उसका मुख्य उद्देश्य सबको नीलकंठ से दूर रखना था। वह नहीं चाहती थी कि नीलकंठ के पास कोई भी आए। इसके लिए उसने सभी पशु-पक्षियों को अपनी चोंच से घायल किया हुआ था। यहाँ तक की उसने राधा को घायल कर उसके अंडों को नष्ट कर दिया। इसके कारण सब उससे दूर रहते थे यहाँ तक की नीलकंठ भी उससे डर के मारे भागने लगा था।

    Question 7
    CBSEENHN7000404

    ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-

    गंध      रंग      फल        ज्ञान

    Solution

    (i) गंध :- गंधक, दुर्गन्ध, सुगंध

    (ii) रंग :- बेरंग, रंगबिरंगा, रंगरोगन

    (iii) फल :- सफल, असफल, विफल

    (iv) ज्ञान :- अज्ञान, सदज्ञान, विज्ञान

    Question 8
    CBSEENHN7000405

    विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के  के साथ अभिभूत के  के मिलने से या हो गया है।  आदि वर्ण हैं। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है,  जैसे- क्‌+अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न  (ा)  से  आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे- मंडल + आकार= मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर(जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-

    संधिविग्रह

    नील + आभ = …………………. सिंहासन = …………………………

    नव + आगंतुक = ………………. मेघाच्छन्न = …………………………

    Solution

    संधि                                             विग्रह

    नील + आभ = नीलाभ               सिंहासन = सिंह+ आसन

    नव + आगंतुक = नवागंतुक        मेघाच्छन्न = मेघ+ आछन्न

    Question 9
    CBSEENHN7000406

    निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।

    Solution

    मोरपंख की चंद्रिका सुंदर और चमकदार गहरे रंग की होती है। मृतक मोर नीलकंठ को जब लेखिका ने संगम ले जाकर बीच धारा में प्रवाहित किया तो उसके पंखो की चंद्रिकाएँ पानी में फैलाकर तैरने लगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।

    Question 10
    CBSEENHN7000407

    नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

    Solution

    एक दिन जब खरगोश के शावक साथ-खेल करते हुए उछलकूद कर रहे थे तो जाली के भीतर कहीं से एक साँप घुस आया। उसको देखकर सब पशु-पक्षी तो भाग गए पर सिर्फ़ एक खरगोश का शावक न भाग पाया और साँप उसे निगलने का प्रयास करने लगा। खरगोश का शावक उसकी कैद से छूटने के प्रयास में क्रंदन करने लगा। नीलकंठ ने जैसे ही उस क्रंदन को सुना वह पेड़ की शाखा से कूदकर साँप के समक्ष आ खड़ा हुआ और अपने पंजों से साँप के फन को दबाया और चोंच के प्रहार से दो ही पल में उसके दो टुकड़े कर दिए। इस तरह उसने शावक को साँप की पकड़ से बचा लिया।

    (1) नीलकंठ स्वभाव से दयालु प्रवृति का पक्षी था। तभी तो खरगोश के बच्चे को लेकर सारी रात बैठकर उसको ऊष्मा देता रहा।

    (2) नीलकंठ एक सजग व सचेत मुखिया था। जिस तरह घर का एक मुखिया अपने कर्त्तव्यों के प्रति सचेत व सजग रहता है। उसी तरह नीलकंठ अपने जालीघर के जीव-जंतुओं के लिए था।

    (3) नीलकंठ एक साहसी मोर था। नीलकंठ के साहस के कारण ही उसने खरगोश को साँप से बचा लिया था। अगर वह साहस न दिखाता तो खरगोश ना बच पाता।

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