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NCERT Solutions for Class 9 Hindi स्पर्श भाग १ Chapter 8 शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
  • NCERT Solution For Class 9 Hindi स्पर्श भाग १

    शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद Here is the CBSE Hindi Chapter 8 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 Hindi शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद Chapter 8 NCERT Solutions for Class 9 Hindi शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद Chapter 8 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2023-24. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN9000635

    निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    आकाश के तारों में शुक्र की कोई जोड़ नहीं। शुक्र चंद्र का साथी माना जाता है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र मंडल में कलगी-रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ऐन शाम के समय, बड़े सवेरे घंटे-दो घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवाधर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जनमे स्वर्गीय महादेव देसाई गांधीजी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे का गौरव अनुभव किया करते थे।
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में ही विदा हो गए। अर्थ स्पष्ट करें।
    (ग) महादेव की तुलना शुक्रतारे से क्यों की गई है?
    (घ) महादेव जी अपना परिचय किस प्रकार देते थे?


    Solution

    (क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
    (ख) महादेव जी, गांधीजी के साथ भारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन से जुड़े हुए थे। भारत की स्वतंत्रता रूपी सुबह होने ही वाली थी। अचानक महादेव जी का देहांत हो गया। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
    (ग) जिस प्रकार शुक्रतारा थोड़े से समय में ही आकाश में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो जाता है उसी प्रकार महादेव भी अपने थोड़े से जीवन में ही अपनी कार्यशैली से दुनिया को प्रभावित कर गए। इसी कारण महादेव की शुक्रतारे से तुलना की गई है।
    (घ) महादेव जी अपने मित्रों के बीच विनोद करते हुए अपने आपको गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।

    Question 2
    CBSEENHN9000636

    निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    इसके अलावा महादेव, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधीजी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका-टिप्पणी करते रहते थे, उनको आड़े हाथों लेने ठाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार-पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्‌टर से कट्‌टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होनेवाली विनय-विवेक-युक्त विवाद करने की गांधीजी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार-पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।
    प्रशन
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) ‘आँखों में तेल डालकर’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
    (ग) अन्य समाचार-पत्र गांधीजी के विरुद्ध क्या करते थे?
    (घ) महादेव किन गुणों के कारण सबके लाड़ले बन गए?

    Easy
    Question 3
    CBSEENHN9000637

    निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    बड़े-बड़े देशी-विदेशी राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्रों के प्रतिनिधि, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संचालक, पादरी, ग्रंथकार आदि गांधीजी से मिलने के लिए आते थे। ये लोग खुद या इनके साथी-संगी भी गांधीजी के साथ बातचीत को ‘शार्टहैंड’ में लिखा करते थे। महादेव एक कोने में बैठे-बैठे अपनी लंबी लिखावट में सारी चर्चा को लिखते रहते थे। मुलाकात के लिए आए हुए लोग अपनी मुकाम पर जाकर सारी बाचतीत को टाइप करके जब उसे गांधीजी के पास ‘ओके’ करवाने के लिए पहुँचते, तो भले ही उनमें कुछ भूलें या कमियाँ-खामियाँ मिल जाए, लेकिन महादेव की डायरी में या नोट-बही में मजाल है कि कॉमा मात्र की भी भूल मिल जाए।
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) गांधीजी से मिलने कौन-कौन लोग आते थे?
    (ग) महादेव जी कोने में बैठे इन लोगों की गांधीजी के साथ बातचीत को कैसे लिखते थे?
    (घ) मुलाकातियों के साथ आए आदमी बातचीत को कैसे नोट करते थे?

    Easy
    Question 4
    CBSEENHN9000638

    निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    बिहार और उत्तर प्रदेश के हज़ारो मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नदियों के परम उपकारी, सोने की कीमत वाले ‘गाद’ के बने हैं। आप सौ-सौ कोस चल लीजिये रास्ते में सुपारी फोड़ने लायक एक पत्थर भी कहीं मिलेगा नहीं। इसी तरह महादेव के संपर्क में आने वाले किसी को भी ठेस या ठोकर की बात तो दूर रही, खुरदरी मिट्‌टी या कंकरी भी कभी चुभती नहीं थी। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को चंद्र-शुक्र की प्रभा के साथ दूधों नहला देती थी। उसमें सराबोर होने वाले के मन में उनकी इस मोहिनी का नशा कई-कई दिन तक उतरता न था।
    प्रशन:
    (क)  पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) इस गद्यांश में प्रयुक्त ‘सोने की कीमत वाले गाद’ का क्या अर्थ है?
    (ग) लेखक ने महादेव की तुलना उत्तर प्रदेश तथा बिहार के मैदान से क्यों की है?
    (घ) महादेव भाई को मुलाकाती क्यों हमेशा याद रखते थे?

    Easy
    Question 5
    CBSEENHN9000639

    निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार-सम्पन्न भाषा और मनोहारी लेखनशैली की ईश्वरीय देन महादेव को मिली थी। यद्यपि गांधीजी के पास पहुँचने के बाद घमासान लड़ाइयों, आंदोलनों और समाचार-पत्रों की चर्चाओं के भीड़ भरे प्रसंगों के बीच केवल साहित्यिक गतिविधियों के लिए उन्हें कभी समय नहीं मिला, फिर भी गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद उन्होंने किया, जो ‘नवजीवन’ में प्रकाशित होनेवाले मूल गुजराती की तरह हर हफ़्ते ‘यंग इंडिया’ में छपता रहा। बाद में पुस्तक के रूप में उसके अनगिनत संस्करण सारी दुनिया के देशों में प्रकाशित हुए और बिके।
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) महादेव जी को क्या ईश्वरीय देन मिली?
    (ग) महादेव जी को साहित्यिक लेखन का समय क्यों नहीं मिला?
    (घ) महादेव भाई ने किस आत्मकथा का अंग्रेजी अनुवाद किया और वह हर सप्ताह किसमें छपता रहा?


    Easy