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NCERT Solutions for Class 12 Help.html Aroh Bhag Ii Chapter 7 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Here is the CBSE Help.html Chapter 7 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Help.html सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter 7 NCERT Solutions for Class 12 Help.html सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter 7 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2025-26. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Help.html.

Question 1
CBSEENHN12026245

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

Solution

जीवन-परिचय: निराला जी का जन्म बंगाल के मेदिनीपुर जिले में सन् 1897 में हुआ था। इनके पिता पं रामसहाय त्रिपाठी उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के रहने वाले थे। घर पर ही इनकी शिक्षा का श्रीगणेश हुआ। उनकी प्रकृति मे प्रारभ से ही स्वच्छंदता थी, अत: मैट्रिक से आगे शिक्षा न चल सकी। चौदह वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह मनोहरा देवी के साथ हो गया। पिताजी की मृत्यु के बाद इन्होने मेदिनीपुर रियासत में नौकरी कर ली। पिता की मृत्यु का आघात अभी भूल भी न पाए थे कि बाईस वर्ष की अवस्था में इनकी पत्नी का भी स्वर्गवास हो गया। आर्थिक संकटों, संघर्षो तथा जीवन की यथार्थ अनुभूतियों ने निराला जी के जीवन की दिशा ही मोड़ दी। ये रामकृष्ण मिशन, अद्वैत आश्रम, बैलूर मठ चले गए। वहाँ इन्होंने दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया और आश्रम के ‘समन्वय’ नामक पत्र के संपादन का कार्य भी किया। फिर ये लखनऊ में रहने के बाद इलाहाबाद चले गए और अन्त तक स्थायी रूप से इलाहाबाद में रहकर आर्थिक संकटों एवं अभावों में भी इन्होंने बहुमुखी साहित्य की सृष्टि की।

निराला जी गम्भीर दार्शनिक, आत्मभिमानी एवं मानवतावादी थे। करुणा दयालुता, दानशीलता और संवेदनशीलता इनके जीवन की चिरसंगिनी थी। दीनदु:खियों और असहायों का सहायक यह साहित्य महारथी 15 अक्सर 1961 ई. को भारतभूमि को सदा के लिए त्यागकर स्वर्ग सिधार गया।

रचनाएँ: निराला जी ने साहित्य के सभी अंगों पर विद्वता एवं अधिकारपूर्ण लेखनी चलाई है। इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

काव्य: परिमल, गीतिका, तुलसीदास, अनामिका, अर्चना, आराधना कुकुरमुत्ता आदि।

उपन्यास: अप्सरा, अलका, निरूपमा, प्रभावती, काले कारनामे आदि।

कहानी: सुकुल की बीवी, लिली, सखी अपने घर, चतुरी चमार आदि।

निबंध: प्रबंध पद्य, प्रबंध प्रतिभा, चाबुक, रवीन्द्र कानन आदि।

रेखाचित्र: कुल्ली भाट, बिल्लेसुर आदि।

जीवनी: राणा प्रताप, भीष्म प्रह्राद, ध्रुव शकुतंला।

अनूदित: कपाल; कंडला, चंद्रशेखर आदि।

निराला छायावाद के ऐसे कवि हैं जो एक ओर कबीर की परंपरा से जुड़ते हैं तो दूसरी ओर समकालीन कवियों के प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनका यह विस्तृत काव्य-संसार अपने भीतर संघर्ष और जीवन क्रांति और निर्माण, ओज और माधुर्य आशा और निराशा के द्वंद्व को कुछ इस तरह समेटे हुए है कि वह किसी सीमा में बँध नहीं पाता। उनका यह निर्बध और उदात्त काव्य व्यक्तित्व कविता और जीवन में फाँक नहीं रखता। वे आपस में घुले-मिले हैं। उल्लास-शोक राग-विराग उत्थान -पतन, अंधकार प्रकाश का सजीव कोलाज है उनकी कविता। जब वे मुक्त छंद की बात करते हैं तो केवल छंद रूढ़ियों आदि के बंधन को ही नही तोड़ते बल्कि काव्य विषय और युग की सीमाओं को भी अतिक्रमित करते हैं।

भाषा: निराला जी की भाषा खड़ी बोली है। संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्राधान्य है। बँगला के प्रभाव कै कारण भाषा मे संगीतात्मकता है। क्रिया पदों का लोप अर्थ की दुर्बोधता में सहायक है। प्रगतिवादी कविताओं की भाषा सरल और बोधगम्य है। उर्दू फारसी तथा अंग्रेजी शब्द भी प्रयुक्त हुए हैं।
विषयों और भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी निराला की कविता के कई रंग हैं। एक तरफ तत्सम सामाजिक पदावली और ध्वन्यात्मक बिंबों से युक्त राम की शक्ति पूजा और छंदबद्ध तुलसीदास है तो दूसरी तरफ देशी टटके शब्दों का सोंधापन लिए कुकुरमुत्ता, रानी और कानी, महंग. महँगा रहा जैसी कविताएँ हैं।

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