निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। [2*4=8]
आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में यह शौक हानिकारक है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं। छोटे बालक मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। इस उम्र में वे जो भी देखते हैं उसका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वे शीघ्र ही अपना लेते हैं समाजशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज में चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण दूरदर्शन तथा चलचित्र भी है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। बिना समय की पाबंदी के घंटों दूरदर्शन के साथ चिपके रहना बिलकुल गलत है। इससे मानसिक विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है।
(क) आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव किन पर अधिक पड़ता है और क्यों ?
(ग) दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव हैं?
(घ) ‘बाल्यावस्था’ शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
(क) आजकल दूरदर्शनों के धारावाहिकों का स्तर घटता जा रहा है। उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं।
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वे मानसिक रूप से अपरिपक्व होते है। वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है।
(ग) दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव हैं जैसे- इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। नज़र कमजोर पड़ती है एवं घंटों दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी घट जाती है।
(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि-विच्छेद- बाल + अवस्था।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक-दूरदर्शन के प्रभाव’।