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किस देश में रेलमार्गो के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है?
ब्राजील
कनाडा
संयुक्त राज्य अमेरिका
रूस
C.
संयुक्त राज्य अमेरिका
बृहद ट्रंक मार्ग होकर जाता है:
भूमध्य सागर हिंद महासागर से होकर
उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर
दक्षिण अटलांटिक महासागर से होकर
उत्तर प्रशांत महासागर से होकर
B.
उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर
चैनल टनल जोड़ता है
लंदन - बर्लिन
बर्लिन - पेरिस
पेरिस - लंदन
बार्सीलोना - बर्लिन
C.
पेरिस - लंदन
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
पर्वतों, मरुस्थलों तथा बाढ़ संभावित प्रदेशों में स्थल परिवहन की क्या-क्या समस्याएँ हैं?
पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों व रेलमार्गों के निर्माण में तथा उनके रखरखाव में भारी खर्च आता है। इनके मार्ग में अनेक पुलों व टनलों का निर्माण करना पड़ता है। भूकंप व भूस्खलन जैसी आपदाओं से सड़कों व रेलमार्गों को काफी नुकसान होता है। जबकि मरुस्थलों में रेतीली भूमि के कारण सड़कें बनाना कठिन होता है। इसी तरह बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बाढ़ आने पर सड़कों व रेलमार्गों का बह जाना या क्षतिग्रस्त होना आम बात है।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग क्या होता है?
पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग पूरे महाद्वीप से गुजरते हुए इसके दोनों छोरों को जोड़ते हैं। इनका निर्माण आर्थिक और राजनीतिक कारणों से विभिन्न दिशाओं में लंबी यात्राओं की सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया था।
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें:
जल परिवहन के क्या लाभ हैं?
जल परिवहन के निम्नलिखित लाभ हैं:
नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर 150 शब्दों से अधिक न दें:
''एक सुप्रबंधित परिवहन प्रणाली में विभिन्न विधाएँ एक-दूसरे की संपूरक होती है,'' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
विश्व में अनेक परिवहन प्रणाली है जैसे- स्थल परिवहन, वायु परिवहन, रेल परिवहन, जल परिवहन इत्यादि जो व्यक्ति और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने का कार्य करती है।
एक सुप्रबंधित परिवहन तंत्र में परिवहन की विभिन्न विधाएँ एक-दूसरे की संपूरक होती हैं न कि प्रतियोगी। किसी विधा की सार्थकता उनके द्वारा परिवहित की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार, परिवहन की लागतों और परिवहन के लिए उपलब्ध उपयुक्त विधा पर निर्भर करती है; जैसे-वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय संचलन का निपटान भारवाही जलयानों के द्वारा किया जाता है। जबकि कम दूरी व घर-घर सेवाएँ प्रदान करने में सड़क परिवहन सस्ता एवं तीव्रगामी साधन है। किसी देश के भीतर स्थूल/भारी पदार्थों को विशाल मात्रा में लंबी दूरियों तक परिवहन करने के लिए रेल सर्वाधिक अनुकूल साधन है। जबकि उच्च मूल्य वाली, हल्की तथा नाशवान वस्तुओं को वायुमार्गों द्वारा परिवहन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। तरल व गैसीय पदार्थों का परिवहन पाइप लाइनों द्वारा बेहतर सिद्ध होता है। जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में रोपवे अर्थात् तारों पर चलने वाली ट्रॉली तीव्रगामी साधन है। इस तरह परिवहन की इन सभी विधाओं का प्रयोग अंतर्जादेशिक एवं अंतराप्रादेशिक परिवहन के लिए किया जाता है। पाइप लाइनों को छोड़कर शेष सभी विधाओं के द्वारा यात्रियों और पदार्थों दोनों का वहन किया जाता है।
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विश्व के वे कौन-से प्रमुख प्रदेश हैं जहाँ वायुमार्ग का सघन तंत्र पाया जाता है?
वायुपरिवहन, परिवहन का तीव्रतम साधन है, परंतु यह अत्यंत महँगा भी है। तीव्रगामी होने के कारण लंबी दूरी की यात्रा के लिए यात्री इसे वरीयता देते हैं। इसके द्वारा मूल्यवान जहाजी भार को तेजी के साथ पूरे विश्व में भेजा जा सकता है।पर्वतीय हिमक्षेत्रो तथा मरुस्थलीय भू-भागों में भी इस परिवहन ने सफलता प्राप्त कर ली है। वायु-यानों के निर्माण तथा उनकी कार्यप्रणाली के लिए अत्यंत विकसित सुविधाओं; जैसे विमानशाला, भूमि पर उतारने, ईंधन तथा रख-रखाव की सुविधाओं की आवश्यकता होती है। हवाई पत्तनों का निर्माण भी अत्यधिक खर्चीला है और यह उन्हीं देशों में जहाँ अत्यधिक औद्योगीकरण एवं अधिक संख्या में यातायात उपलब्ध है, विकसित हुआ है।
विश्व में पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और दक्षिणी-पूर्वी एशिया में वायु-मार्गों का सघन पाया जाता है। विश्व में कुल वायु- मार्गों के 60% भाग का प्रयोग अकेला संयुक्त राज्य अमेरिका करता है। न्यू-यॉर्क, लंदन, पेरिस, एमस्टरडम और शिकागो नोडिय बिंदु है। वर्तमान समय में विश्व में कोई भी स्थान 35 घंटे से अधिक की दूरी पर नहीं है। वर्षों और महीनों के स्थान पर वायु- मार्ग द्वारा की गई यात्रा को घंटों और मिनटों में मापा जा सकता है। विश्व के अनेक भागों में वायु सेवाएँ उपलब्ध है।
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वे कौन सी विधाएँ हैं जिनके द्वारा साइबर स्पेस मनुष्यों के समकालीन आर्थिकी और सामाजिक स्पेस की वृद्धि करेगा ?
साइबर स्पेस इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटरीकृत स्पेस की एक दुनिया है। यह वर्ल्ड वाइड वेबसाइट जैसे इंटरनेट द्वारा आवृत हैं जिसे www (world wide web) भी कहा जाता है। साइबर स्पेस हर जगह विद्यमान है। यह किसी कार्यालय में जल में चलती नौका में, उड़ते जहाजों में और वास्तव में कहीं भी हो सकता है। साइबर स्पेस वायुयानों, समुद्री जहाजों, रेलगाड़ियों, घरों, ऑफिसों सभी जगहों पर प्रयोग किया जाता है। साइबर स्पेस का विकास अद्वितीय है। इंटरनेट का प्रयोग करने वाले में 1995 में 5 करोड़, 2000 में 40 करोड़ और 2005 में 100 करोड़ थे। वर्तमान में इंटरनेट का प्रयोग करने वालो की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है।
अब विश्व के अधिकांश प्रयोक्ता संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन और भारत में हैं। साइबर स्पेस लोगों के समकालीन आर्थिक और सामाजिक स्पेस को ई. मेल, ई. वाणिज्य, ई. शिक्षा और ई. प्रशासन के माध्यम से विस्तृत करेगा। फैक्स, टेलीविजन और रेडियो के साथ इंटरनेट समय और स्थान की सीमाओं को लाँघते हुए अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचेगा।
जैसे-जैसे इस तकनीक का विकास हो रहा है तथा इस पर लगे प्रतिबंध समाप्त हो रहे है, निजी व्यावसायिक कंपनियाँ, शैक्षणिक संस्थान तथा संस्कार द्वारा इन सूचनाओं तथा उपग्रह चित्रों का उपयोग असैनिक क्षेत्रों जैसे नगरीय नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण, वन विनाश (वनोमूलन) से प्रभावित क्षेत्रों को ढूँढना तथा सैकड़ों भौतिक प्रतिरूपों एवं प्रक्रमों को पहचानने हेतु हो रहा है।
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