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मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए ।
प्रकृति के मानवीकरण का वर्णन कीजिए ।
नव - निश्चयवाद की तीन विशेषताएँ बताइए ।
समय के विभिन्न गलियारों में मानव भूगोल के उपागम बताइए । मानव भूगोल के उपागम की सूची बनाइए ।
मानव भूगोल के छ: क्षेत्र कौन से हैं?
मानवविज्ञान भूगोल : यह बड़े पैमाने पर स्थानिक सन्दर्भ में विविध प्रजातियों का अध्ययन करता है।
सांस्कृतिक भूगोल : यह मानवीय संस्कृतियों की उत्पत्ति, संघटकों और प्रभावों की चर्चा करता है।
आर्थिक भूगोल : यह स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर आर्थिक गतिविधियों की अवस्थिति व वितरण का अध्ययन करता है। आर्थिक भूगोल का अध्ययन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता हैः संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, औद्योगिक व परिवहन भूगोल।
राजनीतिक भूगोल : यह स्थानिक सन्दर्भ में राजनीतिक परिघटनाओं का अध्ययन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक व प्रशासनिक प्रदेशों के उद्भव व रूपान्तरण की व्याख्या करना है।
ऐतिहासिक भूगोल : भौगोलिक परिघटनाओं का स्थानिक व कालिक अध्ययन ऐतिहासिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है।
सामाजिक भूगोल : यह स्थान की सामाजिक परिघटनाओं का विश्लेषण करता है। निर्धनता, स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवनयापन सामाजिक भूगोल के कुछ मुख्य क्षेत्र हैं।
जनसंख्या भूगोल : यह जनसंख्या के विविध पक्षों जैसे जनसंख्या वितरण, घनत्व, संघटन, प्रजनन क्षमता, मर्त्यता, प्रवास आदि का अध्ययन करता है।
अधिवास भूगोल : यह ग्रामीण/नगरीय अधिवासों के आकार, वितरण, प्रकार्य, पदानुक्रम और अधिवास व्यवस्था से सम्बंधित अन्य आधारों का अध्ययन करता है।
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए :-
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता?
समाकलनात्मक अनुशासन
मानव और पर्यावरण के बीच अंतर-संबंधों का अध्ययन
द्वैधता पर आश्रित
प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं
D.
प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं
मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए ।
मानव भूगोल वह विषय है जो प्राकृतिक, भौतिक एवं मानवीय जगत के बीच संबंध, मानवीय परिघटनाओं का स्थानिक वितरण तथा उनके घटित होने के कारण एवं विश्व के विभिन्न भागों में सामाजिक एवं आर्थिक भिन्नताओं का अध्ययन करता है।
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मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए।
आर्थिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, सामाजिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल आदि ।
मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है?
भौतिक भूगोल की तरह मानव भूगोल भी स्वयं में एक स्वतंत्र विज्ञान नहीं है। अपनी विषय - वस्तु तथा उसके विश्लेषण के लिए मानव भूगोल अनेक सामाजिक विज्ञानों पर निर्भर करता है। यह दूसरे विषयों को क्षेत्रीय संदर्भ (Regional Perspective) प्रदान करता है जिसकी उनमें कमी होती है। उदाहरणत:-
इनके अतिरिक्त अन्य अनेक सामाजिक विज्ञानों के साथ-साथ मानव भूगोल का संबंध विभिन्न प्राकृतिक विज्ञानों से भी है
मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।
मनुष्य अपनी सांस्कृतिक विरासत से प्राप्त तकनीक और प्रौद्योगिकी की सहायता से अपने भौतिक पर्यावरण से अन्योन्यक्रिया करता है। महत्त्वपूर्ण बात यह नहीं है कि मनुष्य क्या उत्पन्न एवं निर्माण करता है बल्कि यह है कि वह किन उपकरणों एवं तकनीकों की सहायता से उत्पादन एवं निर्माण करता है
प्रौद्योगिकी से किसी समाज के सांस्कृतिक विकास की सूचना मिलती है। मनुष्य प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से जानने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया है। उदाहरणतया घर्षण और ऊष्मा की संकल्पना ने 'आग के आविष्कार' में हमारी सहायता की ।
सभी विज्ञानों का जन्म प्रकृति से हुआ है। सभी उपकरणों की कार्यविधि और तकनीकों को हमने प्रकृति से सीखा है। अत: प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। आरंभिक मानव ने स्वयं को प्रकृति के आदेशों के अनुसार ढाल लिया था क्योंकि उस समय मानव का सामाजिक- सांस्कृतिक विकास आरंभिक अवस्था में था तथा प्रौद्योगिकी न के बराबर थी । समय के साथ - साथ सामाजिक - सांस्कृतिक विकास होता गया । लोग अपने पर्यावरण और प्राकृतिक तत्त्वों को समझने लगेऔर सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास होने लगा । मनुष्य अपनी बुद्धि, कौशल, संकल्प शक्ति के बल पर अपने प्रयासों की छाप प्रकृति पर डालने लगा । प्रौद्योगिकी की प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य प्रकृति की सुनता तथा उसकी पूजा करता था ।
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
विगत कुछ वर्षों से मानव भूगोल का महत्त्व दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वास्तव में फ्रांस के पॉल विडाल-डी-ला- ब्लाश तथा जीन ब्रून्श ने मानव भूगोल को अत्यधिक महत्त्व देकर उसे उच्च शिखर पर बिठाया है। प्राकृतिक दशाओं का अध्ययन केवल उनको जानने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि किसी स्थान की प्राकृतिक दशाओं के आधार पर मानव भूगोल के तत्त्वों को आसानी से समझने के लिए भी किया जाता है। विभिन्न विद्वानों ने मानव भूगोल को अपने-अपने ढंग से परिभाषित किया है। मानव भूगोल की कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं।
''अत: मानव भूगोल एक दर्शनशास्त्र के समान है। मनुष्य की विचारधारा और जीवन दर्शन पर किसी स्थान की भौगोलिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पड़ता है। मानव भूगोल मनुष्य तथा उस पर वातावरण के प्रभाव का ही अध्ययन है।
मानव भूगोल का विषय क्षेत्र - मानव भूगोल का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत तथा व्यापक है। इसमें मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं के अतिरिक्त मनुष्य की और भी क्रियाएँ: जैसे जनसंख्या और उसका वितरण, नगर व उनका आकार तथा प्रकार, मनुष्य की संस्कृति आदि सम्मिलित हैं। वास्तव में आर्थिक भूगोल केवल विस्तृत मानव भूगोल का ही एक अंग है। मानव क्रियाएँ जो भौगोलिक वातावरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं, अनेक प्रकार की हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
मानव भूगोल के अंतर्गत व्यक्तिगत दृष्टिकोण को सामाजिक दृष्टिकोण का रूप दिया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के लोगों की संस्कृति को समझने के लिए मानव भूगोल का ही सहारा लिया जाता है। तकनीकी विकास के साथ मनुष्य और पर्यावरण के संबंधों में बदलाव आ रहा है। इसलिए मानव भूगोल की विषय-वस्तु में भी समय के साथ-साथ व्यापक विस्तार हो रहा है। आज मानव भूगोल के अंतर्गत नई समस्याओं और चुनौतियों का अध्ययन भी किया जाने लगा है।
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