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मानव भूगोल: प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

Question
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मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।

Solution

विगत कुछ वर्षों से मानव भूगोल का महत्त्व दिन - प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वास्तव में फ्रांस के पॉल विडाल-डी-ला- ब्लाश तथा जीन ब्रून्श ने मानव भूगोल को अत्यधिक महत्त्व देकर उसे उच्च शिखर पर बिठाया है। प्राकृतिक दशाओं का अध्ययन केवल उनको जानने के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि किसी स्थान की प्राकृतिक दशाओं के आधार पर मानव भूगोल के तत्त्वों को आसानी से समझने के लिए भी किया जाता है। विभिन्न विद्वानों ने मानव भूगोल को अपने-अपने ढंग से परिभाषित किया है। मानव भूगोल की कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं।

  1. विडाल-डी-ला- ब्लाश के अनुसार, ''मानव भूगोल को भौगोलिक विज्ञान की सम्माननीय शाखा का एक नवीन अंकुर माना है। '' उन्होंने आगे और स्पष्ट करते हुए बताया कि मानव भूगोल विकसित विचारों की अभिव्यंजना है जो खोज और भौगोलिक ज्ञान के फलस्वरूप विकसित हुई है।
  2. हंटिंग्टन के अनुसार, ''मानव भूगोल भौगोलिक वातावरण और मानव के कार्यकलापों एवं गुणों के संबंध के स्वरूप और वितरण का अध्ययन है। ''
  3. एलन सी. सेंपल के अनुसार, ''मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है। ''
  4. जीन ब्रून्श के अनुसार, ''मानव भूगोल उन सभी वस्तुओं का अध्ययन है जो मानव कार्यकलापों द्वारा प्रभावित है और जो हमारी पृथ्वी के धरातलीय पदार्थों की एक बिशेष श्रेणी में देखे जा सकते हैं।

''अत: मानव भूगोल एक दर्शनशास्त्र के समान है। मनुष्य की विचारधारा और जीवन दर्शन पर किसी स्थान की भौगोलिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पड़ता है। मानव भूगोल मनुष्य तथा उस पर वातावरण के प्रभाव का ही अध्ययन है।

मानव भूगोल का विषय क्षेत्र - मानव भूगोल का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत तथा व्यापक है। इसमें मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं के अतिरिक्त मनुष्य की और भी क्रियाएँ: जैसे जनसंख्या और उसका वितरण, नगर व उनका आकार तथा प्रकार, मनुष्य की संस्कृति आदि सम्मिलित हैं। वास्तव में आर्थिक भूगोल केवल विस्तृत मानव भूगोल का ही एक अंग है। मानव क्रियाएँ जो भौगोलिक वातावरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं, अनेक प्रकार की हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-

  1. जनसंख्या: वितरण एवं घनत्व,
  2. मकान: उनके प्रकार तथा बनावट,
  3. मानव अधिवास: ग्रामीण बस्तियाँ, नगरीय बस्तियाँ,
  4. मानवीय अर्थव्यवस्था: आखेट, पशुपालन, कृषि, खनन, उद्योग-धंधे, आवागमन के साधन ।

मानव भूगोल के अंतर्गत व्यक्तिगत दृष्टिकोण को सामाजिक दृष्टिकोण का रूप दिया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के लोगों की संस्कृति को समझने के लिए मानव भूगोल का ही सहारा लिया जाता है। तकनीकी विकास के साथ मनुष्य और पर्यावरण के संबंधों में बदलाव आ रहा है। इसलिए मानव भूगोल की विषय-वस्तु में भी समय के साथ-साथ व्यापक विस्तार हो रहा है। आज मानव भूगोल के अंतर्गत नई समस्याओं और चुनौतियों का अध्ययन भी किया जाने लगा है।

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