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TextBook Solutions for Board of High School and Intermediate Education Uttar Pradesh Class 9 Hindi स्पर्श भाग १ Chapter 8 शुक्रतारे के सामान - स्वामी आनंद
निम्नलिखित गद्यांशों का पढ़कर पूछे गये प्रशनों के उत्तर दीजिए:
आकाश के तारों में शुक्र की कोई जोड़ नहीं। शुक्र चंद्र का साथी माना जाता है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र मंडल में कलगी-रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ऐन शाम के समय, बड़े सवेरे घंटे-दो घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवाधर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जनमे स्वर्गीय महादेव देसाई गांधीजी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे का गौरव अनुभव किया करते थे।
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
(ख) महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में ही विदा हो गए। अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) महादेव की तुलना शुक्रतारे से क्यों की गई है?
(घ) महादेव जी अपना परिचय किस प्रकार देते थे?
(क) पाठ-शुक्रतारे के समान, लेखक-स्वामी आनन्द।
(ख) महादेव जी, गांधीजी के साथ भारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन से जुड़े हुए थे। भारत की स्वतंत्रता रूपी सुबह होने ही वाली थी। अचानक महादेव जी का देहांत हो गया। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
(ग) जिस प्रकार शुक्रतारा थोड़े से समय में ही आकाश में अपनी चमक बिखेरकर अस्त हो जाता है उसी प्रकार महादेव भी अपने थोड़े से जीवन में ही अपनी कार्यशैली से दुनिया को प्रभावित कर गए। इसी कारण महादेव की शुक्रतारे से तुलना की गई है।
(घ) महादेव जी अपने मित्रों के बीच विनोद करते हुए अपने आपको गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
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