महावीरप्रसाद द्विवेदी - स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।
पहले की शिक्षा प्रणाली और आज की शिक्षा प्रणाली में बहुत परिवर्तन आया है। तब की शिक्षा प्रणाली में स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था, पहले शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को गुरुकुल में रहना ज़रूरी था। परन्तु आज शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय है। पहले शिक्षा एक वर्ग तक सीमित थी। लेकिन आज किसी भी जाति के तथा किसी भी वर्ग के लोग शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। आज की शिक्षा प्रणाली में स्त्री-पुरूषों की शिक्षा में अंतर नहीं किया जाता है। पहले की शिक्षा में जहाँ जीवन-मूल्यों की शिक्षा पर बल दिया जाता था, वहीँ आज व्यवसायिक तथा व्यावहारिक शिक्षा पर बल दिया जाता है। गुरु-परम्परा भी लगभग समाप्त ही हो गयी है।
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कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया?
'स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं’ – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए?
परंपरा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ाते हों – तर्क सहित उत्तर दीजिए?
तब की शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।
महावीरप्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी दूरगामी और खुली सोच का परिचायक है, कैसे?
द्विवेदी जी की भाषा-शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए?
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए, जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट हों ?– चाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल।
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