सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक
लेखक के फ़ादर बुल्के से अंतरंग संबंध थे। फ़ादर बुल्के से मिलना, बात करना अच्छा लगता था। उन्होंने उसके हर दुःख-सुख में उसका साथ निभाया था। इसलिए लेखक को लगता है कि फादर बुल्के को याद करना उनके लिए एकांत में एक उदास संगीत सुनना है जो अशांत मन को शांति प्रदान करता है। फादर ने सदैव उनके अशांत मन को शांति प्रदान की थी।
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आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
‘मेरा देश भारत’ विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए?
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