सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - मानवीय करुणा की दिव्या चमक

Question

 फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

Answer

फ़ादर बुल्के अपनी वेशभूषा और संकल्प से संन्यासी थे परंतु वे मन से संन्यासी नहीं थे। वे विशेष संबंध बनाकर नहीं रखते परंतु फादर बुल्के जिससे रिश्ता बना लेते थे उसे कभी नहीं तोडते थे। वर्षो बाद मिलने पर भी उनसे अपनत्व की महक अनुभव की जा सकती थी। जब वे दिल्ली जाते थे तो अपने जानने वाले को अवश्य मिलकर आते थे। ऐसा कोई संन्यासी नहीं करता। इसलिए वे परंपरागत संन्यासी की छवि से अलग प्रतीत होते थे।

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पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?

इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा?

 फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

आशय स्पष्ट कीजिए-
नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।

 आशय स्पष्ट कीजिए-
फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।

आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?

‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि रेन्स चैपल’-इस पंक्ति में फादर की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएं अभिव्यक्त होती हैं? उतप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते’?

‘मेरा देश भारत’ विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए?

आपका मित्र हडसन एंड्री आस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्‌टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए?