महिलाएँ, जाति एवं सुधार
अंग्रेज़ों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन से नए अवसर पैदा हुए जो 'निम्न' मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे?
शहरों के विस्तार के कारण मज़दूरी की काफ़ी माँग पैदा हुई।
शहरों में नालियाँ बनाई जानी थीं, सड़कें बिछनी थीं, इमारतों का निर्माण होना था और शहरों को साफ किया जाना था। इसके लिए कुलियों, खुदाई करने वालों, बोझा ढोने वालों, ईंट बनाने वालों, नालियाँ साफ़ करने वालों, सफाईकर्मियों, पालकी ढोने वालों, रिक्शा खींचने वालों की ज़रूरत थी। इन कामो को सँभालने के लिए गाँवों और छोटे कस्बो के गरीब शहरों की तरफ जाने लगे जहाँ मज़दूरी की माँग पैदा हो रही थी। शहर जाने वालों में से बहुत सारे 'निम्न' जातियों के लोग भी थे।
कुछ लोग असम, मॉरिशस, त्रिनिदाद और इंडोनेशिया आदि स्थानों पर बागानों में काम करने भी चले गए। परन्तु गरीबों, निचली जातियों के लोगों को यह गाँवों में स्वर्ण ज़मींदारों द्वारा उनके जीवन पर दमनकारी कब्ज़े और दैनिक अपमान से छूट निकलने का एक मौका था।
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निम्नलिखित लोगों ने किन सामाजिक विचारों का समर्थन और प्रसार किया:
राममोहन रॉय
दयानन्द सरस्वती
वीरेशलिंगम पंतुलु
ज्योतिराव फुले
पंडिता रमाबाई
पेरियार
मुमताज़ अली
ईश्वरचंद्र विद्यासागर
निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ:
प्राचीन ग्रंथो के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली?
लड़कियों को स्कूल ने भेजने के पीछे लोगों के पास कौन-कौन से कारण होते थे?
ईसाई प्रचारकों की बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे? क्या कुछ लोगों ने उनका समर्थन भी किया होगा? यदि हाँ तो किस कारण?
अंग्रेज़ों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन से नए अवसर पैदा हुए जो 'निम्न' मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे?
ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानतयों की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया?
फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगीरी को गुलामों की आज़ादी के लिए चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया?
'मंदिर प्रवेश आंदोलन' के ज़रिए अम्बेडकर क्या हासिल करना चाहते थे?
ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे? क्या उनकी आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह की मदद मिली?
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