जन-संघर्ष और आंदोलन
दबाव समूह और आंदोलन; राजनीतिक को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
दबाव समूहों और आन्दोलनों का राजनीति का प्रभाव
(i) दबाव समूह और आंदोलन अपने लक्ष्य की प्राप्ति के जनता का समर्थन और सहानुभूति प्राप्त करने के लिए प्रयास करते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठक आयोजित करना, अर्जी दायर करना आदि जैसे तरीकों का सहारा लेते हैं।
अधिकतर समूह मिडिया को प्रभावित करते हैं।
(ii) ऐसे समूह प्रायः हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं।
(iii) कभी कभी आंदोलन राजनीतिक दल का रूप अपना लेते हैं।
(iv) ऐसे समूहों के अधिकतर नेता राजनीति दलों के सक्रिय नेता होते हैं। ऐसे नेता राजनीति को प्रभावित करते हैं।
(v) दबाव समूह अथवा आंदोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देने वाली समितियों और आधिकारिक निकायों में भाग लेते हैं।
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दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव समूह राजनीतिक दल होते हैं।
अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें:-
मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फ़रीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग ज़िला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज़्यादा ध्यान जाएगा।लेकिन, राजनीतिक दल इस बात पर कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाईजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग ज़िला बनाने की माँग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी कोंग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे पर अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फ़रवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनावों से पहले ही कह दिया था कि नया ज़िला बना दिया जाएगा। नया ज़िला सन् 2005 की जुलाई में बना।
इस उदाहरण में आपको आंदोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नज़र आता है? क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिश्ता बताता हो?
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'दबाव समूह और आंदोलन राजनीति पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालते हैं।' इस कथन की उपयुक्त उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
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