जीव जनन कैसे करते है
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?
परागण | निषेचन |
1. वह क्रिया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, परागण कहलाती है। | 1. वह क्रिया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाती है। |
2. यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है। | 2. यह जनन क्रिया का दूसरा चरण है। |
3. परागण क्रिया दो प्रकार की होती है- स्व-परागण और और पर-परागण। | 3. निषेचन क्रिया दो प्रकार की होती है- बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन। |
4. परागकणों के स्थानांतरण के लिए वाहकों की आवश्यकता होती है। | 4. इस क्रिया में वाहकों की कोई आवश्यकता नहीं होती। |
5. अनेक परागकणों का नुकसान होता है। | 5. इसमें परागकणों का नुकसान नहीं होता। |
6. इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता होती है। | 6. इस क्रिया में विशेष लक्षणों की आवश्यकता नहीं होती। |
7. इस क्रिया के पूरा हो जाने पर निषेचन क्रिया पूरी होने की आशा होती है। | 7. इस क्रिया के पश्चात बीजों और फल बनने की संभावना हो जाती है। |
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