संविधान का निर्माण

Question

दलित समूहों की सुरक्षा के पक्ष में किए गए विभिन्न दावों पर चर्चा कीजिए।

Answer

दमित (दलित) समूहों की सुरक्षा के पक्ष में अनेक दावे प्रस्तुत किए गए। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आंदोलन के काल में बी०आर० अम्बेडर ने दलित जातियों के लिए पृथक् निर्वाचिकाओं की माँग की थी। किन्तु गाँधी जी ने इसका विरोध किया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा करने से ये समुदाय सदा के लिए शेष समाज से पृथक् हो जाएँगे। संविधान सभा में इस प्रश्न पर काफ़ी वाद-विवाद हुआ।

  1. दमित जातियों के कुछ सदस्यों का आग्रह था कि ''अस्पृश्यों'' (अछूतों) की समस्या को केवल संरक्षण और बचाव के जरिए हल नहीं किया जा सकता। उनकी अपंगता के पीछे जाति विभाजित समाज के सामाजिक कायदे-कानूनों और नैतिक मूल्य-मान्यताओं का हाथ हैं परंतु उन्हें सामाजिक तौर पर खुद से दूर रखा है। अन्य जातियों के लोग उनके साथ घुलने-मिलने से कतराते हैं। उनके साथ खाना नहीं खाते और उन्हें मंदिरों में नहीं जाने दिया जाता।
  2. मद्रास के सदस्य जे. नागप्पा ने कहा था, ''हम सदा कष्ट उठाते रहे हैं परन्तु अब हम और अधिक कष्ट उठाने को तैयार नहीं हैं। हमें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास हो गया है। हम जानते हैं की हमें अपनी बात कैसे मनवानी हैं।' 
  3. मध्य प्रांत के सदस्य श्री के.जे. खाण्डेलकर ने दलितों की स्थिति का अपने शब्दों में बयान करते हुए कहा था:
    'हमें हजारों साल तक दबाया गया है।... दबाया गया... इस हद तक दबाया कि हमारे दिमाग, हमारी देह काम नहीं करती और अब हमारा हृदय भी भाव-शून्य हो चुका है। न ही हम आगे बढ़ने के लायक रह गए हैं। यही हमारी स्थिति है।'
  4. भारत विभाजन के बाद डॉ आंबेडकर ने भी दलितों के लिए निर्वाचिका की माँग छोड़ दी थी। अंतत: संविधान सभा में दलितों के उत्थान के लिए निम्नलिखित सुझाव स्वीकार किए गए:
  5. अस्पृश्यता का उन्यूलन किया जाए;
  6. हिंदू मंदिरों को सभी जातियों के लिए खोल दिया जाए; और
  7. दलित जातियों को विधानमंडलों व सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए।

यद्यपि बहुत- से लोगों का यह मानना था कि इससे भी सभी सभी समस्याएँ हल नहीं हो पाएँगी। उन्होंने कानूनी प्रावधानों के साथ-साथ समाज की सोच में बदलाव लाने पर बल दिया, तथापि लोकतांत्रिक जनता ने इसे संवैधानिक प्रावधानों का स्वागत किया।

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