Question
प्रांतों के लिए ज़्यादा शक्तियों के पक्ष में क्या तर्क दिए गए?
Solution
संविधान सभा में केंद्र व प्रांतों के अधिकारों के प्रश्न पर काफ़ी बहस हुई। कुछ सदस्य केंद्र को शक्तिशाली बनाने के पक्ष में थे, तो कुछ सदस्यों ने राज्यों के अधिक अधिकारों की शक्तिशाली पैरवी की। प्रांतो के अधिकारों का सबसे शक्तिशाली समर्थन मद्रास के. सन्तनम ने किया।
- सन्तनम ने कहा कि तमाम शक्तियां केंद्र को सौंप देने से वह मजबूत हो जाएगा यह हमारी गलतफहमी है। अधिक जिम्मेदारियों के होने पर केंद्र प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाएगा। उसके कुछ दायित्व को राज्यों को सौंप देने से केंद्र अधिक मजबूत हो सकता है।
- सन्तनम ने तर्क दिया कि शक्तियों का मौजूदा वितरण राज्यों को पंगु बना देगा। राजकोषीय प्रावधान राज्यों को खोखला कर देंगे और यदि पैसा नहीं होगा तो राज्य अपनी विकास योजनाएँ कैसे चलाएगा। उड़ीसा के एक सदस्य ने भी राज्यों के अधिकारों की वकालत की तथा उन्होंने यहाँ तक चेतावनी दे डाली के संविधान में शक्तियों के अति केंद्रीयकरण के कारण 'केंद्र बिखर जाएगा'।
- सन्तनम ने कहा कि यदि पर्याप्त जाँच -पड़ताल किए बिना शक्तियों का प्रस्तावित वितरण लागू किया गया तो हमारा भविष्य अंधकार में पड़ जाएगा। ऐसी स्थिति में कुछ ही सालों में सारे प्रांत 'केंद्र के विरुद्ध' उठ खड़े होंगे।