फिराक गोरखपुरी

Question

फिराक गोरखपुरी की गजल का केन्द्रीय भाव लिखिए।

Answer

फिराक गोरखपुरी की गजल में व्यक्तिगत प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है। फूलों की कलियाँ नौ रस छलकाने लगी हैं।। रात के अंधेरे में तारे आँखें झपका रहे हैं। कवि की प्रेमिका साथ नहीं है। प्रेम के कारण कवि को दीवानगी की हद तक जाना पड़ रहा है। कवि विरह से पीड़ित है। जो प्रेमी प्रेम में जितना स्वयं को खो देता है वह उतना ही प्रेम पाता है।

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Some More Questions From फिराक गोरखपुरी Chapter

माता अपनी संतान को किस प्रकार खिला रही हें?

बच्चा क्या करता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

नहला के छलके-छलके निर्मल जल से

उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके

किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को

जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।

माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?

बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

दीपावली की शाम घर पुते और सजे

चीनी के खिलौने जगमगाते लावे

वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक

बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए

दीपावली पर लोग क्या करते हैं?

दीपावली पर बच्चे माँ से क्या फरमाइश करते हैं?

माँ के चेहरे पर मुस्कराहट क्यों आ जाती है?

माँ बच्चे की फरमाइश को कैसे पूरी करती है?