सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
1. कविता के संदर्भ में पंक और जलज का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
2. अट्टालिका को कवि ने आतंक-भवन क्यों कहा है?
3. जल-विप्लव-प्लावना क्या अर्थ है? वह पंक पर ही क्यों होता है?
4. आशय स्पष्ट कीजिए:
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
1. ‘पैक’ कीचड़ का प्रतीकार्थ है-शोषक वर्ग, उसे जल प्लावन का प्रभाव झेलना पड़ता है। ‘जलज’ कमल का प्रतीकार्थ है-शोषित वर्ग है। वह क्रांति में खिलता है।
2. अट्टालिका को ‘आतंक भवन’ इसलिए कहा गया है क्योंकि ये पूँजीपतियों के विशाल भवन हैं और शोषित वर्ग को आतंकित करने का काम यहीं से होता है। ये आतंक के अड्डे हैं।
3. ‘जल विप्लव प्लावन’ का अर्थ तो बाद का आना है, पर यहाँ प्रतीकार्थ क्रांति का प्रभाव है। वर्षा से कीकीचडैदा होती है। क्राति का बुरा प्रभाव पूँजीपतियों पर पड़ता है।
4. बच्चा रोग-शोक में भी हँसता रहता है, उसी प्ररकार शोषित वर्ग अपने कष्टों से अनजान बना रहता है। वह उसी स्थिति में सामान्य बना रहता है।
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कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?
बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?
‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।
शस्य अपार,
हिल-हिल,
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.
क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?
छोटे पौधे किनके प्रतीक हैं?
वे किस, किस प्रकार बुलाते हैं?
‘विप्लव रव’ किससे शोभा पाते है और क्यों?
सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन,
क्षुद्र फुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
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