सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
“चूस लिया है उसका सार” द्वारा कवि क्या व्यंजित करना चाहता है?
इस पंक्ति में कवि यह व्यंजित करना चाहता है कि पूँजीपति वर्ग ने शोषित वर्ग का बुरी तरह से शोषण किया है। उसका सारा तत्त्व इस शोषक वर्ग ने चूस लिया है। अब निर्धन वर्ग का जीवन प्राणहीन होकर रह गया है। इसका उत्तरदायित्व पूँजीपति वर्ग पर है। कवि ने इससे शोषक वर्ग की क्रूरता एवं दमनकारी प्रवृत्ति को व्यंजित करना चाहा है।
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इस कविता में किसे संबोधित किया गया है?
कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?
क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।
वर्षण है मूसलाधार
हृदय थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,
क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।
कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?
बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?
‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।
शस्य अपार,
हिल-हिल,
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.
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