गजानन माधव मुक्तिबोध
मुक्तिबोध की कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने किसे सहर्ष स्वीकारा था। आगे चलकर वह उसी को क्यों भुला देना चाहता है?
कवि ने अपने सुख-दु:ख की अनुभूतियों को सहर्ष स्वीकार। है। कवि के पास अपनी गर्वीली गरीबी है, जीवन के गहरे अनुभव हैं, व्यक्तित्व की दृढ़ता है, नूतन भावनाओं का प्रवाह है, अपने प्रिय का प्रेम है। उसने इन सभी को सहर्ष स्वीकारा है। आगे चलकर कवि अपने प्रिय को इसलिए भुला देना चाहता है क्योंकि उसका अतिशय प्रेम, बहलाती-सहलाती आत्मीयता अब उससे बर्दाश्त नहीं हो पाती। वह उसके प्रभाव से मुक्त होना चाहता है।
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कवि किस-किसको मौलिक मानता है और क्यों?
इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?
इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।
कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?
ऊपर कौन है?
कवि किससे प्रभावित है?
भूलूँ मैं
प्ले मैं
तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।
नहीं सहा जाता है।
कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?
कवि अपने जीवन में क्या चाहता है और क्यों?
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