सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Question

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
“हँसते हैं छोटे पौधे लघु भार-
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते
विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।”

1. इन पंक्तियों में कवि ने क्या बताना चाहा है?
2. इस काव्याशं का शिल्पगत सौदंर्य स्पष्ट करो।
3. ‘छोटे पौधे’ की प्रतीकात्मकता स्पष्ट करो।



Answer

1. ‘बादल राग’ कविता की इन पक्तियों में कवि ने यह बताना चाहा है कि जिस प्रकार वर्षा होने पर छोटे-छोटे पौधे हँसते-खिलते हैं, उसी प्रकार क्रांति के आने पर शोषित वर्ग भी यह सोचकर प्रसन्न होने लगता है कि उसके शोषण का अंत हो जाएगा। इसी दृष्टि से इन पंक्तियों में प्रतीकात्मकता का समावेश है।
2. प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। ‘हाथ हिलाना’, ‘बुलाना’ मानवीय क्रियाएँ हैं। इनमें गतिमय बिंब है। ‘हिल-हिल’, ‘खिल-खिल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। ‘हाथ हिलाते’ में अनुप्रास अलंकार है।
3. ‘छोटे पौधे’ शोषित वर्ग के प्रतीक हैं। उनका मानवीकरण किया गया है। ‘विप्लव-रव’ अर्थात् क्रांति का स्वर छोटे लोगों को ही शोभा प्रदान करता है-ऐसी कवि की मान्यता है।

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Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter

कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?

बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

हँसते हैं छोटे पौधे लधु भार-

शस्य अपार,

हिल-हिल,

खिल-खिल

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

तुझे बुलाते,

विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.




 

क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?

छोटे पौधे किनके प्रतीक हैं?

वे किस, किस प्रकार बुलाते हैं?

‘विप्लव रव’ किससे शोभा पाते है और क्यों?

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

अट्टालिका का नहीं है रे
आतंक-भवन

सदा पंक पर ही होता जल-विप्लव-प्लावन,

क्षुद्र फुल्ल जलज से सदा छलकता नीर,

रोग-शोक में भी हँसता है

शैशव का सुकुमार शरीर।