सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
कवि बादलों को किस रूप में देखता है? कालिदास ने मेघों को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई बिंब दीजिए।
कवि बादलों को क्रांति दूत के रूप में देखता है। बादलो का आगमन सभी के लिए हर्ष का कारण होता है। क्रांति का आगमन शोषित वर्ग के हित में होता है।
कालिदास ने मेघों को यक्ष का दूत बनाकर अलकापुरी भेजा था ताकि वे उसकी प्रेयसी को उसके दु:खी हृदय का संदेश दे सकें।
अपना बिंब: मेघ आए बड़े बन-ठन के,
पाहुन हों जैसे शहर के।
अटारी पर हुआ प्रिया से मिलन,
झर-झर आँसू में बह गए बंधन।
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क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।
वर्षण है मूसलाधार
हृदय थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,
क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।
कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?
बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?
‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।
शस्य अपार,
हिल-हिल,
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.
क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?
छोटे पौधे किनके प्रतीक हैं?
वे किस, किस प्रकार बुलाते हैं?
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