कुँवर नारायण

Question

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना

मैं पेंच को खोलने के बजाए

उसे बेतरह कसता चला जा रहा था

क्यों कि इस करतब पर मुझे

साफ सुनाई दे रही थी

तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह!

आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था

जो़र ज़बरदस्ती से

बात की चूड़ी मर गई

और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!

Answer

प्रसगं: प्रस्तुत पक्तियाँ कवि कुँवर नारायण द्वारा रचित कविता ‘बात सीधी थी पर’ से अवतरित हैं। कवि शब्दों के गलत प्रयोग से बात के उलझने की स्थिति का वर्णन करता है।

व्याख्या: कवि बताता है कि जब हम मुश्किल की घड़ी में धैर्य खो बैठते हैं तब बात और भी उलझती चली जाती है। ऐसे में बात का पेंच खुलने के स्थान पर और भी टेढ़ा होता जाता है। ऐसे में पेंच को बेवजह कसने का प्रयास करते रहते हैं जबकि बात सहज और स्पष्ट होने के स्थान पर और भी क्लिष्ट हो जाती है। ऐसे में बात स्पष्ट नहीं हो पाती। जब भी मैं ऐसा प्रयास करता तब मेरे इस गलत काम पर तमाशबीनों की शाबासी मिलती थी अर्थात् वे मुझे मूर्ख बनाते थे। उनके इस कदम से मेरी उलझन और भी बढ़ जाती थी। वे बात के बिगड़ने से खुश होते थे।

अंत में वह होकर रहा जिससे कवि डरता था। जब हम चूड़ी भरे पेंच को जबर्दस्ती कसते चले जाते हैं जब उसमें कसाव नहीं आ पाता। चूड़ियाँ मर जाती हैं और पेंच ढीला ही रह जाता है। इसी प्रकार बात को जबर्दस्ती दूसरों पर थोपते चले जाते हैं तब वह बात अपना प्रभाव खो बैठती है। जिस प्रकार चूड़ी भरा पेंच छेद में व्यर्थ रहता है, उसी प्रकार गलत शब्दों के प्रयोग के कारण बात भाषा में व्यर्थ घूमती रहती है। उस बात का अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ पाता। तब बात शब्दों का जाल बनकर रह जाती है।
1. असहज बात प्रभावहीन हो जाती है।

2. ‘वाह वाह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

3. प्रतीकात्मकता एवं लाक्षणिकता का समावेश है।

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Some More Questions From कुँवर नारायण Chapter

कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने

कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

कविता के पंख लगा उड़ने के माने

चिड़िया क्या जाने?

‘कविता की उड़ान’ से क्या आशय है?

‘बाहर भीतर, इस घर उस घर’ के द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है?

कवि के अनुसार कविता की उड़ान कौन नहीं जानता?

कवि की उड़ान और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

कविता एक खिलना है फूलों के बहाने

कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!

बाहर भीतर

इस घर, उस घर

बिना मुरझाए महकने के माने

फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने

बाहर भीतर

यह घर, वह घर

सब घर एक कर देने के माने

बच्चा ही जाने!

कविता का फूलों के बहाने खिलना कैसे है?

कविता और फूलों में क्या अंतर है?

कविता बच्चों के खेल के समान कैसे है?

इस काव्यांश में कविता की क्या-क्या विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं?