गजानन माधव मुक्तिबोध

Question

वह क्या-क्या है, जिसे कवि ने सहर्ष स्वीकारा है?

Answer

कवि ने अपने जीवन की कटु-मधुर अनुभूतियों, सुख-दुःखपूर्ण परिस्थितियों, व्यक्तित्व की दृढ़ता तथा मीठे-तीखे अनुभव आदि सबको सहर्ष स्वीकार किया है। इसका कारण यह है कि वह इन सबके साथ अपने प्रिय को जुड़ा पाता है। जो-जो बातें उसके प्रिय को पसंद हैं, उन्हें कवि सहर्ष स्वीकार कर लेता है। कवि के पास अपनी गर्वीली गरीबी है, जीवन के गहरे अनुभव हैं, प्रौढ़ विचार हैं, भावनाओं का बहता प्रवाह है, प्रेयसी का प्यार है। वह इन सबको सहर्ष स्वीकार कर लेता है।

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प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब

यह विचार-वैभव सब

दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनय सब

मौलिक है, मौलिक है,

इसलिए कि पल-पल में

जो कुछ भी जागृत है, अपलक है-

संवेदन तुम्हारा है!!

कवि किस-किसको मौलिक मानता है और क्यों?

इन पर किसकी संवेदना का प्रभाव है?

इस कविता पर किस बाद का प्रभाव झलकता है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है

जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है

दिल में क्या झरना है?

मीठे पानी का सोता है

भीतर वह, ऊपर तुम

मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर

मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है।

कवि अपने दिल की तुलना किससे करता है और क्यों?

ऊपर कौन है?

कवि किससे प्रभावित है?

प्रस्तुत पक्तियों की सप्रंसग व्याख्या करें

सचमुच मुझे दंड दो कि

भूलूँ मैं

प्ले मैं

तुम्हें भूल जाने की

दक्षिण ध्रुवि अंधकार अमावस्या

शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पालूँ मैं

झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं

इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित

रहने का रमणीय यह उजेला अब

सहा नहीं जाता है।

नहीं सहा जाता है।

कवि अपने लिए किस प्रकार का दंड चाहता है?