तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
यह पंक्ति लेखक ने शैलेन्द्र के गीतों के सन्दर्भ में लिखी है। शैलेन्द्र के गीत केवल मनोरंजन के लिए नही बल्कि जिंदगी से जूझने का संदेश भी देते हैं। अपनी गीतों द्वारा वह सन्देश देना चाहते थे की थक-हारकर बैठ जाना उचित नही होता अपितु जीवन में आई हुई कठिनाईयों का सामना करते हुए हमें आगे बढ़ना चाहिए। जिंदगी में दुःख, कष्ट और तकलीफें आती रहती है परन्तु हमें उनसे हार न मानकर साहसपूर्वक उसका सामना करना चाहिए।
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फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है?
'शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं' - इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
फ़िल्म 'तीसरी कसम' के गीत 'रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ' पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
'तीसरी कसम' में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया? स्पष्ट कीजिए।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि 'तीसरी कसम' ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
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