तोप
'तोप' शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए।
कभी ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत ही किया था, लेकिन करते-कराते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। 1857 में उसका प्रयोग शक्तिशाली हथियार के रुप में किया गया था। उन तोपों ने इस देश को फिर से आजाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाजो को मौत के घाट उतारा। पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उस सत्ता को उखाड फेंका। तोप को निस्तेज कर दिया। आखिरकार अब इस तोप को मुँह बन्द करना पड़ा। अब इससे कोई नहीं डरता। अब यह केवल खिलौना मात्र है। चिड़िया इस पर अपना घोंसला बना रही है, उसमें बच्चे खेलते हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना शक्तिशाली क्यों न हो, एक-न-एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
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कवि ने इस कविता में शब्दों का सटीक और बेहतरीन प्रयोग किया है। इसकी एक पंक्ति देखिए 'धर रखी गई है यह 1857 की तोप'। 'धर' शब्द देशज है और कवि ने इसका कई अर्थों में प्रयोग किया है।' रखना', 'धरोहर' और 'संचय' के रूप में।
'तोप' शीर्षक कविता का भाव समझते हुए इसका गद्य में रूपांतरण कीजिए।
घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ़्फ़न के घर और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।
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