मधुर – मधुर मेरे दीपक जल

Question

पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

Answer

पतंगा अपना सिर धुनकर अपने क्षोभ को व्यक्त कर रहा है। जिस प्रकार पतंगा दीये की लौ में अपना सब कुछ समाप्त करना चाहता है पर कर नहीं पाता, उसी तरह मनुष्य भी परमात्मा रूपी लौ में जलकर अपना अस्तित्व विलीन करना चाहता है परन्तु अपने अहंकार को नहीं छोड़ पाता। इसलिए पछतावा करता है। 

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Some More Questions From मधुर – मधुर मेरे दीपक जल Chapter

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
विश्व-शलभ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
आपकी दृष्टि में 'मधुर मधुर मेरे दीपक जल' कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है-
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

मधुर-मधुरपुलक-पुलकसिहर-सिहर और विहँस-विहँस', कवियत्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को क्यों कहा हैं? स्पष्ट कीजिए 

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

'स्नेहहीन दीपक' से क्या तात्पर्य है?

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?