कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन प्रतीत होते हैं। क्योंकि इनमे कोई भाव नहीं हैं, यह यंत्रवत होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। प्रेम और परोपकार की भावना समाप्त हो गई है। उनमें आपस में कोई स्नेह नहीं है। इसलिए उसे आकाश के तारे स्नेहहीन लगते हैं।