मधुर – मधुर मेरे दीपक जल
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन प्रतीत होते हैं। क्योंकि इनमे कोई भाव नहीं हैं, यह यंत्रवत होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं। प्रेम और परोपकार की भावना समाप्त हो गई है। उनमें आपस में कोई स्नेह नहीं है। इसलिए उसे आकाश के तारे स्नेहहीन लगते हैं।
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प्रस्तुत कविता में 'दीपक' और 'प्रियतम' किसके प्रतीक हैं?
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
'स्नेहहीन दीपक' से क्या तात्पर्य है?
नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
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