निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: बेटे को आँगन में एक चटाई पर लिटाकर एक सफेद कपड़े से ढक रखा है। बह कुछ फूल तो हमेशा ही रोपे रहते, उन फूलों में से कुछ तोड़कर उस पर बिखरा दिए हैं, फूल और तुलसीदल भी। सिरहाने एक चिराग जला रखा है और, उसके सामने जमीन पर ही आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे हैं। वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। पर में पतोहू से रही है, जिसे गाँव की स्त्रियाँ चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। किंतु, बालगोबिन भगत गाए जा रहे हैं। हाँ, गाते-गाते कभी-कभी पतोहू के नजदीक भी जाते और उसे रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली, भला इससे बढ़कर आनंद की कौन बात? मैं कभी-कभी सोचता, यह पागल तो नहीं हो गए। किंतु, नहीं, वह जो कुछ कह रहे थे, उसमें उनका विश्वास बोल रहा था-वह चरम विश्वास, जो हमेशा ही मृत्यु पर विजयी होता आया है।
अपनी पतोहू को बालगोबिन क्या समझाते हैं?
Answer
Short Answer
वे अपनी पतोहू को रोने से मना करते हैं और उसे कहते हैं कि आज रोने का नहीं बल्कि उत्सव मनाने का दिन है क्योंकि उसके पति की आत्मा अब परमात्मा से मिल गई है।
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