दोहे
बिहारी का मानना है कि बाहरी आडम्बरों से ईश्वर नहीं मिलते। माला फेरने, हल्दी चंदन का तिलक लगाने या छापै लगाने से एक भी काम नहीं बनता। कच्चे मन वालों का हृदय डोलता रहता है। वे ही ऐसा करते हैं लेकिन राम तो सच्चे मन से याद करने वाले के हृदय में रहते हैं।
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निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।
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