-->

दोहे

Question
CBSEENHN10002380

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:
जपमालाछापैंतिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथासाँचै राँचै रामु।।

Solution
बिहारी का मानना है कि बाहरी आडम्बरों से ईश्वर नहीं मिलते। माला फेरनेहल्दी चंदन का तिलक लगाने या छापै लगाने से एक भी काम नहीं बनता। कच्चे मन वालों का हृदय डोलता रहता है। वे ही ऐसा करते हैं लेकिन राम तो सच्चे मन से याद करने वाले के हृदय में रहते हैं।

Some More Questions From दोहे Chapter

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है? 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है 'कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात' - स्पष्ट कीजिए।
 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
सच्चे मन में राम बसते हैं − दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए। 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं। 

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।   

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:
जपमालाछापैंतिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथासाँचै राँचै रामु।।