दोहे
बिहारी जी ईश्वर प्राप्ति के लिए धर्म कर्मकांड को दिखावा समझते हैं। माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने से प्रभु नहीं मिलते। भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं। कुछ लोग आडम्बर और प्रपंच हैं। ईश्वर का निवास स्थान सच्चा और मन पवित्र होता हैं। कच्चा मन तो काँच के सामान नाजुक होता हैं। वह टूट भी सकता हैं।
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