दोहे
बिहारी ने नायिका की व्याकुलता को इन पंक्तियों के माध्यम से प्रकट किया हैं। वह अपने प्रिय को संदेश देना चाहती है पर कागज पर लिखते समय कँपकपी और आँसू आ जाते हैं। किसी के साथ संदेश भेजेगी तो कहते लज्जा आएगी। इसलिए वह सोचती है कि जो विरह अवस्था उसकी है, वही उसके प्रिय की भी होगी। अत: वह कहती है कि अपने हृदय की वेदना से मेरी वेदना को समझ जाएँगे। नायिका चतुरता से अपने हृदय को नायक के ह्रदय में स्थित बता रही हैं।
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निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।
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