दोहे
कवी ने ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करते हुए जेठ महीने की प्रचंड गर्मी की भीषणता को स्पष्ठ करते हुए कहा हैं की जो छाया दूसरों को शीतलता देती हैं, उससे भी गर्मी के इस महीने में छावँ की आवश्यकता पड़ती हैं, अर्थात् जेठ के महीने में छाया ढूँढना लगती हैं।
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निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात।
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