स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
लेखक ने नेताजी का चश्मा पाठ में जिस कस्बे का वर्णन किया है वह बहुत बड़ा नहीं है। वह कत्या आम कस्बों जैसा है उसमें कुछ मकान पक्के थे। एक बाजार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल था और एक लड़कियों का स्कूल था। एक छोटा-सा सीमेंट का कारखाना था। दो ओपन एयर सिनेमाघर थे। कस्बे में एक नगरपालिका थी।
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निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
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