स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
पानवाला एक काला, मोटा और खुशमिजाज व्यक्ति था। जब हालदार साहब ने उससे मूर्ति के चश्मे के बदलते रहने की बात पूछी तो उस समय उसके मुँह में पान था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही- आखों में हँसा और उसकी तोंद थिरकने लगी। उसने अपने मुँह का पान पीछे घूमकर दुकान के नीचे धूका और हालदार साहब को बताया कि मूर्ति के चश्मे को कैप्टन बदलता है।
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निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
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