स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
हालदार साहब को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वे जब भी इधर से गुजरते हैं तो हर बार संगमरमर की नेता जी की मूर्ति का चश्मा बदला हुआ होता है। उन्हें इसी बात पर आश्चर्य हुआ कि चश्मा कैसे बदल जाता है?
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“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया लिखिए।
निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
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