स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
हालदार साहब की यह आदत थी कि वे जब भी इस शहर से निकलते, वे इस शहर के मुख्य बाजार के चौराहे पर अवश्य रुकते थे। वे चौराहे के पानवाले से पान लेकर खाते थे और चौराहे पर लगी हुई नेता जी की संगमरमर की मूर्ति को ध्यान से देखते थे।
Sponsor Area
“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया लिखिए।
Sponsor Area
Sponsor Area