स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक वे सोचते थे कि कैप्टन एक रौबदार व्यक्तित्व वाला इंसान है। उनके मस्तिष्क के पटल पर एक गठीले बदन के पुरुष की छवि अंकित थी। जिसकी मूंछें बड़ी-बड़ी थीं। उसकी चाल में फौजियों जैसी मजबूती और ठहराव था। चेहरे पर तेज था। उसका पूरा व्यक्तित्व ऐसा था जिसे देखकर दूसरा व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। इस तरह हालदार साहब के दिल और दिमाग पर एक फौजी की तस्वीर अंकित थी।
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निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
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