स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
चौराहे पर लगी नेता जी की मूर्ति का मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया था। बिना चश्मे वाली मूर्ति कैप्टन को बहुत आहत करती थी। इसलिए वह मूर्ति पर अपने पास से चश्मा लगा देता था। जब भी मूर्ति पर से चश्मा उतर जाता वह उसी समय मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। इससे पता चलता है कि कैप्टन में देश और देश के नेताओं के प्रति आदर और सम्मान की भावना है।
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निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
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