स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
पानवाला जब भी कोई बात करता था, उससे पहले वह मुँह का पान नीचे अवश्य थूकता था। पानवाले को कैप्टन के मरने का दुःख था। इसीलिए उसकी आँखें नम थीं। इससे यह पता चलता है कि पानवाले के मन में कैप्टन के प्रति आदर की भावना थी।
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निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
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