स्वयं प्रकाश - नेताजी का चश्मा
पान वाले की दुकान चौराहे पर नेता जी की मूर्ति के सामने थी। पान वाले का रंग काला था। वह शरीर से मोटा था। उसकी आँखें हँसती हुई थीं। उसकी तोंद निकली हुई थी। जब वह किसी बात पर हँसता तो उसकी तोंद गेंद की तरह ऊपर-नीचे उछलती थी। वह स्वभाव से खुश मिज़ाज था। बार-बार पान खाने से उसके दाँत लाल- काले हो गए थे। वह कोई भी बात करने से पहले मुँह में रखे पान को नीचे की ओर थूकता था। यह उसकी आदत भी बन चुकी थी। पान वाले के पास हर किसी की पूरी जानकारी रहती थी जिसे वह बड़े रसीले अंदाज से दूसरे के सामने प्रस्तुत करता था।
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“वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया लिखिए।
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