नागार्जुन - यह दंतुरित मुसकान
‘बाँस था कि बबूल’ में कठोर और विपरीत स्थितियों का भाव छिपा है। कठिनाइयों की स्थिति में भी वह अपनी सुंदरता और भोलेपन से सबके मन को हरता रहा था।
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कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
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